भारत के खिलाफ बड़े साइबर अटैक की साजिश रची जा रही है. इसका खुलासा “Roar of Sindoor” रिपोर्ट से हुआ है. साजिश के तहत तकनीकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के साथ ही देश में गलत जानकारी और फेक नैरेटिव फैलाकर सामाजिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस रिपोर्ट को “Echos of Pahalgam” के बाद जारी किया गया है, जिसने पहले ही भारत को कई महत्वपूर्ण साइबर हमलों से बचाने में भूमिका निभाई थी. नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत पर साइबर हमले करने वाले समूहों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और मिडिल ईस्ट के कई खतरनाक हैकर ग्रुप्स शामिल हैं.
अब तक 1.5 मिलियन अटैक, 150 सफल प्रयास
रिपोर्ट के मुताबिक, इन ग्रुप्स द्वारा अब तक भारत पर 1.5 मिलियन से अधिक साइबर अटैक किए जा चुके हैं, जिनमें से 150 हमले सफल माने जा रहे हैं. यह हमले मुख्यतः भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों, ऊर्जा सेक्टर, और महत्वपूर्ण डाटा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित रहे हैं.
साइबर हमलों के साथ चल रहा है हाइब्रिड वॉर
रिपोर्ट में इस खतरे को केवल तकनीकी तक सीमित नहीं बताया गया है. बल्कि इसे एक “हाइब्रिड वॉर” का हिस्सा माना गया है. इस युद्ध का एक बड़ा पहलू मिस इन्फॉर्मेशन वॉर यानी फर्जी और भ्रामक जानकारी फैलाना है. इसका मकसद जनता में भ्रम, भय और अविश्वास फैलाना है.
देश के भीतर सक्रिय हो सकते हैं स्लीपर सेल
रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई है कि भारत के भीतर स्लीपर सेल्स सक्रिय हो सकते हैं, जो इन साइबर और सूचना हमलों में सहयोग कर रहे हैं. हालांकि उनकी पहचान अब तक सामने नहीं आई है लेकिन खुफिया एजेंसियां इस दिशा में सतर्क हो गई हैं.
5000 से अधिक मिस इन्फॉर्मेशन कैंपेन
अब तक सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 5000 से अधिक फर्जी प्रचार अभियानों को भारत के खिलाफ चलाया गया है. इनमें से कुछ बड़े दावे शामिल हैं जैसे
- महाराष्ट्र में पावर ग्रिड पर फर्जी तोड़फोड़ की खबर
- ब्रह्मोस मिसाइल केंद्र पर हमले की अफवाह
इनमें से 83 अभियानों को निष्क्रिय कराने की कोशिश की गई. अब तक 38 कैंपेन को सफलतापूर्वक हटाया भी जा चुका है.
बढ़ती चुनौती के बीच साइबर डिफेंस को मजबूत करने की जरूरत
“Roar of Sindoor” रिपोर्ट भारत की साइबर सुरक्षा के लिए चेतावनी की घंटी है. ये न केवल डिजिटल संरचनाओं की सुरक्षा को लेकर सजगता की मांग करती है, बल्कि सामाजिक तानेबाने को भ्रामक सूचनाओं से बचाने की भी चुनौती पेश करती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब भारत को साइबर डिफेंस को राष्ट्रीय सुरक्षा के समकक्ष प्राथमिकता देनी होगी.