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ईरान और इजराइल छोड़िए…नई जंग का धुआं तो कहीं और ही उठ रहा है!

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June 26, 2025
in विदेश
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ईरान और इजराइल छोड़िए…नई जंग का धुआं तो कहीं और ही उठ रहा है!
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ईरान-इजराइल जंग ने दुनिया भर की सुर्खियां बटोरीं. इस दौरान अमेरिका ने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर पूरी दुनिया को चौंका दिया. लेकिन असली खतरा शायद वहां नहीं, कहीं और पनप रहा है. एक ऐसा देश जो पहले से परमाणु हथियारों से लैस है, और अब इस हमले को अपनी रणनीति को तेज करने का बहाना मान सकता है. ये देश है उत्तर कोरिया. तानाशाह किम जोंग उन का साम्राज्य, जो अब और ज्यादा सतर्क हो गया है.

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किम जोंग उन पहले से ही मानते हैं कि परमाणु हथियार ही उनकी सत्ता की गारंटी हैं. और अब जब अमेरिका ने एक ऐसे देश पर हमला किया है, जो अभी परमाणु हथियार बना नहीं पाया, तो यह उत्तर कोरिया के लिए एक सीधा संदेश बन गया है कि बिना हथियारों के रहना, खतरे से खाली नहीं.

रूस-कोरिया- दोस्ती का नया चैप्टर

ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद उत्तर कोरिया और रूस की बढ़ती दोस्ती को और मजबूती मिल सकती है. यूक्रेन युद्ध के दौरान प्योंगयांग ने रूस को हथियार और सैनिक भेजे, और इसके बदले रूस ने उसे आधुनिक सैन्य तकनीक से लेकर तेल तक दिया. अब ये रिश्ता महज व्यापार नहीं रहा, बल्कि रणनीतिक साझेदारी में बदल रहा है. हथियारों का साझा विकास, सैन्य अभ्यास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर. ये सब आने वाले महीनों में तेज़ी से बढ़ सकते हैं.

सियोल और वॉशिंगटन की टेंशन बढ़ी

उत्तर कोरिया के पास अब 40 से 50 परमाणु हथियार माने जाते हैं, और ICBM जैसी मिसाइलें जो अमेरिका तक भी मार कर सकती हैं. ऐसे में अमेरिका के लिए अब उत्तर कोरिया के खिलाफ किसी भी सैन्य कार्रवाई की कल्पना करना भी मुश्किल हो गया है. ईरान की तुलना में उत्तर कोरिया ज्यादा खतरनाक है. उसके पास हथियार हैं, साधन हैं और अब रूस जैसा मजबूत साझेदार भी.

अमेरिका का ईरान पर हमला शायद एक संदेश था, लेकिन उत्तर कोरिया उसे एक और वजह के तौर पर देख सकता है. और वो वजह है अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ करना. तो कुल जमा बात ये है कि इस हमले ने किम जोंग उन को डराया नहीं है, बल्कि शायद उन्हें और यकीन दिला दिया है कि जिनके पास परमाणु हथियार नहीं होते, वही निशाना बनते हैं. और यही सोच आने वाले समय में दुनिया को और अस्थिर कर सकती है.


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