सावन का पवित्र माह भोलेनाथ को समर्पित है. इस माह में भोलेनाथ और माता-पार्वती की आराधना की जाती है. मान्यता भोलेनाथ इतने भोले हैं कि वो अपने भक्तों की पूजा से शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूर्ण कर देते हैं. सावन माह के सोमवार पर जितना महत्व शिवलिंग पर जलाभिषेक का है उतना ही महत्व उनकी आरती का भी है. सावन माह में पूजा समाप्त करने से पहले शिव जी आरती जरूर पढ़ें, अन्यथा इसके बिना शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है. यहां पढ़ें शिव जी की दो आरती.
जय शिव शंकर, जय त्रिपुरारी। जय गिरिजापति, दीन दयाली॥
भूतनाथ हर, गिरिजा प्यारे। सदा बसो तुम ह्रदय हमारे॥
नेत्र तीन सुन्दर त्रिनयना। भाल शशिधर गंगा धारा॥
धर अधर विष भाल शशिधारी। कंठ विराजे नाग बिहारी॥
व्याघ्र चर्म परिधान तुम्हारा। माथे शोभे चंद्र सितारा॥
धूप दीप नेवेद्य चढ़ाएं। श्रद्धा सहित पूजा कराएं॥
कर्पूर गौंरं करुणावतारं। संसार सारं भुजगेन्द्र हारं॥
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे। भवं भवानी सहितं नमामि॥
शिवजी की दूसरी आरती (Shiv Ji Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥