उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव लगातार सियासी ताना-बाना बुनने लगे हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 2027 के चुनावी रण में मात देने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने की कवायद में जुटी ही है. अखिलेश इन दिनों अलग-अलग जाति समूह के साथ बैठक कर रहे हैं और उनके महापुरुषों की लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट के किनारे मूर्ति लगाने का ऐलान कर राजनीतिक संदेश भी देने में लगे हैं.
अखिलेश यादव ने सबसे पहले चौरसिया समुदाय के पूर्व सांसद शिवदयाल चौरसिया के नाम से स्मारक बनाने का ऐलान किया. इसके बाद राजभर समाज के मसीहा माने जाने वाले सुहेलदेव महाराज की प्रतिमा और शुक्रवार को अखिलेश ने महाराणा प्रताप की मूर्ति को गोमती रिवर फ्रंट पर लगाने का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं उन्होंने दोनों ही मूर्तियों में सोने की तलवार लगाने का भी वादा किया है. इस तरह से अखिलेश अभी तक 3 अलग-अलग जातियों के महापुरुषों की मूर्ति लगवाने का दांव चल सके है, जिसके सियासी मकसद को साफ समझा जा सकता है?