Today – June 29, 2025 2:21 am
Facebook Twitter Instagram

A1 News Tv

  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
Home हरियाणा

CIA, मोसाद से ISI तक, दुनिया की टॉप 10 खुफिया एजेंसियां कैसे बनीं? यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा मामले से चर्चा में आईं

News room by News room
May 20, 2025
in हरियाणा
0
CIA, मोसाद से ISI तक, दुनिया की टॉप 10 खुफिया एजेंसियां कैसे बनीं? यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा मामले से चर्चा में आईं
  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

जासूसी करने के आरोप में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि पहलगाम हमले से पहले वह पाकिस्तान गई थी, उसके बाद कश्मीर का दौरा किया था. वह पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों के सम्पर्क में थीं. हालिया मामले से दुनिया की खुफियां एजेंसियों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है.

किसी देश की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि उसके पास दुश्मनों की खुफिया जानकारियां कितनी और कब पहुंचती हैं. दुनिया भर के देशों की खुफिया एजेंसियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये एजेंसियां ही अपने देश के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारियां जुटाती हैं. अपने देश हित में गुप्त अभियान भी चलाती हैं. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों का आकलन करती हैं. आइए जान लेते हैं दुनिया की टॉप 10 खुफिया एजेंसियां के बारे में कि इनके बनने की कहानी क्या है.

CIA: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पड़ी थी नींव

अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध खुफिया एजेंसी माना जाता है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने ऑफिस ऑफ द कोऑर्डिनेटर ऑफ इन्फॉर्मेशन (सीओआई) की स्थापना की थी. तारीख थी 11 जुलाई 1941. इसका उद्देश्य युद्ध से जुड़ी दूसरे देशों की खुफिया सूचनाएं जुटाना था. इसके बाद 13 जून 1942 को अमेरिका में एक केंद्रीयकृत खुफिया एजेंसी की स्थापना की गई, जिसको नाम दिया गया इंटेलीजेंस एजेंसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक सर्विसेज (ओएसएस).

दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ तो तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने अक्तूबर 1945 में सभी युद्ध एजेंसियों को भंग कर दिया. इनमें ओएसएस भी शामिल थी. साथ ही ओएसएस की सब इकाइयों को मिलाकर स्ट्रेटेजिक सर्विसेज यूनिट (एसएसयू) बनाई गई. इससे भी आगे बढ़ कर 22 जनवरी 1946 को फैसला लिया गया कि एसएसयू की जगह पर एक सेंट्रल इंटेलीजेंस ग्रुप (सीआईजी) बनाया जाएगा, जिसके जिम्मे स्वतंत्र तरीके से शोध और विश्लेषण भी होगा.

हालांकि, साल 1947 आते-आते राष्ट्रपति ट्रूमैन को लगा कि देश में पूरी तरह से क्रियाशील एक इंटेलीजेंस ऑर्गनाइजेशन होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत 18 सितंबर 1947 को CIA की स्थापना की गई. इस एक्ट के जरिए CIA को एक स्वतंत्र नागरिक इंटेलीजेंस एजेंसी की मान्यता दी गई.

मोसाद: सबसे सम्मानित इजराइली खुफिया एजेंसी

इजराइल की खुफिया एजेंसी का नाम है मोसाद. यह अपने कारनामों के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा सम्मानित है. कहा जाता है कि इजराइल की सुरक्षा के लिए यह एजेंसी दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ़कर अपने दुश्मन को मारता है. माना जाता है कि जो एक बार मोसाद की हिट लिस्ट में आ जाता है, उसका बचना असंभव हो जाता है.

इजराइल की स्थापना के साथ ही मोसाद की भी स्थापना की नींव पड़ गई थी. देश की स्थापना के साथ ही प्रधानमंत्री बने डेविड बेन गुरियोन को ऐसी खुफिया एजेंसी की आवश्यकता लगी, जो सेनाओं के खुफिया विभाग और अन्य सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित कर सके. इसके लिए खुफिया एजेंसी का गठन 13 दिसंबर 1949 को किया गया. इस खुफिया एजेंसी का पहला निदेशक रुवेन शिलोह को बनाया गया था.

मोसाद का पूरा नाम है मोसाद ले-मोदीइन उले-तफकिदिम मेयुहादिम यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस. इसका मुख्यालय तेल अवीव में है.

RAW: एक असफलता ने तैयार की भारत की खुफिया एजेंसी

यह साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की बात है. 22 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत का पलड़ा जरूर भारी था पर पाकिस्तान के बारे में और अधिक सूचना होती तो शायद इस युद्ध का नतीजा कुछ और ही होता. दरअसल, 22 सितंबर 1965 को जब युद्धविराम की घोषणा की गई, तब तक पाकिस्तान के सभी हथियार खत्म हो चुके थे. पाकिस्तान को हथियार देने पर अमेरिका ने प्रतिबंध भी लगा दिया था, इसलिए उसे हथियारों की सप्लाई भी संभव नहीं थी.

हालांकि, तब भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) इस बारे में जानकारी नहीं जुटा पाई थी. इसके कारण युद्ध अनिर्णय की स्थिति में खत्म हुआ. पाकिस्तान की स्थिति की जानकारी होती तो नतीजा कुछ और ही होता.

इस असफलता का पता चलने पर भारत ने देश के बाहर से खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एक नई एजेंसी के गठन का फैसला किया. 21 सितंबर 1968 को इस खुफिया एजेंसी का गठन किया गया और नाम रखा गया रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ). रामेश्वर नाथ काव को रॉ का पहला प्रमुख और संकरन नायर को दूसरे नंबर पर जिम्मेदारी दी गई. साथ ही आईबी से करीब 250 लोगों को रॉ में ट्रांसफर कर इस एजेंसी की शुरुआत की गई.

MI-6: प्रथम विश्व युद्ध से पहले बनी ब्रिटिश खुफिया एजेंसी

ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का नाम है सीक्रेट इंटेलीजेंस सर्विस (एसआईएस), जिसे सामान्यतौर पर एमआई 6 के नाम से जाना जाता है. इस खुफिया एजेंसी की स्थापना पहले विश्व युद्ध से ठीक पहले साल 1909 में सीक्रेट सर्विस ब्यूरो के रूप में देश के बाहर की खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए की गई थी. शुरू में नौसेना और थल सेना के रूप में इसकी दो शाखाएं थीं पर जल्द ही देश के बाहर और आंतरिक खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए इसका विभाजन हो गया. औपचारिक रूप से इसके विभाजन को साल 1911 में मंजूरी दी गई और साल 1916 में इन दोनों एजेंसियों को डायरक्टरेट ऑफ मिलिटरी इंटेलीजेंस के अधीन कर दिया गया और एमआई नाम की उत्पत्ति हुई.

एमआई का अर्थ है, मिलिटरी इंटेलीजेंस. अब ब्रिटेन में ऐसी दो एजेंसियों एमआई-5 यानी मिलिटरी इंटेलीजेंस-5 देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, जैसे भारत में आईबी. इसी की तर्ज पर एसआईएस को एमआई-6 कहा जाता है.

ISI: अंग्रेज अफसर ने रखी थी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की नींव

पाकिस्तान का बाह्य खुफिया तंत्र भारत के मुकाबले अधिक पुराना है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी करतूतों के लिए दुनिया भर में कुख्यात है. इसकी स्थापना साल 1948 में एक अंग्रेज अफसर रॉबर्ट कॉवथोम ने की थी. आईएसआई दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने के लिए जानी जाती है. इस पर तालिबान समेत कई आतंकवादी समूहों को पालने-पोषने का आरोप लगता रहता है.

KGB: केजीबी की जगह हुई FIS की स्थापना

सोवियत संघ के विघटन से पहले वहां की खुफिया और सुरक्षा एजेंसी थी केजीबी. उसका पूरा नाम कोमितेत गोसुदर्स्त्वेन्नोय बेज़ोपास्नोस्टी था, जिसका मतलब है राज्य सुरक्षा समिति. साल 1954 से 1991 तक इसने काम किया. इसके बाद सोवियत संघ का विघटन पर रूस ने अपनी खुफिया एजेंसी स्थापित की, जिसका नाम है फॉरेन इंटेलीजेंस सर्विस (एफआईएस). इसे फेडरल सिक्योरिटी सर्विसेज के नाम से भी जाना जाता है. इसका मुख्यालय मॉस्को में है.

मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी: 1983 में बनी चीनी खुफिया एजेंसी

चीन की खुफिया एजेंसी को मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी यानी एमएसएस के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना 1 जुलाई 1983 को की गई थी. चीन की यह खुफिया एजेंसी सेंट्रल नेशनल सिक्योरिटी कमीशन के अधीन काम करती है.

एजेंसी डायरेक्शन जनरल डी ला सिक्योरिटी: ऐसे बनी फ्रांस की खुफिया एजेंसी

फ्रांस की खुफिया एजेंसी का नाम है डायरेक्शन जनरल डी ला सिक्योरिटी (डीजीएसई). इसकी काबिलियत को भी सराहा जाता रहा है. इस एजेंसी की स्थापना दो अप्रैल 1982 को की गई थी. इस एजेंसी का दावा है कि वह फ्रांस में होने वाले 15 से ज्यादा आतंकवादी हमलों को अपनी खुफिया सूचनाओं के बल पर रोक चुकी है.

ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी: 1952 में हुआ गठन

ऑस्ट्रेलिया की खुफिया एजेंसी का गठन साल 1952 में हुआ था. ऑस्ट्रेलिया के हितों की रक्षा के लिए विदेशों से खुफिया सूचनाएं जुटाने के लिए गठित एजेंसी का नाम ऑस्ट्रेलियन सीक्रेट इंटेलीजेंस सर्विसेज (एएसआईएस) है.

BND: जर्मनी की खुफिया एजेंसी

जर्मनी की संघीय खुफिया एजेंसी का नाम बीएनडी है, जिसकी स्थापना दूसरे विश्व युद्ध से ठीक पहले खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने के लिए की गई थी. इस काम देश की आंतरिक और बाह्य खतरों से रक्षा करना है. जर्मनी अपनी इस खुफिया एजेंसी पर हजारों करोड़ का बजट खर्च करता है. जासूसी में बीएनडी आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करती है.

  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Previous Post

मैसूर की राजमाता ने तिरुमाला मंदिर में दान किए 100 किलो के चांदी के दीपक, क्या है 300 साल पुरानी परंपरा?

Next Post

जीजा भी गायब, साली भी नहीं मिल रही…एक महीने से ढूंढ-ढूंढ कर घरवाले बेहाल; पुलिस से लगाई गुहार

Next Post
जीजा भी गायब, साली भी नहीं मिल रही…एक महीने से ढूंढ-ढूंढ कर घरवाले बेहाल; पुलिस से लगाई गुहार

जीजा भी गायब, साली भी नहीं मिल रही…एक महीने से ढूंढ-ढूंढ कर घरवाले बेहाल; पुलिस से लगाई गुहार

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook Instagram Twitter

Powered by AMBIT +918825362388

Send this to a friend