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बिल जमा न हुआ हो तो भी 2 घंटे से ज्यादा अस्पताल में नहीं रख सकते शव, इस राज्य सरकार का अस्पतालों को आदेश

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July 11, 2025
in देश
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बिल जमा न हुआ हो तो भी 2 घंटे से ज्यादा अस्पताल में नहीं रख सकते शव, इस राज्य सरकार का अस्पतालों को आदेश
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असम सरकार ने गुरुवार को बताया कि मंत्रिमंडल ने जनता के हित को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए हैं. जिसमें उन्होंने कहा कि किसी भी निजी अस्पताल को मरीज के शव को दो घंटे से ज्यादा रखने की अनुमति नहीं होगी, भले ही परिवार इलाज का बिल न चुका पाए. एक अन्य फैसले में कहा गया कि असम में चल रहे मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए आठ जिलों में एक नई योजना शुरू की जाएगी.

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मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह जानकारी एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए दी. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के साथ हुई इस बैठक में बच्चों की शिक्षा से लेकर वर्तमान समय में चल रहे असम-हाथी संघर्ष, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि को ध्यान में रखते हुए कई अहम फैसले लिए गए.

मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के दो घंटे में देना होगा शव

सीएम सरमा ने कहा कि अब पैसे या किसी अन्य कारण से निजी अस्पतालों द्वारा शवों को रोककर नहीं रखा जाएगा. उन्हें कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के दो घंटे के भीतर शव उसके परिवारजन को सौंपने होंगे, चाहे भुगतान कितना भी लंबित क्यों न हो. इससे ज्यादा देरी होने पर अस्पतालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है. सरमा ने कहा कि सरकार एक 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 104 चालू करेगी. इस टोल फ्री नंबर पर परिवार शव न मिलने की सूचना दे सकते हैं. शिकायत मिलने के बाद निर्दिष्ट प्राधिकारी घटनास्थल का दौरा करने जाएंगे और अगर शव को गलत तरीके से रखा गया होगा तो उसे वापस लेकर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

अस्पतालों को 5 लाख रुपये तक का देना पड़ सकता है जुर्माना

सीएम ने कहा कि दोषी अस्पतालों का लाइसेंस 3-6 महीने के लिए निलंबित किया जाएगा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अपराध दोहराने पर उनका पंजीकरण हमेशा के लिए रद्द भी किया जा सकता है. सीएम ने कहा कि कैबिनेट ने असम में निजी नर्सिंग होम द्वारा की जाने वाली जबरदस्ती की गतिविधियों को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) और नियामक दिशानिर्देशों के मसौदे को मंजूरी दे दी है. ऐसी घटनाओं की सूचना चार घंटे के भीतर पुलिस और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को देनी होगी.

मानव-हाथी संघर्ष को लेकर बनाई योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि मानव-हाथी संघर्ष की सबसे अधिक आशंका वाले आठ जिलों में ‘गज मित्र योजना’ के कार्यान्वयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. इन आठ जिलों में ग्वालपाड़ा, उदलगुरी, नागांव, बक्सा, सोनितपुर, गोलाघाट, जोरहाट और विश्वनाथ शामिल हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस संघर्ष से प्रभावित गांवों में एक समुदाय-आधारित स्वैच्छिक निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया दल बनाने का प्रस्ताव है. प्रत्येक दल में स्थानीय समुदाय के आठ सदस्य होंगे, जो 80 स्थानों पर छह महीने तक काम करेंगे. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि इस दौरान संघर्ष चरम पर होता है और धान की खेती का मौसम भी होता है.

क्या है ‘गज मित्र योजना’?

सरमा ने बताया कि ‘गज मित्र योजना’ एक सक्रिय, प्रशिक्षित और समुदाय-आधारित सहायता प्रणाली है. जो संघर्ष वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की मदद करेगी. यह मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में वन विभाग के प्रयासों में सहायक होगी. इसके साथ ही जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा करने का सफल प्रयास करेगी और हाथियों और किसानों की सुगमता के लिए प्रयासरत रहेगी.

प्रधानों और ब्रह्मचारी भिक्षुओं को देगी राहत

सीएम सरमा ने गांव के प्रधानों को राहत देते हुए कहा कि सरकार ने इस साल 1 अक्टूबर से गांव प्रधानों का पारिश्रमिक 9,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 14,000 रुपये प्रतिमाह करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने वैष्णव मठ में रहने वाले पात्र ब्रह्मचारी भिक्षुओं को 1,500 रुपये की प्रति माह की वित्तीय सहायता देने को मंजूरी दी है, ताकि अपनी परंपरा निभाने वाले ये लोग अपना भरण-पोषण सुगमता से कर सकें.

10 वीं में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक नई योजना

सरमा ने कहा कि कैबिनेट ने कक्षा 10 में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपनी परीक्षा तक किसी तरह की असुविधा का सामना ने करना पड़े, इसके लिए ‘प्रेरणा आसोमी योजना’ लागू करने की मंजूरी दी है. इस योजना के तहत कक्षा 10 में पढ़ने वाले सभी छात्रों को 1 नवंबर से मैट्रिक परीक्षा तक 300 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

सीएम ने कहा कि मंत्रिमंडल ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के लिए राज्य प्रोत्साहन राशि में बढ़ोत्तरी की है. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में 1,500 रुपये और सहायिकाओं की राशि में 750 रुपये की वृद्धि की जाएगी. जिसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मासिक पारिश्रमिक 8,000 रुपये और आंगनवाड़ी सहायिकाओं का 4,000 रुपये हो जाएगा.


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