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गर्मी का सितम पिछले 40 साल में ऐसे बढ़ा, भारत के इन 10 राज्यों में रिस्क सबसे ज्यादा, 2050 तक शहरों में बढ़ जाएगा खतरा

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May 21, 2025
in देश
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गर्मी का सितम पिछले 40 साल में ऐसे बढ़ा, भारत के इन 10 राज्यों में रिस्क सबसे ज्यादा, 2050 तक शहरों में बढ़ जाएगा खतरा
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हर बीतते साल के साथ देश की धरती गर्म होती जा रही है. साल 2025 के अभी 5 महीने ही गुजरे हैं और गर्मी का प्रकोप ऐसा है कि लोग घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं. अप्रैल 2025 तक 10 से ज़्यादा राज्य पहले ही भीषण हीटवेव का सामना कर चुके हैं. इससे पहले 2024 में गर्मी ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इसे विश्व स्तर पर सबसे गर्म वर्ष माना गया था. 2010 के बाद 2024 में लोगों को सबसे लंबी गर्मी का अनुभव हुआ था.

पिछले साल कई राज्यों में पूरे महीने दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा रहा था, जिससे हीटस्ट्रोक के 44,000 से ज़्यादा मामले सामने आए. एक स्टडी के मुताबिक, गर्मी के कारण, भारत 2030 तक 35 मिलियन जॉब्स को खो सकता है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4.5 प्रतिशत की कमी का अनुभव कर सकता है.

जोखिम की स्थिति में 76 प्रतिशत आबादी

स्टडी में आगे कहा गया है कि भारत के लगभग 57 प्रतिशत जिले, जिनमें देश की 76 प्रतिशत आबादी रहती है, इस समय अत्यधिक गर्मी के कारण जोखिम की स्थिति में हैं. सबसे अधिक खतरे वाले शीर्ष दस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं

पिछले 40 वर्षों (1981-2022) में भारत में गर्मी बढ़ी है. हालांकि, पिछले दशक में दिन की तुलना में रात में गर्मी बढ़ी है. लगभग 70 प्रतिशत जिलों में मार्च से जून में रातें बहुत गर्म रही हैं, जबकि केवल 28 प्रतिशत जिलों में बहुत गर्म दिनों में समान वृद्धि देखी गई. गर्म रातें विशेष रूप से चिंताजनक हैं, क्योंकि वे शरीर को ठंडा होने और दिन की गर्मी से उबरने में मुश्किल बनाती हैं.

घनी आबादी वाले जिलों में ज्यादा गर्मी

बहुत गर्म रातों में वृद्धि सबसे ज़्यादा घनी आबादी वाले जिलों में देखी गई है. उदाहरण के लिए पिछले दशक में मुंबई में हर गर्मी में 15 रातें बहुत ज़्यादा गर्म रहीं, बेंगलुरु में 11, भोपाल और जयपुर में 7-7, दिल्ली में 6 और चेन्नई में ये 4 रही. गर्मी में उमस का महत्वपूर्ण योगदान होता है. पिछले दशक में उत्तर भारत और सिंधु-गंगा के मैदान में ये 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है.

दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, जयपुर और वाराणसी जैसे पारंपरिक रूप से शुष्क शहरों में अब उच्च आर्द्रता का स्तर देखा जा रहा है. मुंबई, दिल्ली और सिंधु-गंगा के मैदान के कई हिस्से ऐसे हैं जो अत्यधिक गर्मी का सबसे अधिक सामना करते हैं. 2005 से 2023 के बीच पुणे, थूथुकुडी, कोल्हापुर, मैसूर, कोझिकोड, अजमेर, गुरुग्राम और गुवाहाटी जैसे शहरों में धड़ल्ले से इमारतें बनी हैं. इन शहरों में कंक्रीट वाली सतहें दिन के समय गर्मी को रोकती हैं और रात में इसे छोड़ती हैं, जिससे रात की गर्मी और भी बढ़ जाती है.

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