वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर आज लगातार तीसरे दिन सुनवाई शुरू हो गई है. सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ इस मामले को सुन रही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से दलील देना सुरू कर दिया है. आज की सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि किसी के लिए भी मुद्दा उठाना मुश्किल नहीं है, लेकिन सिर्फ इसलिए कि इस पर बहस की जा सकती है, इसका मतलब यह नहीं है कि ये विधायिका की तरफ से पारित कानून की वैधता पर रोक लगाने योग्य है.
मेहता ने कहा कि वक्फ अल्लाह के लिए है, ये हमेशा के लिए है. अंतरिम आदेश के मकसद से, अगर इसे असंवैधानिक पाया जाता है, तो इसे रद्द किया जा सकता है. लेकिन अगर वक्फ है, तो वह वक्फ ही रहेगी. जेपीसी ने कहा है कि आदिवासी इस्लाम का पालन कर सकते हैं, लेकिन उनकी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है. मेहता ने कहा कि कानून गैर-मुस्लिम को वक्फ दान देने से वंचित नहीं करता. यही कारण है कि 5 साल -आपको यह दिखाना होगा कि आप मुस्लिम हैं और वक्फ के इस तरीके का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए नहीं करते हैं.