Today – July 22, 2025 3:57 am
Facebook X-twitter Instagram Youtube
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
Ad Space Available by aonenewstv
Home मनोरंजन

नहीं कर सकते माफ…नेक हैं इरादे, पर कमजोर प्रस्तुति ने बिगाड़ा खेल

News room by News room
May 23, 2025
in मनोरंजन
0
नहीं कर सकते माफ…नेक हैं इरादे, पर कमजोर प्रस्तुति ने बिगाड़ा खेल
Share Now

कभी सोचा है, अगर आप एक ही दिन को बार-बार जीने लगें तो क्या होगा? हर सुबह एक ही जगह, एक ही पल में जागना, वही बातें, वही लोग…कोई भी ऐसी बोरिंग जिंदगी नहीं जीना चाहेगा, पर बनारस का रंजन (राजकुमार राव) इस ‘टाइम लूप’ में बुरी तरह फंसा हुआ है. मैडॉक फिल्म्स और दिनेश विजन एक बार फिर राजकुमार राव के साथ एक नई कहानी लेकर आए हैं, जिसका नाम है ‘भूल चूक माफ.’ लेकिन अफसोस, इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक एक अच्छे विषय को इतनी बुरी तरह पेश करने के लिए मेकर्स को कभी ‘माफ’ नहीं कर पाएंगे. काफी इंतजार के बाद, कई बार रिलीज की तारीखें बदलने, ओटीटी से पीवीआर थिएटर तक के सफर और मानहानि के दावों के बावजूद, आखिरकार ये फिल्म सिनेमाघरों में पहुंच ही गई है. तो आइए अब विस्तार से बात करते हैं कि राजकुमार राव की ये नई ‘देसी कॉमेडी’ के बारे में

Ad Space Available by aonenewstv
कहानी की शुरुआत होती है मंदिरों और घाटों के शहर बनारस से, जहां रंजन (राजकुमार राव) अपनी बचपन की मोहब्बत, तितली (वामिका गब्बी) से शादी के सपने देख रहा है. लेकिन इस शादी के लिए तितली के पिता राजी नहीं है. अब रंजन नौकरी के चक्कर में हर मुमकिन कोशिश करता है और आखिरकार उसे महज 2 महीने में सरकारी नौकरी भी मिल जाती है. लेकिन फिर भी उसकी जिंदगी थम जाती है. हर सुबह उठकर रंजन उसी दिन पर लौट आता है, जब उसका हल्दी समारोह चल रहा था. शादी के दिन तक वो पहुंच नहीं पाता. अब इस मुश्किल उलझन को रंजन कैसे सुलझाएगा? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर राजकुमार राव की ‘भूल चूक माफ’ देखनी होगी.

जानें कैसी है फिल्म

‘भूल चूक माफ’ देखने के बाद एक अच्छे विषय को बुरी तरह से पेश करने की भूल करने के लिए दर्शक निर्देशक करण शर्मा को कभी माफ नहीं कर पाएंगे. 121 मिनट की फिल्म में फिल्म में इतने किरदार और इतनी छोटी-छोटी कहानियां ठूस दी गई हैं कि हम कन्फ्यूज हो जाते हैं. उदहारण के तौर पर बात की जाए तो इस फिल्म के प्रेस शो में हुए इंटरवल में ही कई लोगों ने ये अंदाजा लगा लिया था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन डायरेक्टर ने फिर भी इंटरवल के आधे घंटे के बाद मुद्दे की बात करना शुरू किया. फिल्म का एक भी गाना याद नहीं रहता. राजकुमार राव और वामिका गब्बी के बीच की जीरो केमिस्ट्री इस फिल्म की ताबूत में आखिरी कील साबित होते हैं.

निर्देशन

इंसान की जिंदगी में सिर्फ एक ही दिन का बार-बार आना, ये शुरुआत में सुनने में इंटरेस्टिंग लगता है, लेकिन इससे ज्यादा से ज्यादा एक शॉर्ट या रील बन सकता है. इससे आगे अगर कहानी लेनी हो, तो फिर कई चीजों पर काम करना पड़ेगा, जो इस फिल्म की स्क्रिप्ट में नजर नहीं आता. अपने जीवन में बार-बार वहीं तारीख आ रही है, इस बात का एहसास सिर्फ रंजन को होता है और बाकियों को नहीं, ये थोड़ा अजीब लगता है. फिल्म क्लाइमेक्स जितना शानदार है, उतना ही वहां तक दर्शकों को लेकर जाने वाला ‘टाइम लूप’ का प्लॉट बेहद कमजोर. अगर ‘टाइम लूप’ जैसी कांसेप्ट पर काम करना निर्देशक के लिए इतना ही मुश्किल था, तो वो इस इस समय के रुकने के ट्रैक के बजाए कुछ और ट्रैक के साथ ये कहानी आगे बढ़ाते. अगर स्क्रिप्ट पर सही तरीके से काम किया जाता, तो जीरो केमिस्ट्री और बुरे गानों के बावजूद ये एक जबरदस्त फिल्म बन जाती. लेकिन यहां पर बतौर राइटर और डायरेक्टर करण शर्मा ने बेहद निराश किया.

एक्टिंग

हमेशा की तरह इस बार भी ‘राजन’ के किरदार में राजकुमार राव ने जान लगा दी है. उनके एक्सप्रेशंस, उनकी बॉडी लैंग्वेज सब कुछ शानदार है. लेकिन ‘तितली’ के किरदार में वामिका गब्बी प्रभावित नहीं कर पाती. उनकी एक्टिंग जरूरत से ज्यादा लाउड लगती हैं. बाकी सभी किरदार अपनी भूमिका को न्याय देने की पूरी कोशिश करते हैं. लेकिन वो फिल्म को बचा नहीं पाते.

देखें या न देखे

‘टाइम लूप’ का कॉन्सेप्ट भारतीय सिनेमा के लिए नया और बेहद रोमांचक था. एक ही दिन को बार-बार जीने का ये अनोखा विचार अपने आप में दर्शकों को बांधने की पूरी क्षमता रखता था. भगवान शिव की नगरी बनारस में इस फिल्म को फिल्माया गया, जिससे कहानी को और भी गहराई मिल सकती थी. लेकिन अफसोस, फिल्म की खराब स्क्रिप्ट ने इस पूरे आइडिया को बर्बाद कर दिया. राजकुमार राव की ये फिल्म अब ऐसी बन गई है, जो बेवजह लंबी और खिंची हुई महसूस होती है. न तो नया कॉन्सेप्ट इसे बचा पाया और न ही बनारस की रूह इसमें उतर पाई.


Share Now
Ad Space Available Reach 2M+ readers / month
Book Now
Previous Post

राजस्थान छोड़ CSK की टीम में शामिल होंगे संजू सैमसन? क्या ये है सच्चाई

Next Post

केंद्र-राज्य में साथ, गांव में करेंगी दो-दो हाथ, पंचायत चुनाव अकेले लड़ने को क्यों बेताब अनुप्रिया पटेल?

Next Post
केंद्र-राज्य में साथ, गांव में करेंगी दो-दो हाथ, पंचायत चुनाव अकेले लड़ने को क्यों बेताब अनुप्रिया पटेल?

केंद्र-राज्य में साथ, गांव में करेंगी दो-दो हाथ, पंचायत चुनाव अकेले लड़ने को क्यों बेताब अनुप्रिया पटेल?

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook X-twitter Instagram Youtube

Powered by AMBIT +918825362388