UP NEWS: सालों बाद जब बलिया की जानकी को उसके राम (पति) मिले भी तो वो भी केवल एक दिन का छलावा निकला। दरअसल, जानकी उस विक्षिप्त को अपना पति मानकर गांव ले गई तो गावं वालों ने भी उस व्यक्ति की खूब अवभगत की। लेकिन कुछ देर बाद ही गांव में एक परिवार आया और उस विक्षिप्त को अपना परिजन खोया बेटा राहुल बताने लगे। मानसिक व्यक्ति राहुल की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में भी दर्ज पाई गई है। बस फिर क्या था… कुछ देर का मिलन फिर से निराशा की आस में बदल गया। इसतरह जानकी का इंतजार फिर से लंबा हो गया।
जानकी का पति राहुल निकला
जानकी अपने पति मोतीचंद मौर्य के इंतजार में इतनी बावली हो गयी थी कि उसने देखा ही नहीं जिसे पति समझकर घर ले जा रही है, वह कोई और है। यह मामला 28 जुलाई, शनिवार की है। जानकी अस्पताल गई थी, तो उसे अस्पताल के बाहर उसका एक भिखारी बैठा दिखाई दिया, वह बिलकुल उसके पति मौतीचंद मौर्य जैसा लगा। उसने तुरंत मान लिया था कि यही उसका पति है, जिसके साथ उसने सात फेरे लिये थे। उसे देखते ही जानकी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकी उसे अपने साथ रिक्शा में बैठाकर घर ले आई।
जानकी अपने पति मोतीचंद मौर्य के इंतजार में इतनी बावली हो गयी थी कि उसने देखा ही नहीं जिसे पति समझकर घर ले जा रही है, वह कोई और है। यह मामला 28 जुलाई, शनिवार की है। जानकी अस्पताल गई थी, तो उसे अस्पताल के बाहर उसका एक भिखारी बैठा दिखाई दिया, वह बिलकुल उसके पति मौतीचंद मौर्य जैसा लगा। उसने तुरंत मान लिया था कि यही उसका पति है, जिसके साथ उसने सात फेरे लिये थे। उसे देखते ही जानकी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकी उसे अपने साथ रिक्शा में बैठाकर घर ले आई।
मोतीचंद मौर्य के मिलने की खबर और जानकी के प्रेम को देखकर बड़ी संख्या में लोग आर्थिक रूप से कमजोर जानकी की मदद करने पहुंचे। इस खबर के बाद सैकड़ों लोग उसके घर पर जुट गए थे। परिवार भी मोतीचंद के मिल जाने को लेकर खुश था। कोई उसे हाथों से खाना खिला रहा था। बूढ़ी मां हाथ से पंखा झल रही थी। बिछड़े पति-पत्नी के इस मिलन को देख कर हर किसी की आंखें नम हो गई। लोगों ने पत्नी के इस प्रेम को देखकर जानकी की खूब तारीफें की।