रिपोट शाबार सिद्दीकी
उमड़ा लाखों अकीदतमंदो का जनसैलाब। आला हज़रत के कुल साथ उर्स का समापन।
सूफी सुन्नी विचारधारा ही विश्व में शांति स्थापित करने का कार्य कर रही है:मुफ्ती सलीम बरेलवी।
बरेली, आज 107 वे उर्से रज़वी के आखिरी दिन आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म देश-विदेश के लाखों अकीदतमंदो,उलेमा,सज्जादगान की मौजूदगी में अदा की गई। इस मौके विश्व के नामचीन उलेमा ने दुनियाभर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया गया। दो बजकर अड़तीस मिनट पर कुल शरीफ के रस्म बाद तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क-ए-हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन-ओ-सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। आज की महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां देखरेख में हुआ। मुफ्ती जईम रज़ा ने कुरान की तिलावत की।
हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने मिलाद का नज़राना पढ़ी। इसके बाद नबीरे आला हज़रत सुल्तान रज़ा खान,अल्हाज शोएब रज़ा खान,सय्यद सैफी मियां,कारी रज़ा ए रसूल,महशर बरेलवी ने नात-ओ मनकबत का नज़राना पेश किया। मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन हज़रत मौलाना नज़ीब हैदर(नज़ीब मियां) नबीरे आला हज़रत अल्लामा तौसीफ रज़ा खा(तौसीफ मियां),मौलाना सय्यद सैफ मियां, मुफ्ती अर्सलान रज़ा खान ने कहा कि मसलक आला हज़रत ही मसलक अहले हक है। अहले हक ही जन्नती है।
मिस्र,तुर्की,शाम,जॉर्डन,अफ्रीका, अमेरिका के मुसलमानों का अकीदा भी मसलक ए अहले सुन्नत और मसलक ए आला से बावस्ता है। बरेलवी कोई फिरका नहीं बल्कि ये पैग़म्बर ए इस्लाम का मिशन,शिक्षा और तालीमात का नाम मसलक ए आला हज़रत है। इन लोगों ने कहा कि जो लोग नबी की शान में गुस्ताखी कर रहे है वो काफिर है। मुफ्ती सलमान अजहरी ने अपनी तकरीर शुरू करते हुए कहा कि आला हज़रत के आप भी दीवाने और मैं भी दीवाना हूं। इस वक्त आप लोग अपनी दीवानगी पर काबू रखते हुए मसलक ए आला हज़रत की तालीमात पर अमल करते हुए इस मिशन को दुनिया भर तक पहुंचाये।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि देश विदेश के उलेमा नेक तक़रीर का सिलसिला शुरू करते हुए मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने अपने खिताब में कहा कि मौजूदा दौर में विश्व में शांति स्थापित सुन्नी सूफी खानकाही विचार धारा से की जा सकती है। हमारा मुल्क विश्व का सबसे शांतिपूर्ण देश है यहां नफरतों को कोई जगह नहीं। हमारा मुल्क एक खूबसूरत गुलदस्ता है जिसके फूल हिन्दू,मुस्लिम,सिख और ईसाई है। हम सब को मुल्क की तरक्की के लिए मिलकर काम करना होगा। आला हज़रत फाजिले बरेलवी और उनके पूरे कुनबे ने अंग्रेजों से नफरत और मुल्क से वफादारी पैग़ाम दिया।
मुफ्ती तौहीद संभली ने बेटियों को बहकते कदम पर फ़िक्र ज़ाहिर करते हुए कहा कि हर बाप और भाई अपनी बेटियों की अच्छी परवरिश करे और कौम के अमीर इनके लिए स्कूल कॉलेज खोले। मौलाना इरफान उल हक क़ादरी ने कहा कि आवाम और ख्वास आज मजहबी मसले में बरेली के ही फतवे पर अमल करती है। बरेली कल भी हमारा मसलक(केंद्र) है आज भी है। मुफ्ती इमरान हनफ़ी ने कहा कि मसलक आला हज़रत ही वफ़ा ए रसूल का रास्ता है। ये वही रास्ता है जो हमारे नबी,हज़रत अबू बकर सिद्दीक,हज़रत उमर फारूक आजम,हज़रत उस्मान गनी, हज़रत मौला अली,हज़रत इमाम हुसैन और गरीब नवाज़ का रास्ता है।
संचालन करते हुए कारी यूसुफ रज़ा संभली ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां का पैगाम देते हुए कहा कि इस साल दुनिया भर में पैगंबर ए इस्लाम का 1500 साला जश्न ए यौमे विलादत मनाया जाएगा। मुसलमान इस मौके पर खुशियां मनाए घरों,बाजारों और शहरों को सजाएं। महफ़िल और सेमिनारों में गैर मुस्लिमों को बुलाकर इस्लाम की सही तस्वीर रखे और अपनों के साथ हम वतन भाइयों को मिठाई और फूल बांटकर खुशियां मनाए। मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी ने कहा कि दरगाह की सज्जादगी पर सबसे ज्यादा वक्त पर क़ायम रहने वाली जात का नाम मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) है। इस स्टेज से आज नारा दिया जा रहा है आंखों का तारा दिल की जान शाह सुब्हान या सुब्हान। मौलाना ज़ाहिद रज़ा बरेलवी ने अपने खिताब में कहा कि मुस्लमान अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़ लो और उसकी ही बंदगी करो इबादत के लायक सिर्फ मेरे रब है। मॉरीशस से आए मुफ्ती नदीम अख्तर ने अपने खिताब में कहा कि आला हज़रत ने अपने खिताब में आला हज़रत ने मज़हब ओ मिल्लत के लिए जो अज़ीम खिदमात अंजाम दी। आज दुनिया हैरान है। जहाँ एक तरफ फतावा आलमगीरी जिसे उस वक़्त के 500 उलेमा मिलकर 2 जिल्दों में तैयार करते है। वही वक़्त के इमाम इमाम अहमद रज़ा तन्हा फतावा रज़विया 12 जिल्दों में लिख देते है जिससे दुनियाभर में आज भी शरई मसले हल किये जा रहे है।
ठीक 2 बजकर 38 मिनट पर कुल शरीफ की रस्म अदा की गई कारी रज़ा ए रसूल,मुफ्ती जईम रज़ा,सय्यद मुफ्तफा मियां ने फातिहा शिजरा शीरान रज़ा खान पढ़ा। आखिर में खुसूसी दुआ मुफ्ती अहसन मियां ने की। खानकाह ए तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सान रज़ा खान, मुस्तहसन रज़ा खान,मुफ्ती फैज़ मियां,सूफी रिजवान मियां,शीरान रज़ा खान,इकान रज़ा खान,मुकर्रम रज़ा खान,मौलाना जिक्रउल्लाह,मुफ्ती मुजीब,कारी अब्दुल रहमान क़ादरी,मुफ्ती माहिर उल क़ादरी आदि खुसूसी तौर से मौजूद रहे।
उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान,मौलाना ज़ाहिद रज़ा,मौलाना बशीर उल क़ादरी,शाहिद खान,हाजी जावेद खान,नासिर कुरैशी,अजमल नूरी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,परवेज़ नूरी,रईस रज़ा,मंज़ूर रज़ा,नफीस खान,मंजूर रज़ा,आसिफ रज़ा,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा,सय्यद फैज़ान अली,इशरत नूरी,तारिक सईद,यूनुस गद्दी,जुहैब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,हाजी अब्बास नूरी,मोहसिन रज़ा,सय्यद माजिद,