Today – June 9, 2025 11:58 am
Facebook Twitter Instagram

A1 News Tv

  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
Home देश

सेक्स एजुकेशन पर पॉलिसी बनाए केंद्र, SC ने नोटिस भी जारी किया, एक्सपर्ट पैनल बनाने की दी सलाह

News room by News room
May 25, 2025
in देश
0
सेक्स एजुकेशन पर पॉलिसी बनाए केंद्र, SC ने नोटिस भी जारी किया, एक्सपर्ट पैनल बनाने की दी सलाह
  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से किशोरों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार करने को कहा है, ताकि उन्हें सख्त पोक्सो कानून (Protection of Children from Sexual Offences Act, Pocso) के तहत जेल न जाना पड़े. साथ ही कोर्ट ने यौन और प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा पर नीति बनाने का भी सुझाव दिया.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी कर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस मसले का अध्ययन करने और 25 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने के लिए एक एक्सपर्ट पैनल गठित करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि वह रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद ही आगे के निर्देश जारी करेगी.

क्या है मामला

कोर्ट के आदेश की वजह पश्चिम बंगाल की एक महिला की अपने पति की सुरक्षा के लिए कानूनी लड़ाई थी, जिसे 14 साल की उम्र में उसके साथ संबंध बनाने के लिए पोक्सो कानून के तहत 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.

कोर्ट ने इस संवेदनशील मुद्दे पर मदद के लिए 2 सीनियर महिला एडवोकेट माधवी दीवान और लिज मैथ्यू को नियुक्त किया था और उन्होंने सुझाव दिया कि सहमति से संबंध बनाने वाले किशोरों को भी सुरक्षा की आवश्यकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि पोक्सो कानून नाबालिगों को यौन शोषण से बचाने में एक जरूरी मकसद पूरा करता है, लेकिन किशोर संबंधों के लिहाज से इसके कठोर आवेदन से ऐसे रिजल्ट सामने आ सकते हैं जो अभियोक्ता और उसके आश्रितों के सर्वोत्तम हितों के अनुरूप नहीं हो सकते हैं.

‘पेनिट्रेशन’ का मामला एकतरफा कृत्य नहींः HC

सीनियर एडवोकेट के सुझावों को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने मामले में केंद्र को पक्षकार बनाया और नोटिस जारी किया. एडवोकेट ने यह भी बताया कि दिल्ली और मद्रास सहित कई हाई कोर्ट ने एक सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाया और पोक्सो कानून के मकसदों और कारणों के कथन की व्याख्या इस प्रकार की है कि इसका मकसद सहमति से बनाए गए रोमांटिक संबंधों को अपराध नहीं बनाना है.

कई मामलों में, मद्रास हाई कोर्ट ने एक कानूनी व्याख्या अपनाई कि सहमति से किए गए ‘पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट’ के अपराध में ‘हमले’ की जरुरत को पूरा नहीं करते हैं.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने माना कि पोक्सो एक्ट में ‘पेनिट्रेशन’ को अभियुक्त द्वारा एकतरफा कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है और इसलिए, सहमति से शारिरिक संबंध बनाए जाने के मामलों में, ‘पेनिट्रेशन’ के लिए सिर्फ अभियुक्त को अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. कई अन्य हाई कोर्ट ने भी इस प्रकार के अभियोजन से पीड़ित पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार किया, साथ ही केस को आगे बढ़ाने से पीड़ित को नुकसान पहुंचने की स्थिति में कार्यवाही को रद्द करने का आदेश भी दिया.

  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Previous Post

मेरा फेसबुक अकाउंट हैक हो गया…रिलेशनशिप वाली पोस्ट पर बोेले तेजप्रताप यादव

Next Post

आंधी-तूफान बनकर आई ‘मौत’… गाजियाबाद के ACP ऑफिस की छत ढही, दारोगा की चली गई जान

Next Post
आंधी-तूफान बनकर आई ‘मौत’… गाजियाबाद के ACP ऑफिस की छत ढही, दारोगा की चली गई जान

आंधी-तूफान बनकर आई ‘मौत’… गाजियाबाद के ACP ऑफिस की छत ढही, दारोगा की चली गई जान

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook Instagram Twitter

Powered by AMBIT +918825362388

Send this to a friend