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भोपाल गैस त्रासदी का आखिरी कचरा 40 साल बाद हुआ स्वाहा, 337 टन को 55 दिन में किया गया खत्म

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July 1, 2025
in मध्यप्रदेश
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भोपाल गैस त्रासदी का आखिरी कचरा 40 साल बाद हुआ स्वाहा, 337 टन को 55 दिन में किया गया खत्म
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देश में 2 दिसंबर 1984 को एक ऐसी त्रासदी हुई थी, जिसमें हजारों की तादाद में लोग मारे गए थे. इसी भोपाल गैस त्रासदी के पूरे 40 साल बाद अब उसके बचे हुए आखिरी 337 टन कचरे को जलाकर खाक कर दिया गया है. दरअसल, त्रासदी के पुराने कचरे को जलाने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था. लंबे समय तक कोर्ट में यह मामला रहा. इसी के बाद आखिरकर वो समय आया जब कचरे को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर लाया गया. इसी के बाद कोर्ट के फैसले के बाद कचरा जलाने का काम शुरू हुआ. 29 और 30 जून की आधी रात को लगभग 1 बजे तक पूरा 337 टन कचरा जलकर खाक हो गया.

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6 महीने पहले 337 टन जहरीले कचरे को कंटेनर में भरकर मध्य प्रदेश के डिस्पोसल प्लांट पीथमपुर लाया गया. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने कहा कि पहले संयंत्र में तीन ट्रायल के दौरान 30 टन कचरा जला दिया गया था, बाकी 307 टन कचरा 5 मई और 29-30 जून की रात के बीच जला दिया गया था.

40 साल बाद जलाया गया कचरा

धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक शहर में कचरे को जलाए जाने को लेकर पहले विवाद छिड़ गया था. स्थानीय लोग कचरे को जलाने के खिलाफ थे. उनका कहना था कि ऐसा करने से पर्यावरण और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. इसी के बाद लंबे समय के बाद कचरे को जलाने का फैसला लिया गया.

55 दिन में जलाया गया कचरा

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया, पीथमपुर में निपटान संयंत्र (Disposal Plant) में 307 टन कारखाने के कचरे को जलाने की प्रक्रिया 5 मई को शाम लगभग 7.45 बजे शुरू हुई और 29-30 जून की आधी रात को 1 बजे पूरी हुई.

उन्होंने बताया कि 27 मार्च को जारी हाईकोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में इसे अधिकतम 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से जलाया गया. द्विवेदी के अनुसार, कुल 337 टन कचरे को जलाने के बाद बची राख और बाकी के अवशेषों को बोरियों में सुरक्षित रूप से पैक करके प्लांट के लीक-प्रूफ स्टोरेज शेड में रखा जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अवशेष को जमीन में दफनाने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया के अनुसार विशेष लैंडफिल सेल का निर्माण किया जा रहा है और यह काम नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है. एक प्रेस रिलीज में, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कारखाने के परिसर की मिट्टी में पाए गए लगभग 19 टन ‘अतिरिक्त कचरे’ को पीथमपुर संयंत्र में जलाया जा रहा है और यह प्रक्रिया 3 जुलाई तक पूरी हो जाएगी.

5 हजार लोगों की हुई थी मौत

भोपाल गैस त्रासदी भारत की एक बड़ी त्रासदी में से एक है. 2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस (एमआईसी) का रिसाव हुआ. इस गैस के फैल जाने से कम से कम 5,479 व्यक्ति मारे गए.


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