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हिंदुओं को क्यों आर्म्स लाइसेंस देने की बात कर रहे हैं असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा?

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August 11, 2025
in देश
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हिंदुओं को क्यों आर्म्स लाइसेंस देने की बात कर रहे हैं असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा?
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को सनातन धर्म को लेकर एक बड़ा बयान दे दिया है. जिसके बाद से असम की सियासत में नई बहस शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि असम में कुछ ऐसे जिले हैं, जहां एक गांव में 30,000 लोगों के बीच केवल 100 सनातन धर्म के लोग रहते हैं. कानूनी प्रक्रिया के तहत, यदि ऐसे परिवार चाहें तो उन्हें आर्म्स लाइसेंस मिल सकता है. सनातन धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. अगर कोई हिंदू परिवार कठिन परिस्थितियों में रह रहा है और कानूनी तौर पर हथियार का लाइसेंस लेना चाहता है, तो सरकार उसका पूरा समर्थन करेगी. बता दें कि सीएम सरमा का बयान ऐसे समय में आया है जब असम में जनसंख्या संतुलन और धार्मिक असमानता को लेकर बहस छिड़ी हुई है.

कानून के तहत मिलेगा शस्त्र लाइसेंस

हालांकि सीएम सरमा ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस बांटने का यह फैसला किसी को डराने के लिए नहीं लिया गया है, बल्कि आत्मरक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये परिवार खतरे में हैं, इसलिए कानून के तहत आर्म्स लाइसेंस ले सकते हैं.

जांच के बाद दिया जाएगा लाइसेंस

यह नीति मई 2025 से लागू की गई है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के लिए है, जहां बांग्लादेशी मूल के मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. इसके लिए एक पोर्टल से आवेदन करना होगा और जांच के बाद लाइसेंस दिया जाएगा. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले पर सरकार को घेरा है. जबकि बीजेपी समर्थकों का कहना है कि अल्पसंख्यक हिंदू परिवारों के लिए यह जरूरी कदम है.

अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस नीति

बता दें कि असम में 2021 में हिमंत बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री बने थे. जिसके बाद से अपराधियों पर जीरो टॉलरेंस नीति लागू की गई. आंकड़ों के अनुसार, पिछले 3 साल में पुलिस एनकाउंटर के 200 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से कई मामलों में असम सरकार ने खुलकर कहा कि यह अपराध और उग्रवाद को खत्म करने की रणनीति है.

आक्रामक क्यों हैं सीएम सरमा?

सीएम सरमा का मानना है कि असम को ड्रग्स माफिया, पशु तस्करी और आतंकी नेटवर्क से तभी मुक्त किया जा सकता है, जब पुलिस अपराधियों के मन में डर बैठाए. यही वजह है कि वे सार्वजनिक मंच से भी पुलिस को कठोर कार्रवाई का संदेश देते हैं.


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