Today – July 21, 2025 12:15 am
Facebook X-twitter Instagram Youtube
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
Ad Space Available by aonenewstv
Home धार्मिक

माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म क्या पहले से ही था निर्धारित?

News room by News room
June 22, 2025
in धार्मिक
0
माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म क्या पहले से ही था निर्धारित?
Share Now

हिंदू धर्म में माता पार्वती को प्रमुख देवियों में से एक माना जाता हैं, जो सारे जगत की जननी हैं. माता पार्वती को भगवान शिव की पत्नी और शक्ति का स्वरूप माना जाता है. वे प्रकृति, उर्वरता, दैवीय शक्ति, वैवाहिक आनंद, भक्ति और तपस्या की देवी हैं. माता पार्वती भगवान शिव की दूसरी पत्नी और देवी सती का पुनर्जन्म हैं. उनकी कथा शिव पुराण, देवी भागवत पुराण, स्कंद पुराण और कालिदास के महाकाव्य ‘कुमारसंभव’ में विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है.

Ad Space Available by aonenewstv

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म पहले से ही निर्धारित था. यह एक दैवीय योजना का हिस्सा था, जो ब्रह्मांडीय संतुलन और विशेष रूप से भगवान शिव को गृहस्थ जीवन में लाने के लिए आवश्यक था, ताकि वे ताड़कासुर जैसे शक्तिशाली असुर का वध करने वाले पुत्र (कार्तिकेय) को जन्म दे सकें. यह कथा कई प्रमुख हिंदू धर्मग्रंथों, जैसे शिव पुराण, देवी भागवत पुराण और कालिका पुराण में विस्तार से वर्णित है.

सती का दक्ष यज्ञ में आत्मदाह

मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थीं, और वे प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं. राजा दक्ष ने जब एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, तो उन्होंने जानबूझकर भगवान शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया. इसके बाद सती अपने पिता के यज्ञ में बिन बुलाए ही पहुंच गईं. वहां दक्ष ने शिव का घोर अपमान किया. सती अपने पति के अपमान को सहन न कर सकीं और योग अग्नि द्वारा अपने शरीर का आत्मदाह कर त्याग कर दिया.

भगवान शिव का वैराग्य और सृष्टि का संकट

सती के देह त्याग से भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने दक्ष के यज्ञ को भंग कर दिया. इसके बाद, भगवान शिव गहरे शोक में डूब गए और वे घोर तपस्या में लीन होकर कैलाश पर्वत पर वैराग्य धारण कर लिया. शिव के वैराग्य धारण करने से सृष्टि में असंतुलन पैदा हो गया, क्योंकि उनके बिना ‘शक्ति’ (सती का स्वरूप) ब्रह्मांड में पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं थी.

ताड़कासुर का आतंक और ब्रह्मा का वरदान

माता सती के आत्मदाह के बाद ताड़कासुर नामक एक अत्यंत शक्तिशाली असुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया था. ताड़कासुर को ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि उसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही हो सकता है. चूंकि शिव घोर तपस्या में लीन थे और वैरागी थे, इसलिए देवताओं के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई कि शिव पुत्र का जन्म कैसे होगा.

देवताओं का हस्तक्षेप और सती के पुनर्जन्म की योजना

इस संकट को देखकर सभी देवता ब्रह्मा और भगवान विष्णु के पास गए. तब यह बात सामने आई कि सती ही हिमालयराज हिमवान और उनकी पत्नी मैना के यहां पार्वती के रूप में जन्म लेंगी. यह दैवीय योजना पहले से ही निर्धारित थी. पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म शिव को वैराग्य से निकालकर गृहस्थ जीवन में लाने और ताड़कासुर का संहार करने वाले पुत्र (कार्तिकेय) को जन्म देने के लिए आवश्यक था.

पार्वती की तपस्या और शिव से विवाह

माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. उन्होंने अपनी भक्ति और तपस्या से शिव को प्रसन्न किया. कामदेव को शिव के तप को भंग करने के लिए भेजा गया था, लेकिन शिव ने उसे भस्म कर दिया. यह दिखाता है कि शिव को जगाना कितना मुश्किल था. अंततः, शिव ने पार्वती की भक्ति को देखकर उनसे विवाह करने का निर्णय लिया. इस विवाह के बाद ही कार्तिकेय का जन्म हुआ, जिन्होंने ताड़कासुर का वध किया.

पूर्वनिर्धारित था सती का पुनर्जन्म

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ये बात साबित होती है कि माता पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म पूरी तरह से पूर्वनिर्धारित था. यह केवल एक आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि ब्रह्मांडीय संतुलन बनाए रखने, धर्म की स्थापना करने और विशेष रूप से ताड़कासुर जैसे असुर का वध करने वाले पुत्र के जन्म को सुनिश्चित करने के लिए एक दैवीय लीला और योजना का हिस्सा था. यह शिव और शक्ति के शाश्वत मिलन और उनके अभिन्न संबंध को भी दर्शाता है.


Share Now
Ad Space Available Reach 2M+ readers / month
Book Now
Previous Post

ईरान न बने परमाणु ताकत, खत्म हो खामेनई की हुकूमत… News9 पर इजराइल ने बताया युद्ध का मकसद

Next Post

Google Maps के ये फीचर्स आपका काम कर देंगे आसान, ऐसे करें यूज

Next Post
Google Maps के ये फीचर्स आपका काम कर देंगे आसान, ऐसे करें यूज

Google Maps के ये फीचर्स आपका काम कर देंगे आसान, ऐसे करें यूज

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook X-twitter Instagram Youtube

Powered by AMBIT +918825362388