लखनऊ की एक विशेष अदालत ने अधिवक्ता परमानंद गुप्ता को फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर 29 लोगों को जेल भेजने और परेशान करने के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. अनुसूचित जाति/जनजाति निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने परमानंद पर 5.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि परमानंद जैसे अपराधी न्यायालय में प्रैक्टिस करने योग्य नहीं हैं और न्यायपालिका की शुचिता बनाए रखने के लिए इस निर्णय की प्रति बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को भेजी जाएगी.
परमानंद गुप्ता ने अपनी पत्नी संगीता गुप्ता के ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली पूजा रावत को हथियार बनाकर यह गोरखधंधा चलाया. पूजा, परमानंद के प्रभाव में आकर उनके इशारे पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाती थी. विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा ने बताया कि परमानंद का विभूतिखंड निवासी अरविंद यादव और उनके भाई अवधेश यादव से संपत्ति को लेकर विवाद था. इस विवाद के चलते परमानंद ने पूजा को पीड़िता बनाकर दोनों भाइयों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट और दुष्कर्म का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया.