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उज्जैन बना देश का नया धार्मिक पर्यटन हब… महाकाल मंदिर के शिखर स्वर्ण ध्वज से विक्रमादित्य काल की परंपरा का निर्वहन

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June 4, 2025
in मध्यप्रदेश
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उज्जैन बना देश का नया धार्मिक पर्यटन हब… महाकाल मंदिर के शिखर स्वर्ण ध्वज से विक्रमादित्य काल की परंपरा का निर्वहन
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उज्जैन: मध्य प्रदेश अब केवल “ह्रदय प्रदेश” नहीं रहा, बल्कि ‘आस्था और अध्यात्म’ का देशव्यापी केंद्र बन गया है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग और खंडवा ज़िले के ओंकारेश्वर मंदिर जैसी धार्मिक धरोहरें, अब न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन रही हैं। राज्य सरकार की रणनीतिक परियोजनाओं और सिंहस्थ- 2028 की तैयारी ने धार्मिक पर्यटन को एक नई दिशा दी है।

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उज्जैन का पुनर्जागरण, आस्था से आकर्षण तक

उज्जैन शहर को पौराणिक मान्यता के साथ-साथ आधुनिक विकास के मानचित्र पर फिर से उभारा गया है। महाकाल महालोक की भव्यता और योजनाबद्ध निर्माण ने महाकालेश्वर मंदिर परिसर को अंतरराष्ट्रीय स्तर का धार्मिक अनुभव प्रदान किया है। आवागमन और भीड़ प्रबंधन के लिहाज से पिछले तीन वर्षों में शहर की आंतरिक और बाहरी सड़कें चौड़ी की गई है।

साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए एक नई “विक्रम” उद्योगपुरी खोली गई। मेडिकल कॉलेज, आईटी पार्क और हेलीपैड का निर्माण शुरू कराया गया। वहीं आगामी दिनों में रोप वे, एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होना है। कुल मिलाकर शहर में सुंदरीकरण के साथ यात्री सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ और आगे भी काम जारी है।

सिंहस्थ 2028 : पर्यटन विकास का सुनहरा अवसर

 

  • उज्जैन में वर्ष 2028 में लगने जा रहा महाकुंभ सिंहस्थ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राज्य के पर्यटन, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का प्रवेश द्वार बन सकता है।

  • इसके लिए अधोसंरचना, सुरक्षा, तकनीकी टूरिज्म, ग्रीन टूरिज्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित विजिटर मैनेजमेंट जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं को अभी से लागू करना होगा।
    • विशेषज्ञों की मानें तो धार्मिक पर्यटन के चलते न केवल होटल उद्योग, परिवहन और गाइड सेवाएं बढ़ती हैं, बल्कि लोकल हैंडीक्राफ्ट, फूड, आर्ट और संगीत को भी वैश्विक मंच मिलता है।

    • उज्जैन और ओंकारेश्वर के इस विकास मॉडल को महेश्वर, मांडवगढ़, चित्रकूट, अमरकंटक तक फैलाने की जरूरत है।

      उज्जैन के प्रमुख पर्यटन स्थल

      • ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर
      • श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली, महर्षि संदीपनि आश्रम-
      • काल गणना का केंद्र जंतर मंतर-
      • बौद्ध अनुयायियों की आस्था का प्रमुख केंद्र, बौद्ध स्तूप (वैश्य टेकरी)
      • चमत्कारी काल भैरव मंदिर
      • शक्तिपीठ, हरसिद्धि माता मंदिर
      • मोक्षदायिनी शिप्रा नदी
      • रामघाट
      • रानो जी की छत्री
      • मंगल ग्रह की उत्पत्ति का केंद्र, मंगलनाथ मंदिर

      केरल और गोवा से सबक लेना जरूरी

      अगर मध्य प्रदेश को देश के शीर्ष पर्यटन राज्यों की श्रेणी में लाना है तो उसे केरल और गोवा जैसे राज्यों की रणनीतियों को अपनाना होगा। उदाहरण के तौर पर गोवा की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान 40 प्रतिशत तक है, जबकि केरल की जीडीपी में यह 20 प्रतिशत तक है। मध्य प्रदेश में यह आंकड़ा 8 से 10 प्रतिशत के बीच है, जिसे उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे स्थलों के जरिए 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

      महाकाल मंदिर के शिखर पर लगा 12 किलो का स्वर्ण ध्वज

      विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर पर मंगलवार को शुभ मुहूर्त में स्वर्ण ध्वज स्थापित किया गया। मंदिर समिति की ओर से सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने विद्वान ब्राह्मणों के आचार्यत्व में ध्वज का पूजन किया। इसके बाद कुशल कारीगरों ने इसे शिखर पर आरोहित किया।मंदिर प्रशासन के अनुसार, तांबा-पीतल से निर्मित स्वर्ण मंडित ध्वज का वजन करीब 12 किलो है। इस पर धर्म के प्रतीक नंदी का अंकन है। महाकाल मंदिर की जनसंपर्क अधिकारी गौरी जोशी ने बताया महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शिखर पर स्वर्ण ध्वज आरोहण की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से चली आ रही है। सिंधिया स्टेट के समय भी शिखर स्वर्ण ध्वज आरोहित किया जाता रहा। आजादी के बाद शासन-प्रशासन द्वारा इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है।बता दें कि मंदिर समिति ने श्रावण मास से पहले पुराने ध्वज को शिखर से विधिपूर्वक उतरवाकर उसका संधारण कराया और नवश्रृंगारित कर मंगलवार को पुनर्आरोहण किया। सनातन धर्म परंपरा में शिखर दर्शनम् पाप नाशनम् की अवधारणा है, अर्थात शिखर के दर्शन करने मात्र से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है। शिखर पर लगा ध्वज धर्म के प्रवाह व सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक है।


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