भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला ले लिया है. भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में न केवल आतंकी ठिकानों को तबाह किया बल्कि 100 से ज्यादा आतंकियों को भी मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने हिमाकत दिखाने की कोशिश की तो भारत ने उसे भी करारा जवाब देकर घुटनों पर ला दिया. पहलगाम का हमला सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का यह स्पष्ट प्रयास था क्योंकि आतंकियों ने लोगों से धर्म पूछकर गोली मारी थी, लेकिन ने जिस तरह से जवाब दिया है उसे पाकिस्तान कभी नहीं भूलने वाला है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की रणनीतिक स्पष्टता साफ झलक रही थी. पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना ने जिस तरह से ऑपरेशन सिंदूर को लॉन्च किया उसकी चर्चा केवल देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है.
Operation SINDOOR का उद्देश्य
आतंकवाद के साजिशकर्ताओं और हमलावरों को सजा देना: यह ऑपरेशन उन लोगों को सीधे निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया था, जिन्होंने भारत में आतंकवादी हमलों की योजना बनाई या उन्हें अंजाम दिया. इसका मकसद आतंक के मास्टरमाइंड्स तक पहुंच कर उन्हें जवाबदेह बनाना था.
सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट करना: ऑपरेशन का एक प्रमुख लक्ष्य सीमा पार स्थित आतंकवादी ठिकानों, प्रशिक्षण शिविरों और लॉजिस्टिक सपोर्ट हब को पूरी तरह से ध्वस्त करना था ताकि भविष्य में भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रोत्साहन न मिल सके.
खुफिया जानकारी और लक्ष्य चयन
आतंक नेटवर्क का सूक्ष्म विश्लेषण:ऑपरेशन से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकवाद के पूरे ढांचे का गहन अध्ययन किया. खुफिया तंत्र ने सीमा पार मौजूद आतंकी गतिविधियों, संचार नेटवर्क और वित्तीय सहायता स्रोतों पर बारीकी से नजर रखी.
आतंकी ठिकानों और प्रशिक्षण शिविरों की पहचान: इस गहन निगरानी के दौरान कई आतंकवादी शिविरों और प्रशिक्षण केंद्रों की पहचान की गई. इन लक्ष्यों को इस प्रकार चुना गया कि आतंकवाद की जड़ों पर सीधा प्रहार हो और भविष्य में पुनः संगठित होने की क्षमता खत्म की जा सके.
सैन्य नैतिकता और संयम
- ऑपरेशन पूरी तरह से आत्म-नियंत्रण और नैतिक मर्यादा के तहत संचालित किया गया. सेना ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग न हो और कार्रवाई सिर्फ आतंकवादियों तक सीमित रहे.
- नागरिकों को नुकसान से बचाने की प्राथमिकता: सभी टार्गेट को इस तरह चुना गया और हमले इतने सटीक थे कि किसी भी निर्दोष नागरिक को कोई क्षति नहीं पहुंची। यह सिद्धांत इस ऑपरेशन की आधारशिला रहा कि आतंक का खात्मा हो, लेकिन इंसानियत सलामत रहे.
- भारत सरकार ने 7 मई को हुई अपनी पहली आधिकारिक प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई सटीक, संतुलित और गैर-उत्तेजक (non-escalatory) रही है. पाकिस्तानी सेना के किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है. यह निर्णय जानबूझकर लिया गया ताकि क्षेत्र में तनाव को अनावश्यक रूप से बढ़ने से रोका जा सके. भारत का उद्देश्य आतंक के ढांचे को खत्म करना था, न कि युद्ध को बढ़ावा देना.
- सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर कोई हमला होता है, तो उसका उचित और कड़ा जवाब दिया जाएगा. यह संदेश पाकिस्तान को सीधे तौर पर दिया गया है कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8, 9 और 10 मई को कई प्रेस ब्रीफिंग में भारत की कार्ययोजना और पाकिस्तान की साजिशों की पूरी सीमा को उजागर किया.
भारत की जवाबी कार्रवाई, पाक की गुस्ताखियों का माकूल जवाब
पाकिस्तान की उकसावे वाली कार्रवाइयों के जवाब में भारत ने सख्त और निर्णायक कदम उठाते हुए लाहौर और गुजरांवाला के पास स्थित रडार ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें ध्वस्त कर दिया. ये हमले पूरी तरह से जवाबी थे और भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमताओं का स्पष्ट प्रदर्शन थे.
इन हमलों में हुई भारी क्षति के चलते, पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारत के DGMO को फोन कर संपर्क साधा. दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद यह तय किया गया कि 10 मई 2025 की शाम 5 बजे (भारतीय समयानुसार) से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकी जाएंगी.
हालांकि सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान ने UAVs (ड्रोन) और छोटे निगरानी ड्रोन भारतीय सैन्य और नागरिक क्षेत्रों में भेजे, जो भारत की सीमा सुरक्षा का स्पष्ट उल्लंघन था. इन सभी ड्रोन घुसपैठियों को भारतीय सुरक्षा बलों ने सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट और निष्क्रिय किया. भारतीय सशस्त्र बलों ने हर तरह की घुसपैठ और आतंकी साजिशों से निपटने के लिए हाई अलर्ट स्थिति बनाए रखी है. सेना और वायुसेना की इकाइयां पूरी तरह से सक्रिय, सतर्क और सुसज्जित हैं ताकि किसी भी पाकिस्तानी ‘मिसएडवेंचर’ का माकूल जवाब दिया जा सके.
ऑपरेशन सिंदूर, रणनीतिक सफलता
1. रणनीतिक सफलता को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया गया
भारत सरकार ने Operation SINDOOR की सफलता को बेहद संयमित और रणनीतिक अंदाज में पेश किया. कार्रवाई के सटीक परिणामों और सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति पर जोर दिया गया, बजाय किसी सनसनी फैलाने के. यह बताया गया कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य केवल आतंकवाद के ढांचे को समाप्त करना था वो भी बिना किसी अनावश्यक उकसावे के.
2. फर्जी प्रचार की पोल खोलना
भारतीय एजेंसियों ने पाकिस्तान-समर्थित सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और झूठी खबरों का भंडाफोड़ किया. यह सामने आया कि कई अकाउंट्स झूठी तस्वीरें और मनगढ़ंत दावे फैला रहे थे ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित किया जा सके. इन खातों को अब अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया कंपनियां जांच के दायरे में ले रही हैं और कई अकाउंट्स को निलंबित भी किया गया है.
3. डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा
भारत सरकार और विभिन्न नागरिक संगठनों द्वारा चलाए गए मीडिया साक्षरता अभियानों ने नागरिकों को फेक न्यूज पहचानने और तथ्य-जांच करने के लिए सक्षम बनाया है. इसका उद्देश्य है एक जिम्मेदार और जागरूक डिजिटल समाज का निर्माण, जो अफवाहों के बजाय तथ्यों के आधार पर सोच सके.
सेना की ओर से उठाए गए कदम
भारतीय सेना ने बिना पाकिस्तान के एयरस्पेस में गए 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इसमें 4 ठिकानों पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदेक में थे जबकि 5 ठिकाने पीओके में थे. इसमें जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के अड्डे थे.
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से हुई उकसावे वाली कार्रवाई के जवाब में भारत ने कामिकेज ड्रोन को तैनात किया. भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया. केवल तीन घंटे के भीतर भारत ने अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 11 मिलिट्री इंस्टॉलेशन को निशाना बनाया. भारत की इस कार्रवाई में पाकिस्तान को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा, उसके कुछ फाइटर जेट भी ध्वस्त हो गए. इसके बाद पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पुंछ में गोलीबारी हुई, जिसका सेना ने करारा जवाब दिया.
पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए गैर सैन्य उपाय
भारत के गैर-गतिशील प्रयासों ने रणनीतिक माहौल को आकार देने और सार्वजनिक और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रणनीतिक नीति निर्माण, सूचना प्रभुत्व और मनोवैज्ञानिक संचालन के जरिए भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया, जबकि घरेलू तैयारियों और वैश्विक समर्थन को मजबूत किया.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक भारत द्वारा सिंधु जल संधि को समाप्त करना एक निर्णायक कदम रहा. 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को खत्म नहीं कर देता है. पाकिस्तान के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे, जो एक ऐसा देश है जो अपनी 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के 80 फीसदी और अपने कुल जल उपयोग के 93 फीसदी के लिए सिंधु नदी सिस्टम पर बहुत अधिक निर्भर है. यह सिस्टम 237 मिलियन लोगों का भरण-पोषण करती है और गेहूं, चावल और कपास जैसी फसलों के माध्यम से पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में एक-चौथाई का योगदान देती है. इसके अलावा भारत ने भारत ने अटारी-वाघा सीमा भी बंद कर दी है.
भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार भी निलंबित कर दिया. पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद भारत ने देश में रहने वाले सभी पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें बाहर निकाल दिया. पाकिस्तानी कलाकारों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है. वैश्विक मंच पर भी भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को उजागर किया और कूटनीतिक रूप से उसे अलग-थलग कर दिया.
वैश्विक स्तर पर शानदार नेतृत्व का प्रदर्शन
इस स्थिति में राष्ट्रीय संकट की घड़ी में न केवल समाधान की बल्कि शानदार नेतृत्व की भी आवश्यकता थी. इस चुनौती का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे आए, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभाई, जो हाल के इतिहास में भारत की सबसे साहसिक सैन्य प्रतिक्रियाओं में से एक रही. पाकिस्तान के साथ हुए घटनाक्रम के दौरान आतंकवाद के खिलाफ तय उद्देश्य में कोई बदलाव नहीं हुआ. प्रधानमंत्री मोदी ने दृढ़ एवं स्पष्ट प्रतिक्रिया देने पर अपना ध्यान केंद्रित रखा.
ऑपरेशन सिंदूर से क्या हासिल हुआ?
- नौ आतंकी शिविर नष्ट किए गए
- सीमा पार सटीक हमले हुए
- आतंकवाद के खिलाफ एक नई रेखा खींची गई
- आतंकवादियों और उनके आकाओं पर एक समान कार्रवाई
- पाकिस्तान के एयर डिफेंस कमजोरियों का खुलासा हुआ
- भारत के एयर डिफेंस ने शानदार काम किया
- प्रमुख आतंकवादी कमांडरों का खात्मा
- पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले
- तीनों सेनाओं के बीच में बेहतरीन समन्वय और कार्रवाई
- वैश्विक स्तर पर एक कड़ा संदेश देने का काम
- आतंकवाद के खिलाफ व्यापक वैश्विक समर्थन भी दिखा
- पहली बार भारत की कार्रवाइयों को पूरी तरह आतंकवाद विरोधी नजरिए से देखा गया
निष्कर्ष क्या निकला?
पहलगाम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया कानूनी और नैतिक आधार पर दृढ़ता से खड़ी नजर आई. इतिहास इसे नेतृत्व, नैतिकता और रणनीतिक सटीकता द्वारा आकार दिए गए एक सैद्धांतिक और संतुलित जवाबी कार्रवाई के रूप में याद रखेगा. ऑपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक और रणनीतिक परिदृश्य को नया रूप दिया है. यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं है, बल्कि भारत की संप्रभुता, संकल्प और वैश्विक स्थिति का बहुआयामी पड़ाव भी नजर आया.