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एक साथ ईरान के इतने लोगों को मौत की नींद सुलाने की तैयारी, इजराइल के खतरनाक प्लान से अमेरिका में हड़कंप

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May 21, 2025
in विदेश
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एक साथ ईरान के इतने लोगों को मौत की नींद सुलाने की तैयारी, इजराइल के खतरनाक प्लान से अमेरिका में हड़कंप
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मिडिल ईस्ट एक बार फिर जलने को तैयार है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, इजराइल अब ईरान के परमाणु ठिकानों पर एक जबरदस्त हमला करने की तैयारी में है. हालांकि अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन वॉशिंगटन में इस बात को लेकर जबरदस्त बहस चल रही है कि क्या इजराइल सच में ऐसा करेगा या नहीं.

अगर हमला होता है, तो ये अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की परमाणु डील नीति को ठुकराने जैसा होगा, और साथ ही पूरे मिडिल ईस्ट में एक और जंग की शुरुआत कर सकता है. आइए इसी बहाने जानते हैं कि आखिर ईरान के पास कितने परमाणु ठिकाने हैं और इन पर हमला करना क्या वाकई इतना आसान है और अगर हमला होता है तो कितनी तबाही हो सकती है?

ईरान के पास कितना यूरेनियम है?

ईरान ने यूरेनियम संवर्धन (Enrichment) को काफी तेजी से आगे बढ़ाया है. IAEA के अनुसार, मार्च 2025 तक उसके पास 275 किलोग्राम 60% तक संवर्धित यूरेनियम था. सिर्फ 90% शुद्धता तक पहुंचाने की देर है, और इससे 6 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं. अमेरिकी अधिकारी दावा करते हैं कि ईरान अब महज एक हफ्ते में एक बम जितना यूरेनियम बना सकता है. हालांकि असली बम बनाने में अभी 1 से 1.5 साल लग सकते हैं, लेकिन इतना वक्त इजरायल को मंजूर नहीं.

कहां-कहां छिपे हैं ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने?

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास कई परमाणु स्थलों का एक नेटवर्क है, जिनमें कुछ ठिकाने जमीन के नीचे छुपे हुए हैं, जिससे उन पर हमला करना और भी मुश्किल हो जाता है.

1. नतांज (Natanz): ये ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का दिल है. इसमें एक जमीन के नीचे बना हुआ विशालकाय Fuel Enrichment Plant (FEP) और एक Pilot Fuel Enrichment Plant (PFEP) शामिल है. FEP में करीब 13,000 सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे हैं, जो 5% शुद्धता तक यूरेनियम बना रहे हैं. PFEP में 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम तैयार हो रहा है.

2. फोर्डो (Fordow): ये ठिकाना एक पहाड़ के अंदर बना है, जिससे इसे बमबारी से नुकसान पहुंचाना मुश्किल है. यहां 2,000 से ज्यादा सेंट्रीफ्यूज चल रहे हैं, जिनमें से कई IR-6 जैसे उन्नत मॉडल हैं. यहां भी 60% शुद्धता तक यूरेनियम तैयार हो रहा है.

3. इस्फहान (Isfahan): यहां यूरेनियम को हेक्साफ्लोराइड में बदलने वाली सुविधा है. सेंटरफ्यूज बनाने की मशीनें भी यहीं हैं, साथ ही यूरेनियम धातु (metal) बनाने का उपकरण भी है, जो बम का ‘कोर’ बनाने में काम आता है.

4. खोंडाब (Khondab): इसे पहले अराक रिएक्टर कहा जाता था. यह प्लूटोनियम बनाने में सक्षम heavy-water reactor है, जिससे बम का दूसरा रास्ता खुलता है. इसे 2015 की डील में निष्क्रिय कर दिया गया था, लेकिन अब ईरान ने इसे 2026 तक शुरू करने की योजना बनाई है.

5. तेहरान और बुशहर: तेहरान में परमाणु शोध केंद्र है.बुशहर में ईरान का इकलौता परमाणु पावर प्लांट है, जिसे रूस फ्यूल देता है और बाद में फ्यूल वापिस भी ले जाता है, जिससे बम बनाने की संभावना कम होती है.

कितने लोग मारे जाएंगे?

अगर इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों इस्फहान, अराक, नतांज और बुशेहर पर हमला किया, तो इसकी कीमत आम ईरानी जनता को अपनी जान से चुकानी पड़ सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ़ उटाह और ओमिद इंस्टिट्यूट की ओर से कराई गई एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि इस तरह के हमले में 5,000 से लेकर 80,000 लोगों तक की मौत हो सकती है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 3,000 से 10,000 लोग तो पहले ही हमले में मारे जा सकते हैं, लेकिन असली तबाही उसके बाद शुरू होगी जब रेडिएशन से प्रभावित लाखों लोग धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ेंगे. अकेले इस्फ़हान में ही 70,000 से 3 लाख तक लोग मारे जा सकते हैं या गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं. सबसे चिंताजनक बात यह है कि ईरान में न्यूक्लियर रेडिएशन से निपटने के लिए कोई पुख़्ता इंतजाम नहीं हैं. रिसर्च कहती है कि अगर हमला हुआ, तो यह हादसा भोपाल गैस त्रासदी और चेर्नोबिल जैसे इतिहास के सबसे बड़े मानव संकटों की तरह बन जाएगा.

क्या इजराइल कर सकता है हमला?

इजराइल के पास सटीक एयरस्ट्राइक करने की क्षमता जरूर है, लेकिन ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना कोई आसान काम नहीं है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर ठिकाने जमीन के नीचे छुपे हैं, जिन्हें बंकर-बस्टिंग बम से ही निशाना बनाया जा सकता है.अमेरिका के पास ऐसे बम हैं, लेकिन इजराइल के पास होने की जानकारी नहीं है.

और अगर हमला हुआ तो ईरान भी चुप नहीं बैठेगा. अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइलें बरस सकती हैं, खाड़ी के देशों में तैनात अमेरिकी फौजें खतरे में पड़ सकती हैं, और इजराइल के शहर सीधे निशाने पर होंगे. कतर जैसे देश जहां अमेरिका का सबसे बड़ा एयरबेस है शायद ऐसे ऑपरेशन में खुलकर साथ न दें.

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