Today – June 8, 2025 9:32 pm
Facebook Twitter Instagram

A1 News Tv

  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
Home दिल्ली/NCR

मानसून इतनी जल्दी कैसे आ गया, इससे कितना फायदा, कितना नुकसान?

News room by News room
May 25, 2025
in दिल्ली/NCR
0
मानसून इतनी जल्दी कैसे आ गया, इससे कितना फायदा, कितना नुकसान?
  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

इस साल देश में मानसून ने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी है. दक्षिण-पश्चिम मानसून ने औपचारिक रूप से केरल में दस्तक दे दी है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भी इसकी पुष्टि कर दी है कि साल 2025 में मानसून 24 मई को ही केरल पहुंच गया है, जबकि आमतौर पर इसकी शुरुआत एक जून को होती है. वैसे मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी थी कि इस बार मानसून समय से पहले आ जाएगा. आइए जान लेते हैं कि देश में इस बार मानसून इतनी जल्दी कैसे आ गया? क्या जल्दी खत्म भी हो जाएगा? इससे कितना फायदा या नुकसान होगा?

दरअसल, मौसम विभाग मानसून की घोषणा करने के लिए कुछ वैज्ञानिक मानकों का पालन करता है. इनमें से एक यह है कि केरल और आसपास के इलाके में 14 तय मौसम केंद्रों में से कम से कम 60 फीसदी पर लगातार दो दिनों तक 2.5 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो. इसके साथ ही पश्चिमी हवा 15-20 नॉट की स्पीड से चलनी चाहिए. इसके अलावा एक विशेष क्षेत्र में आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) का स्तर 200 W/m² से कम होना चाहिए. इस बार इन सभी मानदंडों पूरा होने के कारण मानसून की घोषणा आधिकारिक रूप से कर दी गई.

तय तारीख से आठ दिन पहले आया

इस बार केरल में मानसून तय तारीख से पूरे आठ दिन पहले आया है. इससे पहले पिछले हफ्ते ही आईएमडी ने अनुमान जताया था कि 27 मई के आसपास मानसून दस्तक दे सकता है. इसमें 4 दिन पहले या बाद का अंतर आ सकता है. विभाग की भविष्यवाणी इस बार सटीक साबित हुई.

साल 2009 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि मानसून इतनी जल्दी भारत पहुंचा है. इसकी दस्तक के साथ ही केरल के कई हिस्से में भारी बारिश शुरू हो गई है. वैसे IMD के आंकड़ों की मानें तो पिछले 150 सालों में मानसून के केरल में दस्तक देने की तारीखें काफी अलग-अलग रही हैं. साल 1918 में मानसून ने रिकॉर्ड रूप से सबसे पहले 11 मई को केरल में दस्तक दे दी थी. वहीं, साल 1972 में यह केरल सबसे अधिक देरी से 18 जून को पहुंचा था.

मानसून के लिए जिम्मेदार होती हैं ये दो स्थितियां

वास्तव में मानसून और बारिश के लिए दो स्थितियां (पैटर्न) जिम्मेदार होती हैं. इनमें एक है अल नीनो और दूसरी ला नीना. अल नीनो में समुद्र का तापमान तीन से चार डिग्री तक बढ़ जाता है. आमतौर पर इस स्थिति का प्रभाव 10 साल में दो बार देखने को मिलता है. इसका प्रभाव यह होता है कि ज्यादा बारिश वाले इलाकों में कम बारिश और कम बारिश वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है. दूसरी ओर, ला नीना में समुद्र का पानी खूब तेजी से ठंडा होने के कारण दुनिया भर के मौसम पर सकारात्मक असर पड़ता है. इससे बादल छाते हैं और बेहतर बारिश होती है.

भारत में इस बार इसलिए जल्दी पहुंचा मानसून

भारत में इस बार जल्दी मानसून आने का मुख्य कारण अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में नमी का बढ़ना है. इसी दौरान समुद्र का टेम्प्रेचर सामान्य से अधिक रहा, जिसके कारण मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हो गईं. फिर पश्चिमी हवाएं चलीं और चक्रवाती हलचलों ने भी मानसून को बढ़ने में मदद की. इसके अलावा दुनिया भर में होने वाला जलवायु परिवर्तन भी मौसम के इस पैटर्न में बदलाव का एक बड़ा कारण बन रहा है.

जल्दी आना, जल्दी जाने की गारंटी नहीं

केरल में जब मानसून की शुरुआत होती है, तो इसके बाद यह धीरे-धीरे उत्तर दिशा में बढ़ता है. फिर जून का अंत तक आते-आते यह देश के ज्यादातर हिस्से पर छा जाता है. सामान्य तौर पर जुलाई के मध्य तक देश के सभी हिस्सों में मानसून पहुंच जाता है. हालांकि, मानसून का जल्दी आना इस बात की गारंटी नहीं होती कि वह जल्द ही खत्म भी हो जाएगा. यह सब मौसम की अलग-अलग कई जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर होता है. इनमें सबसे अहम है अरब सागर के साथ ही बंगाल की खाड़ी में समुद्र का तापमान, हवा का दबाव और दुनिया भर के मौसम का पैटर्न.

अच्छी गति पर निर्भर करती है बारिश

मानसून अगर देश में समय से पहले आ जाए और उसकी गति भी अच्छी बनी रहे, तो पूरे देश में सामान्य अथवा अच्छी बारिश हो सकती है. वहीं, मानसून अगर जल्दी आकर धीमा या फिर कमजोर हो जाए, तो बारिश में कमी भी हो सकती है. इसलिए मानसून जल्दी आना अच्छी बारिश का संकेत नहीं है और न ही देर से आना कम बारिश का संकेत है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मानसून देर से आता है. इसके बावजूद स्थितियां अच्छी बनी रहने से लंबे समय तक टिका रहता है और अच्छी बारिश होती है.

जल्दी बोए जा सकेंगे बीज, उपज अच्छी होगी

मानसून जल्दी आना न तो यह दर्शाता है कि इससे फायदा होगा न ही यह दर्शाता है कि इससे नुकसान होगा. हालांकि, देश के ज्यादातर हिस्सों में अब तक चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी नहीं पड़ने से खेतों की नमी नहीं सूखी है. ऐसे में खेतों में बीज जल्दी बोए जा सकेंगे. अगर मानसूनी बारिश होती रही तो फसलों को पर्याप्त पानी मिलता रहेगा और उपज अच्छी होगी.

मौसम विभाग ने इस बार अप्रैल में ही कहा था कि साल 2025 के मानसून सीजन के दौरान किसी तरह से अल नीनो की कोई संभावना नहीं है. ऐसे में इस साल सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है. फिलहाल देश में कम बारिश की आशंका नहीं के बराबर है. ऐसे ही साल 2023 में जब अल नीनो सक्रिय हुआ था, तब मानसून के सीजन में सामान्य से छह फीसदी तक कम बारिश हुई थी.

  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Previous Post

लालू यादव का बड़ा फैसला, बड़े बेटे तेजप्रताप को पार्टी से निकाला, परिवार से भी किया बेदखल

Next Post

नैतिक मूल्य-लोक आचरण- गैर जिम्मेदार… तेजप्रताप को पार्टी-परिवार से बेदखल करते हुए लालू यादव ने क्या-क्या लिखा?

Next Post
नैतिक मूल्य-लोक आचरण- गैर जिम्मेदार… तेजप्रताप को पार्टी-परिवार से बेदखल करते हुए लालू यादव ने क्या-क्या लिखा?

नैतिक मूल्य-लोक आचरण- गैर जिम्मेदार… तेजप्रताप को पार्टी-परिवार से बेदखल करते हुए लालू यादव ने क्या-क्या लिखा?

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook Instagram Twitter

Powered by AMBIT +918825362388

Send this to a friend