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Home बिहार

बिहार में वोटर लिस्ट पर घमासान, राहुल, तेजस्वी से लेकर ममता तक क्यों हैं परेशान?

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June 27, 2025
in बिहार
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बिहार में वोटर लिस्ट पर घमासान, राहुल, तेजस्वी से लेकर ममता तक क्यों हैं परेशान?
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था. महाराष्ट्र चुनाव से पहले बिहार चुनाव में मैच फिक्सिंग का आरोप लगाते हुए संकेत दिया था कि बिहार चुनाव में भी विपक्ष के निशाने पर चुनाव आयोग रहेगा और अब बिहार चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां और चुनाव आयोग आमने-सामने है. हाल में चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची का सत्यापन करने का आदेश दिया. चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं.

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चुनाव आयोग के इस आदेश का विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध किया है. महागठबंधन में शामिल पार्टियां आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट ने चुनाव आयोग के इस कदम का कड़ा विरोध किया. केवल बिहार में ही चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध नहीं किया जा रहा है, बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कदम को “एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से भी ज्यादा खतरनाक” बताया और आरोप लगाया कि उनका राज्य, जहां अगले साल चुनाव होने हैं, असली ‘टारगेट’ है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध किया है. इस तरह से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले फिर से चुनाव आयोग और विपक्ष सामने-सामने है.

जानें चुनाव आयोग ने क्या दिया है आदेश

चुनाव आयोग ने 24 जून को एक आदेश जारी कर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी. आयोग के अनुसार, यह कदम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत वैध है, जिसके अंतर्गत आयोग किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी समय मतदाता सूची के विशेष संशोधन का आदेश दे सकता है.

इस संशोधन के तहत सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से गणना फॉर्म भरना होगा और 1 जनवरी 2003 के बाद पंजीकृत सभी मतदाताओं को नागरिकता प्रमाण के दस्तावेज जमा करने होंगे. यह प्रक्रिया 25 जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी और अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन इसी दिन किया जाएगा.

गहन संशोधन की क्यों पड़ी जरूरत?

चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण के पीछे कई कारण गिनाए हैं. इनमें शहरीकरण की तेज गति, आंतरिक पलायन, मृतकों के नाम सूची से हटाने में देरी, नए योग्य युवाओं का पंजीकरण और कथित रूप से अवैध विदेशी नागरिकों के नामों का शामिल होना शामिल है. आयोग का कहना है कि इन सभी कारणों से मतदाता सूची की शुद्धता प्रभावित होती है और इसे ठीक करने के लिए यह विशेष अभ्यास आवश्यक है.

इस गहन पुनरीक्षण के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर प्रत्येक मतदाता से व्यक्तिगत जानकारी लेंगे. इसके लिए हर मतदाता को एक व्यक्तिगत गणना फॉर्म भरना होगा. 2003 के बाद मतदाता सूची में नाम जुड़वाने वालों को अपने नागरिक होने का प्रमाण भी देना होगा. इसमें पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, माता-पिता के मतदाता पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश, भूमि रिकॉर्ड, स्थानीय निकाय द्वारा जारी निवास प्रमाणपत्र आदि दस्तावेज मान्य माने जाएंगे.

इससे पहले, BLO घरों में जाकर ‘गणना पैड’ भरवाते थे जो परिवार के मुखिया द्वारा भर दिया जाता था, लेकिन इस बार हर व्यक्ति को अलग-अलग दस्तावेज और फॉर्म भरने होंगे. साथ ही, नए मतदाता पंजीकरण के लिए फॉर्म 6 में अब एक अतिरिक्त घोषणापत्र जोड़ा गया है, जिसमें नागरिकता का स्पष्ट प्रमाण देना अनिवार्य होगा.

EC के आदेश का महागठबंधन ने किया विरोध

चुनाव आयोग के आदेश का महागठबंधन के नेताओं ने विरोध किया. शुक्रवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, सीपीआई (एमएल) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य सहित अन्य घटक दलों ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग के आदेश का विरोध किया और आरोप लगाया कि बीजेपी पर गरीबों से वोटिंग अधिकार छीनने का आरोप लगाया. इस आरोप को लेकर इंडिया गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मुलाकात करेगा और अपनी शिकायत दर्ज कराएगा और फिर इसे लेकर आंदोलन किया जाएगा.

कांग्रेस ने संशोधन अभ्यास का विरोध करते हुए कहा है कि यह राज्य मशीनरी का उपयोग करके मतदाताओं को जानबूझकर बहिष्कृत करने का जोखिम उठाता है. कांग्रेस ने कहा कि यह चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट और स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि भारत की मतदाता सूची के साथ सब कुछ ठीक नहीं है. यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र के साक्ष्यों के साथ बार-बार बता रहे हैं.

बिहार में इस साल नवंबर में चुनाव होने जा रहे हैं, जबकि पांच अन्य राज्यों – पश्चिम बंगाल, केरल, असम, पुडुचेरी, और तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव 2026 को प्रस्तावित हैं.

ममता ने एनआरसी से भी बताया खतरनाक

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भारत का चुनाव आयोग नई मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया की आड़ में बंगाल के युवाओं को निशाना बना रहा है. ममता बनर्जी ने कहा कि यह बहुत चिंताजनक है। उन्होंने मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए एक घोषणा पत्र पेश किया है. 1 जुलाई 1987 और 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों के लिए, मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र के साथ एक नया घोषणा पत्र जमा करना होगा.

ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र जमा करने होंगे. पूर्ण गणना के नाम पर क्या चल रहा है? यह ईसीआई का एक दस्तावेज और घोषणा पत्र है. इसमें कई अनियमितताएं हैं, उन्होंने कहा कि संशोधन के कारण ग्रामीण लोग बाहर रह जाएंगे और फिर आप सूची बढ़ाने के लिए ‘उधार’ मतदाताओं के नाम शामिल करेंगे.

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आप हार रहे हैं. सिर्फ इसलिए कि आप हार रहे हैं, आप दूसरे राज्यों के नाम जोड़ देंगे. यह एनआरसी से भी अधिक खतरनाक है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने भाजपा और ईसीआई पर मिलकर काम करने और “बंगाल और उसके लोगों को निशाना बनाने” का आरोप लगाया. ममता बनर्जी ने इससे पहले साल 2021 के चुनाव में एनआरसी का मुद्दा उठाया था और आरोप लगाया था कि बांग्लाभाषी लोगों को निशाना बना रही है.


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