भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने वरिष्ठ आईपीएस कैलाश मकवाना को एमपी पुलिस का मुखिया बनाकर जो ज़िम्मेदारी दी उसको वो बखूबी निभा रहे हैं। डीजीपी बनते ही वो दो पॉइंट्स पर फोकस दिखाई दे रहे हैं। पहला प्रदेश से नक्सल समस्या का ख़ात्मा और दूसरी पब्लिक फ्रेंडली पुलिसिंग। इसको लेकर वो तरह तरह के नवाचार अपना रहे हैं। उनके डीजीपी बनते ही कई नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, वहीं जो नहीं माने उनको ज़मीदोज कर दिया गया है।
डीजीपी का स्पष्ट संदेश है कि पुलिस व्यवस्था में सुधार हो, निष्पक्ष कार्यवाही हो और पारदर्शिता को बढ़ाया जा सके। डीजीपी कैलाश मकवाना ने बड़ा क़दम उठाते हुए पुलिस महकमे में वर्षों से एक एक ही थाने में जमे 10 हजार अंगद के पैर हिला दिए, लगभग पांच साल से एक ही थाना में पदस्थ पुलिसकर्मियों का दूसरे थानों में तबादला कर दिया गया। इसे मध्यप्रदेश पुलिस के आज तक के इतिहास की सबसे बड़ी सर्जरी बताया जा रहा है।
इन टॉप पांच ज़िलों में सबसे ज़्यादा अंगद बन चुके पुलिसकर्मियों का तबादला हुआ।
1. इंदौर नगरीय-1,029
2. ग्वालियर-828
3. भोपाल नगरीय-699
4. जबलपुर-535
5. नर्मदापुरम-372
इसके अलावा DGP द्वारा अपराधिक रिकॉर्ड एवं विभागीय जांच वाले पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी पुलिस थानों से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं यह अधिकारी/कर्मचारी थानों के अलावा वरिष्ठ अधिकारी के आफ़िस में भी नहीं रह पाएंगे। पुलिस मुख्यालय स्तर से निर्देशों के पालन को लेकर कड़ी मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
अपनी साफ और ईमानदार छवि के चलते डीजीपी कैलाश मकवाना सरकार और प्रदेश की जनता के प्रिय बन चुके हैं। सूत्रों की मानों तो आने वाले दिनों में वो कुछ और नवाचार अपनाने वाले हैं जिससे पुलिसिंग में और सुधार आएगा।