उत्तर प्रदेश रोडवेज को मेरठ में रोजाना करीब 10 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है परिचालकों (कंडक्टर) की भारी किल्लत. मेरठ डिपो में कुल 900 बसें हैं, लेकिन इनमें से सवा सौ से अधिक बसें फिलहाल संचालन से बाहर हैं. इन बसों के लिए परिचालक ही नहीं हैं. करीब 1000 परिचालकों की नियुक्ति होनी है, लेकिन मेरठ रोडवेज को नियुक्ति के लिए कोई कंपनी अभी तक नहीं मिली है.
रोडवेज को परिचालकों की कमी से जूझना पड़ रहा है. सरकार ने रोडवेज में 1000 परिचालकों की भर्ती की अनुमति तो दे दी है, लेकिन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो सकी है. विभाग अब इस भर्ती के लिए किसी उपयुक्त कंपनी की तलाश कर रहा है, ताकि जल्द से जल्द नई नियुक्तियां हो सकें. हालांकि मृतक आश्रित 80 लोगों को नियुक्ति मिली थी, लेकिन केवल 50 को ही नियुक्ति दी जा सकी है. बाकी 30 के लिए कोर्ट से किसी कारण स्टे ले लिया गया है.