Today – June 29, 2025 10:34 am
Facebook Twitter Instagram

A1 News Tv

  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
  • होम
  • देश
  • राजनीति
  • कहानी संघर्ष की
  • आपका डॉक्टर
  • वायरल
  • इतिहास
  • खेल
  • मनोरंजन
  • राजस्थान
  • विदेश
  • शिक्षा
Home धार्मिक

18 मई को खुलेंगे श्री रुद्रनाथ मंदिर के द्वार, यहीं पांडवों को मिली थी हत्या के पाप से मुक्ति!

News room by News room
May 16, 2025
in धार्मिक
0
18 मई को खुलेंगे श्री रुद्रनाथ मंदिर के द्वार, यहीं पांडवों को मिली थी हत्या के पाप से मुक्ति!
  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link

 उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित रुद्रनाथ मंदिर, पंच केदार में से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. जिस तरह केदारनाथ धाम शिव भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है, उसी तरह रुद्रानाथ मंदिर भी शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है. कहते हैं कि महाभारत का युद्ध के बाद पांडवों ने इस स्थान पर आकर अपने ही भाईयों यानी कौरवों की हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी. बता दें कि 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे. इस मंदिर में रोजाना कुल 140 तीर्थ यात्री ही दर्शन कर पाते हैं.

रुद्रनाथ मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह चमत्कारी रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है. यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर यानी 11,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित, यह प्राकृतिक चट्टान मंदिर रोडोडेंड्रोन बौनों और अल्पाइन चरागाहों के घने जंगल के भीतर स्थित है. यह मंदिर पंचकेदारों में चतुर्थ केदार माना जाता है.

पांडवों से है गहरा नाता

इन मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के समय पांडवों ने किया था. उन्होंने इस मंदिर में अपने भाइयों यानी कौरवों की हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की थी. रुद्रनाथ के मुख्य मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति के अलावा इस मंदिर के बाहर बाईं ओर पांचों पांडवों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव व उनकी माता कुंती, पत्नी द्रौपदी, वन देवता और वन देवियों की मूर्तियां स्थापित हैं. मंदिर के दाईं ओर यक्ष देवता का मंदिर है, जिन्हें स्थानीय लोग जाख देवता कहते हैं.

भगवान शिव के मुख की पूजा

इस मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव के बैल रुपी अवतार का मुख प्रकट हुआ था. मंदिर के करीब अन्य छोटे मंदिर हैं जो पांचों पांडवों, माता कुंती व द्रौपदी को समर्पित हैं.

पंच केदार का महत्व

मान्यता है कि पंच केदारों में सबसे पहला केदार, केदारनाथ है, जहां सबसे पहले पांडवों ने भगवान शिव के धड़ के दर्शन किए थे. मध्यमहेश्वर दूसरे केदार के नाम से जाने जाते हैं, यहां पर शिव के मध्य भाग के दर्शन होते हैं. तीसरे केदार तुंगनाथ में भगवान शिव की भुजा का स्वरूप है. चौथे केदार रुद्रनाथ में शिव के मुख के दर्शन किए जा सकते हैं, जबकि पांचवें केदार कल्पेश्वर में शिव की जटा विराजमान है. इन पंच केदारों में से तीन केदारनाथ, मध्यमहेश्वर और तुंगनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं, जबकि शेष दो रुद्रनाथ और कल्पेश्वर चमोली जिले में स्थित हैं.

  • Facebook
  • Twitter
  • Email
  • WhatsApp
  • Telegram
  • Facebook Messenger
  • Copy Link
Previous Post

पाकिस्तान से छीनो एटम बम… दुनिया में कौन-कौन हैं खतरे वाले परमाणु जोन?

Next Post

भारतीय जवानों के हर मूवमेंट पर चीन की नजर, ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर चल रहा ‘खेल’

Next Post
भारतीय जवानों के हर मूवमेंट पर चीन की नजर, ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर चल रहा ‘खेल’

भारतीय जवानों के हर मूवमेंट पर चीन की नजर, ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर चल रहा ‘खेल’

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook Instagram Twitter

Powered by AMBIT +918825362388

Send this to a friend