Today – June 29, 2025 9:49 pm
Facebook Twitter Instagram

A1 News Tv

  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
Home हिमाचल प्रदेश

आंखों से देख नहीं सकती, फिर भी फतेह कर लिया माउंट एवरेस्ट… हिमाचल की बेटी ने रचा इतिहास, बनाया ये रिकॉर्ड

News room by News room
May 24, 2025
in हिमाचल प्रदेश
0
आंखों से देख नहीं सकती, फिर भी फतेह कर लिया माउंट एवरेस्ट… हिमाचल की बेटी ने रचा इतिहास, बनाया ये रिकॉर्ड
  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

हिमाचल प्रदेश की आदिवासी समुदाय से आने वाली बेटी ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर विजय पाई है. खास बात ये है कि वह भारत की ऐसी पहली महिला बनी हैं, जो आंखों से देख नहीं पाती (दृष्टिहीन) हैं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की है. इन महिला का नाम छोंजिन आंगमो है, उन्होंने ये इतिहास रचा है.

हिमाचल के किन्नौर की रहने वाली छोंजिन आंगमो ने 8 साल की उम्र में ही अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से MA किया हुआ है और वह यूनियन बैंक में जॉब भी करती हैं. आंखों की रोशनी न होने के बावजूद अब उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया में भी हिमाचल का नाम रोशन कर कर दिया है. वह भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं दृष्टिहीन महिला हैं, जो एवरेस्ट पर चढ़ी हैं.

लद्दाख में माउंट कांग यात्से पर चढ़ाई

भारत-तिब्बत सीमा पर सुदूर चांगो में जन्मीं छोंजिन आंगमो इससे पहले लद्दाख में माउंट कांग यात्से 2 (6,250 मीटर) की चढ़ाई चढ़ चुकी हैं. वह हेलेन केलर को अपना आइडल मानती थीं. इसलिए उन्होंने कभी अपने आप को कम नहीं समझा और दृष्टिहीन होने को अपनी कमजोरी नहीं समझा. वह हेलेन केलर के ‘दृष्टिबाधित होने से बुरी बात है आंखों के होते हुए भी दृष्टि (कोई सपना) न होना.’ वाले कथन पर विश्वास रखती हैं, जो बताता है कि आंखों होते हुए कोई सपना न देखने आंखें न होने से भी बुरी बात है.

छोंजिन आंगमो के पिता ने क्या कहा?

छोंजिन आंगमो के परिवार वाले उनकी इस अचीवमेंट पर बेहद खुश हैं. उनके पिता ने कहा कि मेरी बेटी पर मुझे गर्व है. अभी हमें उनके बारे में ठीक से तो पता नहीं है. लेकिन हम उनके वापस आने का इंतजार कर रहे हैं. छोंजिन आंगमो के गांव में भी उनकी विजय से खुशी की लहर है. खुद छोंजिन आंगमो ने बताया कि ये पहाड़ की चोटियों पर चढ़ना मेरा बचपन का सपना रहा है. लेकिन आर्थिक तंगी उनके सामने एक बड़ी परेशानी थी. लेकिन अब वह कहती हैं कि मैं उन सभी चोटियों पर चढ़ने की कोशिश करूंगी, जो छूट गई हैं.

PM मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

छोंजिन आंगमो दिव्यांग अभियान दल की सदस्य भी रह चुकी हैं. पिछले साल वह 5,364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेक पूरा करने वाली पहली दृष्टिबाधित भारतीय महिला का खिताब अपने नाम किया था. उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की थी. वह नेशनल लेवल पर दो कांस्य पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं. इसके साथ ही तीन बार उन्होंने दिल्ली मैराथन और पिंक मैराथन, साथ ही दिल्ली वेदांत मैराथन में पार्टिसिपेट किया है.

  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Previous Post

‘सुनो जी! कब आओगे…’, शादी के दिन दूल्हे ने मारा ऐसा बहाना, फूट-फूट कर रोने लगी दुल्हन

Next Post

पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक, नीतीश समेत ये CM नहीं हो रहे शामिल

Next Post
पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक, नीतीश समेत ये CM नहीं हो रहे शामिल

पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक, नीतीश समेत ये CM नहीं हो रहे शामिल

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook Instagram Twitter

Powered by AMBIT +918825362388

Send this to a friend