एकादशी का व्रत माह में दो बार किया जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित हैं. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. आषाढ़ माह में सबसे पहले योगिनी एकादशी, उसके बाद देवशयनी एकादशी का व्रत किया जाएगा. कहते हैं देवशयनी एकादशी के बाद से भी भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं.
योगिनी एकादशी कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार. आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी योगिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 21 जून को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 22 जून को सुबह 4 बजकर 27 मिनट होगा. उदया तिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को किया जाएगा.
योगिनी एकादशी पारण का समय
एकदाशी व्रत का पारण द्वादशी के दिन किया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत का पारण का समय 22 जून को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से लेकर 4 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस दौरान व्रती विधि-विधान से व्रत का पारण कर सकते हैं.
देवशयनी एकादशी कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 5 जुलाई को शाम को 6 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन 6 जुलाई को रात 9 बजकर 14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई को किया जाएगा.
देवशयनी एकादशी व्रत का पारण
वैदिक पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 7 जुलाई को किया जाएगा. पारण का समय सुबह 5 बजकर 29 मिनट से लेकर 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.