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‘बस आधा घंटा मुझे मेरे पति की लाश के साथ रहने दो…’, भारत-पाक तनाव में शहीद रामबाबू की पत्नी ने क्यों जताई ये इच्छा?

News room by News room
May 16, 2025
in बिहार
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‘बस आधा घंटा मुझे मेरे पति की लाश के साथ रहने दो…’, भारत-पाक तनाव में शहीद रामबाबू की पत्नी ने क्यों जताई ये इच्छा?
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भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान बिहार का लाल शहीद हुआ तो सबसे ज्यादा सदमा उसकी बीवी को लगा. शादी को महज पांच महीने ही हुए थे और इतनी जल्दी दोनों का साथ छूट गया. रामबाबू प्रसाद अपनी नई नवेली दुल्हन को हमेशा-हमेशा के लिए इस तरह अकेला छोड़ गया. शहीद फौजी रामबाबू की बीवी अंजलि ने बताया कि उनका अफेयर 8 साल से चल रहा था. घर वालों को मनाने में इतने साल गुजर गए, तब जाकर दोनों की शादी हुई थी.

शहीद रामबाबू का गांव वसिलपुर सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड में है. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया. पांच महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोग उमड़ पड़े. उनकी पत्नी और मां पार्थिव शरीर से लिपटकर रोती रहीं. अंतिम संस्कार से पहले सेना के जवानों ने उनकी पत्नी से आखिरी इच्छा पूछी, जिसे सुनकर सभी भावुक हो गए.

अंजलि ने सेना के अफसरों से कहा- मैं चाहती हूं कि अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से पहले रामबाबू के पार्थिव शरीर को हमारे कमरे तक ले जाया जाए. यह सुनकर सेना के जवान तुरंत पार्थिव शरीर को उनके कमरे तक ले गए. लगभग आधे घंटे तक कमरा बंद रहा और रामबाबू के परिजन अंदर रहे. इसके बाद, रामबाबू का पार्थिव शरीर बाहर लाया गया और सभी ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी.

ज्यादातर समय ड्यूटी पर रहे रामबाबू

रामबाबू शादी के बाद वे ज्यादातर समय ड्यूटी पर ही रहे. जिस दिन वे शहीद हुए, उस दिन भी उन्होंने सुबह अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी. उन्होंने शाम को फिर से कॉल करने का वादा किया था. लेकिन, 13 मई को अचानक ही उनके शहादत की खबर उनके परिवार को मिली.

परिवार को मनाने में लग गए थे आठ साल

अंजलि ने बताया- आठ साल पहले हम दोनों जयपुर में एक शादी समारोह में मिले थे. बातचीत के बाद दोस्ती फिर अफेयर शुरू हुआ. मन बनाया कि अब शादी कर लेंगे. लेकिन तब रामबाबू कोई नौकरी नहीं करते थे. शादी को लेकर रामबाबू ने अपने परिवार वालों से बात की, लेकिन घर वाले आनाकानी करने लगे. जबकि, मेरे घर वाले नौकरी नहीं होने की बात बोलकर शादी टाल मटोल करने लगे थे. हम दोनों ने शादी को लेकर लंबा संघर्ष किया. इन आठ सालों में हम दोनों ने बहुत सुख-दुख देखे. फिर जैसे ही रामबाबू की नौकरी लगी तो मेरे घर वाले शादी के लिए राजी हो गए.

पांच महीने में हो गए हमेशा के लिए जुदा

शहीद की बीवी ने बताया- दिसंबर में हम दोनों की शादी हुई. अभी पांच महीने ही शादी के हुए थे, तब तक भगवान ने इतना बड़ा दुख दे दिया. हम दोनों ने एक दूसरे को पाने के लिए बहुत संघर्ष किए थे. लेकिन पांच महीने में ही जुदा हो गए. हमेशा उनकी कमी रहेगी. अंजलि बोलीं- पति के शहीद होने का फोन सबसे पहले मुझे ही आया था. उस वक्त मैं धनबाद में थी. वहां मेरा मायका है. मुझे लगा शायद को फ्रॉड कॉल है. तब मैंने उनकी बात पूरी सुने बिना ही फोन काट दिया. फिर उन्होंने इसकी सूचना मेरे जेठ अखिलेश को दी. अखिलेश ने फिर मेरे पापा को कहा कि आप अंजलि को लेकर उसके ससुराल आ जाओ. फिर जब मैं ससुराल पहुंची तब मुझे पता चला कि ये सब हो गया है.

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