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बिहार से आजतक नहीं बना कोई उपराष्ट्रपति, जानिए इस कुर्सी पर किस राज्य का कितना दबदबा रहा

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July 24, 2025
in बिहार
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बिहार से आजतक नहीं बना कोई उपराष्ट्रपति, जानिए इस कुर्सी पर किस राज्य का कितना दबदबा रहा
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जगदीप धनखड़ की ओर से स्वास्थ्य कारणों के हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद देश की सियासत गरमा गई है. अब यह चर्चा हर ओर है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा. सत्ता और विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर अभी कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है. हालांकि कुछ नाम सियासी गलियारों में तैर जरूर रहे हैं. अभी एक नाम तेजी से चर्चा में आ गया है और वो है केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर का नाम. रामनाथ का नाता बिहार से है और वो कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं.

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सियासत के लिहाज से बिहार की देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान रही है. इस राज्य को राजनीतिक रूप से बेहद सक्रिय राज्य माना जाता है. बिहार के खाते में ही देश को पहला राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद) देने का भी रिकॉर्ड है. लेकिन जहां तक उपराष्ट्रपति देने की बात है कि अब तक बिहार से एक भी शख्स उपराष्ट्रपति की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है. रामनाथ ठाकुर समेत बिहार से आने वाले कुछ नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं. अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा ये तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन हम यहां इस बात पर चर्चा करने जा रहे हैं कि अब तक उपराष्ट्रपति की कुर्सी पर किन-किन राज्यों के लोग बैठने में कामयाब रहे. सबसे अधिक उपराष्ट्रपति किस राज्य ने दिए.

बिहार ने दिया देश को पहला राष्ट्रपति

जगदीप धनखड़ समेत देश में अब तक कुल 14 उपराष्ट्रपति हो चुके हैं और इनमें से 2 तो 10-10 साल पद पर रहे हैं. आजादी के बाद बिहार से ताल्लुक रखने वाले राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने तो उपराष्ट्रपति बनने का गौरव मिला प्रख्यात शिक्षाविद् डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को. राजेंद्र प्रसाद की तरह राधाकृष्णन भी निर्विरोध चुने गए. राधाकृष्णन इस पद पर लगातार 10 साल तक बने रहे. प्रख्यात शिक्षाविद् और पूर्व डिप्लोमैट राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था.

1962 में राजेंद्र प्रसाद ने अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद स्वतः राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के अगले राष्ट्रपति बने. उनकी जगह जाकिर हुसैन ने उपराष्ट्रपति का पद (1962 से 1967) संभाला. वह भी महान शिक्षाविद् रहे और उनका नाता अविभाजित आंध्र प्रदेश से था.

साउथ के बाद पूर्वी राज्य से खुला खाता

जाकिर हुसैन के 1967 में राष्ट्रपति बनने की वजह से खाली हुए उपराष्ट्रपति पद पर ओडिशा के वीवी गिरी काबिज हुए. लेकिन 2 साल बाद 1969 में जाकिर हुसैन का निधन हो गया तो गिरी ने पद से इस्तीफा दे दिया ताकि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकें. गिरी जहां राष्ट्रपति बने तो गोपाल स्वरूप पाठक उपराष्ट्रपति चुने गए. गोपाल स्वरूप उत्तर प्रदेश से वास्ता रखते थे.

हालांकि 1974 में जब वीवी गिरी ने बतौर राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पूरा किया तो गोपाल स्वरूप पाठक को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाया गया. इस तरह से वह देश के पहले ऐसा नेता बने जो उपराष्ट्रपति बनने के बाद राष्ट्रपति पद पर नहीं पहुंच पाए. उनकी जगह फखरुद्दीन अली अहमद देश के राष्ट्रपति हुए. वहीं उपराष्ट्रपति के पद पर बीडी जत्ती काबिज हुए. वह कर्नाटक के रहने वाले थे. वह कुछ समय के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे.

पूर्व CJI मोहम्मद हिदायतुल्लाह बने उपराष्ट्रपति

जत्ती राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के निधन की वजह से कुछ समय के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति बने, और उन्होंने अपना कार्यकाल 1979 में पूरा किया. वह भी राष्ट्रपति के पद पर नहीं पहुंच पाए. उनकी जगह 1977 में नीलम संजीव रेड्डी देश के नए राष्ट्रपति चुने गए. जबकि जत्ती की जगह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह उपराष्ट्रपति बने. वह मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. बतौर उपराष्ट्रपति हिदायतुल्लाह 1984 में रिटायर हुए.

हिदायतुल्लाह के बाद आर वेंकटरमण देश के अगले उपराष्ट्रपति बने. जबकि नीलम संजीव रेड्डी के बाद राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल हुआ ज्ञानी जैल सिंह को. आर वेंकटरमण तमिलनाडु के रहने वाले थे. वह करीब 3 साल तक उपराष्ट्रपति के पद पर रह सके क्योंकि ज्ञानी जैल सिंह के 1987 में रिटायर होने के बाद वेंकटरमण ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया. वेंकटरमण 25 जुलाई 1987 को राष्ट्रपति बने तो डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा सितंबर 1987 में उपराष्ट्रपति बने. हिदायतुल्लाह की तरह शंकर दयाल शर्मा भी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे.

एक और दक्षिणी राज्य से मिला उपराष्ट्रपति

साल 1992 में शंकर दयाल शर्मा जब राष्ट्रपति बने तो केरल से आने वाले और मशहूर डिप्लोमैट केआर नारायणन उपराष्ट्रपति बने. यह दक्षिण का चौथा राज्य बना जहां से कोई उपराष्ट्रपति चुना गया. केरल से पहले तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को उपराष्ट्रपति पद मिल चुका था. केआर नारायणन 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राष्ट्रपति के पद पर काबिज हुए जबकि पंजाब से आने वाले कृष्ण कांत को उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल हुआ.

बदले राजनीतिक हालात की वजह से कृष्ण कांत राष्ट्रपति नहीं बन सके और एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बने तो भैरोंसिंह शेखावत उपराष्ट्रपति (2002 से 2007) बने. भैरोंसिंह का जन्म राजस्थान में हुआ था और वह यहां के मुख्यमंत्री भी रहे थे. भैरोंसिंह के बाद हामिद अंसारी (2007 से 2012) उपराष्ट्रपति बने जिनका नाता पश्चिम बंगाल से रहा था. वहीं कलाम के बाद प्रतिभा देवी सिंह पाटिल राष्ट्रपति (2007 से 2012) बनी थीं.

लगातार 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी

हामिद अंसारी लगातार 10 साल उपराष्ट्रपति के पद पर रहे. वह प्रतिभा पाटिल के बाद प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपतित्व काल में भी उपराष्ट्रपति रहे. वह 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहने वाले दूसरे नेता हैं. हामिद के रिटायर होने के बाद एम वेंकैया नायडू (2017 से 2022) देश के 13वें उपराष्ट्रपति बने जबकि राष्ट्रपति थे रामनाथ कोविंद (2017 से 2022). नायडू का नाता आंध्र प्रदेश से रहा था. नायडू के रिटायर होने के बाद राजस्थान से आने वाले जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 में देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने, लेकिन ये अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. पिछले दिनों उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देत हुए पद छोड़ दिया.

तमिलनाडु के पास सर्वाधिक समय तक रहा पद

इस तरह से देखें तो तमिलनाडु के पास सबसे अधिक 3 बार उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल है. सर्वपल्ली राधाकृष्णन लगातार 2 बार उपराष्ट्रपति बने फिर आर वेंकटरमन उपराष्ट्रपति बने. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ये वो 5 राज्य हैं जहां से 2-2 बार उपराष्ट्रपति चुने गए. पश्चिम बंगाल से आने वाले हामिद अंसारी लगातार 2 बार उम्मीदवार बने और दोनों ही बार चुनाव जीतकर उपराष्ट्रपति बनने में कामयाब भी रहे. राधाकृष्णन और अंसारी 2-2 बार उपराष्ट्रपति बनने वाले नेता हैं.

जहां तक उत्तर प्रदेश की बात है तो चौथे उपराष्ट्रपति के रूप में उसे अपना पहला और आखिरी उपराष्ट्रपति मिला. इसके बाद उसे अपने दूसरे उपराष्ट्रपति का इंतजार है. इसी तरह देश को पहला राष्ट्रपति देने वाला बिहार को अभी तक एक भी उपराष्ट्रपति नहीं मिल सका है. ऐसे में देखना होगा कि कुछ महीने बाद बिहार में होने वाले चुनाव से पहले उपराष्ट्रपति चुनाव के जरिए यहां से कोई उपराष्ट्रपति मिलता है या नहीं.


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