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पंजाब की सियासत में बड़ी हलचल! कांग्रेसी लीडरशिप में संकट गंभीर… पढ़ें पूरी खबर

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July 4, 2025
in पंजाब
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पंजाब की सियासत में बड़ी हलचल! कांग्रेसी लीडरशिप में संकट गंभीर… पढ़ें पूरी खबर
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जालंधर : पंजाब कांग्रेस जहां आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों में जुटी है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के फ्रंटल संगठनों की निष्क्रियता और नेतृत्वहीनता अब संगठन के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है। इसका ताजा उदाहरण जालंधर कैंट विधानसभा हलके से सामने आया है, जहां यूथ कांग्रेस के हलका प्रधान बॉब मल्होत्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि बॉब मल्होत्रा ने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है और पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान को पत्र भेजकर औपचारिक सूचना दी है, लेकिन कांग्रेस के भीतरखाने की चर्चाएं कुछ और ही संकेत दे रही हैं।

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माना जा रहा है कि यह इस्तीफा पार्टी संगठन में व्याप्त निष्क्रियता, नेतृत्व की उदासीनता और कार्यकर्त्ताओं की उपेक्षा के प्रति एक मौन विरोध है। हालांकि जिला यूथ कांग्रेस शहरी पिछले लंबे समय से गहरी निष्क्रियता का शिकार है और विधानसभा, ब्लॉक और जिला स्तर पर कोई ठोस बैठक, राजनीतिक-सामाजिक कार्यक्रम नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं पिछले लंबे समय से जिला स्तर पर यूथ कांग्रेस आम आदमी पार्टी की जनविरोधी नीतियों का विरोध तक करने में नाकाम साबित हो रही है। वहीं स्थानीय स्तर पर यूथ कांग्रेस की यह निष्क्रियता अब युवाओं को पार्टी से विमुख कर रही है। जो युवा पहले कांग्रेस की विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति से जुड़े थे, अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और बड़ी संख्या में पार्टी से किनारा कर चुके हैं। बॉब मल्होत्रा का इस्तीफा केवल एक पद से हटना नहीं, बल्कि उस निराशा और हताशा का सार्वजनिक प्रतीक है, जो लंबे समय से संगठन के भीतर पल रही थी। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया कि जालंधर जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय जिले में यूथ कांग्रेस इस कदर निष्क्रिय हो जाए। यूथ कांग्रेस सूत्रों की मानें तो यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कई बार जिला प्रधान को जगाने की कोशिश की गई, लेकिन जिला प्रधान की ढुलमुल व लचर कार्यशैली में कोई बदलाव नही हुआ। जिसका नतीजा यह हुआ कि हलका स्तर से लेकर जिला स्तर तक सीमित तादाद में बचे के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की सक्रियता लगभग समाप्त हो गई।

जिक्रयोग्य है कि पिछले कई दशकों से जालंधर की राजनीति में यूथ कांग्रेस की भूमिका अहम रही है। चाहे चुनावी माहौल बनाना हो या सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करना, यूथ कांग्रेस हमेशा पार्टी के लिए फ्रंटफुट पर खड़ी रही है। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि जिला यूथ कांग्रेस शहरी के प्रधान लक्की संधू जिला स्तर पर कोई कार्यक्रम तक करा पाने में सक्षम नहीं हैं। युवा नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी को पंजाब में दोबारा मजबूत विकल्प बनना है, तो फ्रंटल संगठनों को सशक्त और विचारधारा आधारित नेतृत्व देना होगा। इतना ही नही निष्क्रिय पदाधिकारियों को साइडलाइन कर नए चेहरों को नेतृत्व सौंपना ही समय की मांग है। जिला कांग्रेस के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी का सबसे महत्वपूर्ण फ्रंटल संगठन आज हाशिए पर पहुंच चुका है उन्होंने कहा कि पार्टी को अब आत्ममंथन की जरूरत है। यह समय संगठन की अंदरूनी कलह में उलझने का नहीं, बल्कि जमीन पर उतरकर कार्यकर्ताओं को साथ जोड़ने का है।” एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना है कि हाईकमान को जमीनी फीडबैक के आधार पर जल्द निर्णय लेने होंगे, वरना फ्रंटल संगठनों की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अब यह पार्टी हाईकमान पर निर्भर करता है कि वह इस संकट को गंभीरता से लेकर क्या निर्णायक कदम उठाता है। वरना यूथ कांग्रेस जैसे संगठन का अस्तित्व महज कागजों तक सीमित रह जाएगा और पार्टी का भविष्य भी अधर में लटक सकता है।

आम आदमी पार्टी की ओर संभावित पलायन की चर्चा
यूथ 
कांग्रेस की इस निष्क्रियता के बीच अब चर्चा यह भी तेज हो गई है कि बचे-खुचे कुछ पदाधिकारी आम आदमी पार्टी से संपर्क में हैं। सूत्रों की मानें तो जिले के एक-दो युवा पदाधिकारी जल्द ही इस्तीफा देकर ‘आप’ में शामिल हो सकते हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व समय रहते यूथ कांग्रेस में नई जान नहीं फूंकता, तो पार्टी को 2027 के चुनाव में युवाओं का समर्थन गंवाना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह संकट महज संगठन का नहीं, बल्कि भविष्य की चुनावी रणनीति का भी है।

नेतृत्व परिवर्तन ही यूथ कांग्रेस को बचाने का है समाधान?
कई युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि जिला यूथ कांग्रेस में नए और सक्रिय चेहरे लाए जाएं, जिन्हें संगठनात्मक समझ हो और कार्यकर्त्ताओं से संवाद बनाए रखने की क्षमता हो, तो स्थिति सुधारी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के अंदर ऐसे कई युवा नेता हैं जो काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें जिम्मेदारी नहीं दी जा रही। इससे युवाओं में एक असंतोष की भावना फैल रही है, जो समय रहते नियंत्रित नहीं की गई तो इसका बड़ा खामियाजा पार्टी को आगामी चुनावों में उठाना पड़ सकता है।


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