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मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों के कल्याण पर फुल फोकस, 11 सालों में किए कई बड़े बदलाव

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June 23, 2025
in देश
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मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों के कल्याण पर फुल फोकस, 11 सालों में किए कई बड़े बदलाव
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में हर वर्ग और समाज के विकास तथा तरक्की पर फोकस किया गया. पिछले 11 सालों में, केंद्र सरकार ने केंद्रीय स्तर पर अधिसूचित 6 अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी, बौद्ध और जैन) के समावेशी विकास को बढ़ावा देने का काम किया है, साथ ही सामाजिक और आर्थिक अंतर को पाटने की दिशा में कई अहम कदम भी उठाए हैं. सरकार ने देश में अल्पसंख्यकों के कल्याण से जुड़ी कई योजनाएं भी शुरू की.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की ओर से 10 मार्च 2025 तक 1,74,148 से अधिक लाभार्थियों को 752.23 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई. जबकि 2014-15 में, 431.20 करोड़ रुपये वितरित किए गए. इसी तरह जियो पारसी योजना के जरिए वित्त वर्ष 2024 में 3 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिससे शुरुआत से अब तक 400 से अधिक पारसी बच्चों के जन्म में समर्थन दिया जा सका.

10 सालों में 18 हजार करोड़ परियोजना की मंजूरी

प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत 2014-15 से लेकर 2024-25 तक यानी 10 सालों में 18,416 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. साथ ही पीएम विकास में 5 योजनाओं का विलय कर दिया गया, जिससे अल्पसंख्यक युवाओं और महिलाओं को कौशल तथा नेतृत्व प्रशिक्षण के जरिए सुचारू रूप से लाभ मिला.

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से मुस्लिम समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पेश किया गया. इसका मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है. साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को डिजिटलाइज करने और सुधार करने को लेकर उम्मीद नाम से पोर्टल शुरू की गई. पिछले दिनों 6 जून को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों को रियल टाइम पर अपलोड करने, सत्यापन करने और निगरानी करने के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म, उम्मीद सेंट्रल पोर्टल लॉन्च किया गया है.

रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण योजनाएं

अल्पसंख्यकों के लिए मोदी सरकार ने रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण योजनाएं शुरू की गई है. प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) यह मंत्रालय की एक अहम योजना है, जिसमें 5 पूर्ववर्ती योजनाओं सीखो और कमाओ, नई मंजिल, नई रोशनी, हमारी धरोहर और उस्ताद को एकीकृत किया गया है. यह केंद्रीय योजना बच्चों और युवाओं में कौशल विकास के साथ-साथ अल्पसंख्यक महिलाओं की उद्यमिता और नेतृत्व के अलावा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षा में मदद करने के लिए है.

शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के मकसद से मोदी सरकार ने मौलाना आजाद राष्ट्रीय फेलोशिप (एमएएनएफ) शुरू की. साल 2009-10 में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए यह योजना शुरू की गई थी. इस योजना का मकसद अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों को देश में उच्चस्तरीय शिक्षा में एमफिल और पीएचडी जैसी डिग्री हासिल करने के लिए वित्तीय मदद के रूप में फेलोशिप प्रदान करना था. साल 2022-23 में अन्य मंत्रालयों की ओर से ऐसी मिलती-जुलती योजनाएं शुरू किए जाने से इसे बंद कर दिया गया. छात्रों के लिए पढ़ो परदेश योजना शुरू की गई थी.

अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना

इसके अलावा बेगम हजरत महल राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना के जरिए कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाली अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई. यह योजना उन्हीं छात्रों के लिए है जिनके माता-पिता या अभिभावकों की सालाना आय 2 लाख रुपये से अधिक नहीं है. इसके अलावा नया सवेरा (निःशुल्क कोचिंग एवं संबद्ध योजना) यह योजना 2007 में शुरू की गई जिसमें सभी अल्पसंख्यकों को स्पेशल कोचिंग के जरिए तकनीकी या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाने में मदद करना है.

यही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और रेलवे सहित केंद्र तथा राज्य सरकारों के तहत समूह ए, बी, और सी सेवाओं और अन्य समकक्ष पदों पर भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने हेतु मदद प्रदान करना है.

मोदी सरकार ने सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को कम करने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) लागू किया है. देश के 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 308 जिलों के 1300 क्षेत्रों को पीएमजेवीके के तहत कवर किया गया है, जिनमें अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 870 ब्लॉक (एमसीबी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 321 शहर (एमसीटी) और अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाले 109 जिला मुख्यालय शामिल हैं.

हजयात्रा को लेकर केंद्र की पहल

हज पर जाने वालों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत रही है. हज समिति अधिनियम, 2002 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रशासन सहित हज तीर्थयात्रा को 1 अक्टूबर, 2016 से विदेश मंत्रालय से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया. 2014-15 में जहां इसके लिए 47.37 करोड़ रुपये खर्च किए गए तो 2023-24 में यह खर्च 83.51 करोड़ रुपये हो गया.

तीर्थयात्रा के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हज सुविधा ऐप लॉन्च किया गया. अप्रैल में, 620 हज 2025 प्रतिनियुक्तियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया, साथ ही हज यात्रियों के लिए फिटनेस के महत्व के बारे में बताने के लिए हज वॉकथॉन शुरू किया गया.

बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बौद्ध विकास योजना (बीडीपी), कौमी वक्फ बोर्ड तरक्की योजना, शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजना और पारसी समुदाय के लिए जियो पारसी योजनाएं चलाई जा रही है. इसके अलावा लोक संवर्धन पर्व के जरिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय देशभर के अल्पसंख्यक कारीगरों को एक साथ लाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है.

जैन समाज के लिए 2 अध्ययन केंद्र

इन सबके अलावा मंत्रालय ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) के सहयोग से सिख भाषायी और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के खालसा कॉलेज में गुरुमुखी लिपि के केंद्र बनाने के लिए 25 करोड़ की सैद्धांतिक मंजूरी दी.

साथ ही पारसी विरासत को संरक्षित करने के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी के साथ 11.17 करोड़ रुपये की अवेस्ता पहलवी परियोजना और केंद्रीय हिमालयी संस्कृति अध्ययन संस्थान (सीआईएचसीएस) के साथ 40 करोड़ रुपये के अवसंरचना विकास के लिए दो समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए. मंत्रालय ने जैन धर्म के विकास को लेकर दो परियोजनाओं – डीएवीवी, इंदौर में जैन अध्ययन केंद्र और गुजरात यूनिवर्सिटी में जैन पांडुलिपि विज्ञान केंद्र – को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल अनुमानित लागत 65 करोड़ रुपये है.

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