Today – July 20, 2025 5:52 pm
Facebook X-twitter Instagram Youtube
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
Ad Space Available by aonenewstv
Home मध्यप्रदेश

25 साल सर्विस के बाद हटाया गया कर्मचारी कोर्ट के फैसले से फिर बहाल

News room by News room
May 14, 2025
in मध्यप्रदेश
0
25 साल सर्विस के बाद हटाया गया कर्मचारी कोर्ट के फैसले से फिर बहाल
Share Now

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 25 साल से ज्यादा की सर्विस के बाद बर्खास्त किए गए विश्वविद्यालय कर्मचारी को फिर से बहाल कर दिया. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और मुख्य न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने फैसला सुनाया कि उसकी नियुक्ति केवल अनियमित थी और अवैध नहीं थी.

Ad Space Available by aonenewstv

साथ ही बाद में सर्विस के कंफर्म करके उनके पद को नियमित कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि कंफर्म किए गए कर्मचारियों को उचित जांच के बिना बर्खास्त नहीं किया जा सकता, भले ही प्रारंभिक नियुक्ति अनियमित रही हो.

नरेंद्र त्रिपाठी 1998 से बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल में कार्यरत थे. 16 दिसंबर 1998 को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव के माध्यम से नरेंद्र त्रिपाठी को परियोजना अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. वेतनमान 5500-9000 रुपये निर्धारित किया गया था 25 साल से ज्यादा की सर्विस के बाद, उन्हें 30 मई 2012 के आदेश के माध्यम से सेवा में स्थायी किया गया था.

उन्हें छठे और सातवें वेतन आयोग के संशोधित वेतनमानों का लाभ भी दिया गया था. इसके अलावा, उन्हें राज्य सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन भी दिया गया था और 2017 में उन्हें पीएचडी करने की अनुमति दी गई थी.

आरक्षण नियम के उल्लंघन का आरोप

हालांकि, 21 फरवरी 2024 को विश्वविद्यालय ने उनकी सर्विस खत्म करने का आदेश पारित किया. सर्विस समाप्ति आदेश के अनुसार, त्रिपाठी की प्रारंभिक नियुक्ति को अवैध करार दिया गया. क्योंकि उन्हें भर्ती करते समय विश्वविद्यालय के नियमों का पालन नहीं किया गया था. इसके अलावा आदेश में कहा गया कि उनकी नियुक्ति में आरक्षण नियमों का उल्लंघन किया गया था.

भगवान राजपूत नामक शख्स ने त्रिपाठी की प्रारंभिक नियुक्ति को चुनौती देते हुए दायर की गई क्वो-वारंटो याचिका के बाद सर्विस समाप्ति आदेश पारित किया गया था. उस मामले में, विश्वविद्यालय ने तर्क दिया कि त्रिपाठी की नियुक्ति कानूनी नहीं थी.

अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया. यह देखते हुए कि यदि नियोक्ता स्वयं मानता है कि नियुक्ति अवैध थी, तो किसी निर्देश की आवश्यकता नहीं थी. इसके बाद विश्वविद्यालय ने बिना किसी कारण बताओ नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए, तुरंत सर्विस आदेश जारी कर दिया.


Share Now
Ad Space Available Reach 2M+ readers / month
Book Now
Previous Post

हाथ, पैर , धड़ और सिर सब अलग… शव को 5 टुकड़ों में काटकर नाले में फेंका, जबलपुर में खौफनाक वारदात

Next Post

आर्मी का अपमान करने वाले मंत्री का पुतला बचाती नजर आई पुलिस ! कांग्रेस ने उठाए सवाल

Next Post
आर्मी का अपमान करने वाले मंत्री का पुतला बचाती नजर आई पुलिस ! कांग्रेस ने उठाए सवाल

आर्मी का अपमान करने वाले मंत्री का पुतला बचाती नजर आई पुलिस ! कांग्रेस ने उठाए सवाल

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook X-twitter Instagram Youtube

Powered by AMBIT +918825362388