Today – August 24, 2025 4:29 pm
Facebook X-twitter Instagram Youtube
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
Ad Space Available by aonenewstv
Home उत्तराखंड

इस नदी से आया था धराली में मलबा, बदल गया भागीरथी का रास्ता… ISRO इमेज से खुलासा

News room by News room
August 11, 2025
in उत्तराखंड
0
इस नदी से आया था धराली में मलबा, बदल गया भागीरथी का रास्ता… ISRO इमेज से खुलासा
Share Now

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 5 अगस्त को धराली गांव में ऐसी तबाही आई, जिसने कई जिंदगियों को अपनी आगोश में ले लिया. धराली में अचानक आई बाढ़ में पूरा गांव जमींदोज हो गया. इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई तो कई घायल हो गए, जो लोग घायल हुए उनके दिलों में अभी तक दहशत है. इस तबाही ने न सिर्फ लोगों को नुकसान को पहुंचाया. बल्कि भागीरथी नदी का रास्ता भी बदल दिया. इससे नदी की धाराएं भी चौड़ी हो गईं.

Ad Space Available by aonenewstv
धराली में अचानक आई बाढ़ ने भागीरथी नदी का रास्ता बदल दिया और उसे चौड़ा कर दिया. धराली गांव के ऊपर खीरगाड़ नाम की सहायक नदी और भागीरथी के संगम पर लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले मलबे का एक बड़ा ढेर था, जिसे बाढ़ ने बहा दिया. इससे खीरगाड़ अपने पुराने रास्ते पर लौट आई और भागीरथी नदी को दाहिने किनारे की ओर धकेल दिया.

मलबे के ढेर का खुलासा हुआ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से सैटेलाइट इमेज जारी की गई हैं, जिससे मलबे के ढेर का पता चला. इसरो के कार्टोसैट-2 एस से मिली सैटेलाइट इमेज ने जून 2024 और इस साल 7 अगस्त के आंकड़ों की तुलना करते हुए, धराली के ठीक ऊपर खीरगाड और भागीरथी के संगम पर लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले एक विशाल पंखे के आकार के मलबे के ढेर का खुलासा किया, जिसका साइज लगभग 750 mm (meter multiplication) 450 मीटर है. इन इमेज में बड़े पैमाने पर नदी के रास्ते में आया बदलाव, जलमग्न और दबी हुई इमारतें और बड़े टोपोग्राफिकल बदलाव दिखाई दे रहे हैं.

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Disaster Management Authority) के सीनियर जियोलॉजिस्ट और फॉर्मर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने बताया कि तबाही से पहले की तस्वीरों में खीरगाड़ के बाएं किनारे भागीरथी के संगम के ठीक ऊपर पंखे के जैसा एक मलबे का ढेर दिखाई दिया. यह जमाव एक पूर्व विनाशकारी ढलान-गति के दौरान बना था, जिसने उस समय खीरगाड़ के मार्ग को मोड़ दिया था.

खीरगाड़ अपने पुराने रास्ते पर वापस

फॉर्मर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने कहा कि परंपरागत रूप से, ऐसे भंडारों का इस्तेमाल सिर्फ खेती के लिए किया जाता था और भूस्खलन, बाढ़ के खतरे से बचने के लिए घरों का निर्माण ऊंची, स्थिर जमीन पर किया जाता था. पिछले दशक में तेज़ी से बढ़ते पर्यटन विकास और तीर्थयात्रियों की आमद के साथ-साथ सड़क के पास व्यावसायिक गतिविधियों ने जलोढ़ पंख (एक त्रिकोणीय, पंखे के आकार की भू-आकृति, जो नदियों और नालों द्वारा लाए गए तलछटों के जमा होने से बनती है) पर बस्तियों को बढ़ावा दिया है. अचानक आई बाढ़ ने पूरे पंख जमा को खत्म कर दिया और खीरगाड़ अपने पुराने रास्ते पर वापस आ गई. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अभी मलबे ने भागीरथी के प्रवाह को दाहिने किनारे की ओर खिसका दिया है, लेकिन समय के साथ यह इस जमा को भी खत्म कर देगा.

हाइड्रोलॉजिस्ट ने दीं ये चेतावनी

हाइड्रोलॉजिस्ट ने चेतावनी दी है कि इस तरह के अचानक भू-आकृतिक बदलावों (Geomorphological changes) का दूर तक बड़ा असर पड़ सकता है. नदी की धाराएं बदलने से प्रवाह वेग बढ़ सकता है, तलछट परिवहन में बदलाव आ सकता है और बाढ़ स्थल से कई किलोमीटर दूर तटों में अस्थिरता आ सकती है. समय के साथ, इससे नए कटाव स्थल बन सकते हैं, पुलों को खतरा हो सकता है और बाढ़ के मैदान बदल सकते हैं, जिससे नदी किनारे बने घरों को खतरा बढ़ सकता है.

बेंगलुरु स्थित इंडियन ह्यूमन सेटलमेंट इंस्टीट्यूट के पर्यावरण एवं स्थायित्व स्कूल के डीन डॉक्टर जगदीश कृष्णस्वामी, जो एक इको हाइड्रोलॉजिस्ट और लैंडस्केप इकोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने कहा कि हिमालय का भूविज्ञान और जलवायु ऐसे बदलावों के लिए प्रवण बनाते हैं. ये दुनिया के सबसे युवा पर्वत हैं. टेक्निकली एक्टिव, भू-आकृति विज्ञान के नजरिए से गतिशील (Geomorphologically dynamic) और दुनिया भर में सबसे ज़्यादा तलछट उत्पन्न करने वाले पर्वतों में से एक है.ग्लेशियर प्राकृतिक और तापमान बढ़ने की वजह से तेजी से पिघलते और पीछे हटते हैं, जिससे मलबा नीचे की ओर आ जाता है, जो भारी बारिश की वजह से हिमस्खलन और भूस्खलन में बदल सकता है. यह तलछट नदी के मार्ग को नाटकीय रूप से बदल सकती है, खासकर जहां निचली ढलानों या संकरी घाटियों में ढीले जमाव मौजूद हों.


Share Now
Ad Space Available Reach 2M+ readers / month
Book Now
Previous Post

रांची: फॉर्च्यूनर कार ने 5 लोगों को रौंदा, 3 की मौके पर ही मौत… दो गंभीर रूप से घायल

Next Post

पहाड़ों पर आफत बनी बारिश… दिल्ली से लेकर यूपी-बिहार तक बरसेंगे बादल

Next Post
पहाड़ों पर आफत बनी बारिश… दिल्ली से लेकर यूपी-बिहार तक बरसेंगे बादल

पहाड़ों पर आफत बनी बारिश… दिल्ली से लेकर यूपी-बिहार तक बरसेंगे बादल

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook X-twitter Instagram Youtube

Powered by AMBIT +918825362388