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Home दिल्ली/NCR

दिल्ली में होगी बिन बादल बरसात, आईआईटी कानपुर को मिली इसकी जिम्मेदारी

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July 2, 2025
in दिल्ली/NCR
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दिल्ली में होगी बिन बादल बरसात, आईआईटी कानपुर को मिली इसकी जिम्मेदारी
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देश के जाने-माने संस्थान आईआईटी कानपुर ने देश में क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के जरिए कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने में बड़ी सफलता हासिल की हुई. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने 23 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान को कानपुर के आसमान में सफलतापूर्वक आयोजित किया था. इसके जरिए 5 हजार फीट की ऊंचाई से एक पाउडर गिराया गया. इससे कृत्रिम बादल बन गए. उसके बाद विमान से केमिकल छिड़काव की मदद से कृत्रिम बारिश हुई थी.

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अब दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कानपुर आईआईटी की मदद से कृत्रिम बारिश दिल्ली सरकार कराने जा रही है. पहले यह बारिश जुलाई के महीने में होनी थी, लेकिन अब ये बारिश अगस्त में कराई जाएगी. बढ़ते प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से कृत्रिम बारिश करने के लिए संपर्क किया है, जिसके लिए आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने भी दिल्ली जाकर कई बार वहां के आसमानी माहौल पर रिसर्च की है.

जुलाई में नहीं कराई जा रही कृत्रिम बारिश

आईआईटी कानपुर ने 2017 में प्रदूषण और सूखे से निपटने के लिए रिसर्च शुरू किया था, जिसमें संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री अवार्डेड प्रोफेसर मनीष अग्रवाल की टीम ने क्लाउड सीडिंग तकनीक से कृत्रिम बारिश करने में बड़ी सफलता हासिल की थी. प्रोफेसर डायरेक्टर आईआईटी कानपुर महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जुलाई के महीने में मानसूनी बारिश हो रही है. इस वजह से दिल्ली सरकार अगस्त के महीने में कृत्रिम बारिश कराएगी.

राहत की सांस ले सकेंगे दिल्ली वाले

उन्होंने बताया कि क्या कृत्रिम बारिश के लिए बादलों का होना जरूरी होता है. बारिश के लिए जिन बादलों को सक्रिय करना होता है. उनमें पहले से कुछ नमी यानी जाली वास्तु मौजूद रहना चाहिए. बारिश के बाद प्रदूषण का स्तर तेजी से दिल्ली में गिरेगा और दिल्ली वाले को राहत की सांस ले सकेंगे. प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश के लिए सिल्वर आयोडाइड नमक जैसे केमिकल को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है.

कैसे कराई जाती है क्लाउड सीडिंग

इसके बाद क्लाउड सीडिंग करने वाले विमान की विंग में टूल लगाकर इस मिश्रण को भर दिया जाता है और विमान को बादलों के बीच जाकर फायर के साथ केमिकल का छिड़काव करने से कृत्रिम बारिश होने लगती है. प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश के हुए रिसर्च में देश में होने वाली खेती को भी बेहद लाभ होने जा रहा है. जल्दी में बिना मौसम के दिन बारिश करवा कर बारिश में होने वाली फसलों को डेवलप किया जाएगा.


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