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Gyanvapi Case : मुकदमा, विवाद और इतिहास… ज्ञानवापी केस की ये है पूरी कहानी

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August 3, 2023
in खेल, देश
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Gyanvapi Case: वाराणसी में इतिहास से भी पुराने बाबा विश्वनाथ मंदिर और उसी मंदिर में बना विवादित ढांचा, जिसे लोग ज्ञानवापी परिसर कहते हैं इस समय बहुत चर्चित विषय बना हुआ है। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे करने की इजाजत दे दी है। आज हम आपको ज्ञानवापी परिसर का असली इतिहास बताने जा रहे हैं।
ज्ञानवापी परिसर और काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि मां श्रृंगार गौरी मंदिर और ज्ञा वापी मस्जिद को लेकर विवाद क्यों है।
“दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में 18 अगस्त 2021 को वाराणसी जिला अदालत में केस दाखिल किया था। राखी सिंह बनाम सरकार उत्तर प्रदेश केस के माध्यम से मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और विग्रहों की सुरक्षा की मांग की गई थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया।”

यह भी पढ़े – CM Yogi का ज्ञानवापी पर बड़ा बयान, कहा – ‘मस्जिद में त्रिशूल क्या कर रहा, हमने तो नहीं रखा है ना’

मां श्रृंगार गौरी मंदिर का इतिहास
असल में मां श्रृंगार गौरी मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है, आदि अनादि काल में काशी का ज्योतिर्लिंग आदि विशेश्वर ***** के नाम से था। वहीं, मां श्रृंगार गौरी भी विराजमान थी। मुगलों के समय इसका अस्तित्व बदला और वहां से कुछ दूर काशी विश्वनाथ की स्थापना हुई। इस दौरान श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी परिसर में आ गई, जिसे प्रशासन ने 1998 बंद कर दिया। इस मंदिर के दर्शन पूजन के लिए प्रयासरत्न गुलशन कपूर को 2004 में सफलता मिली। प्रशासन ने केवल एक दिन चैत नवरात्रि के चतुर्थी को दर्शन पूजन की अनुमति दिया। तब से अब तक जनमानस चैत नवरात्रि चतुर्थी के दिन मां की पूजा करते हैं। याचिका दायर करने वाली महिलाओं का कहना है कि हिन्दुओं को रोज उनके भगवान के दर्शन करने का अधिकार है। मां श्रृंगार गौरी के दर्शन उनका मौलिक अधिकार है। इसके लिए किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं है यह रोज और सभी के लिए खुला रहना चाहिए।
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