15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ, लेकिन इसके साथ आई विभाजन की त्रासदी ने करोड़ों लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. पंजाब, लाहौर और अमृतसर के गांव-शहरों में हिंसा, लूटपाट और पलायन का मंजर ऐसा था कि लोग आज भी भूल नहीं पाए हैं. इन्हीं में से एक रामजीदास का परिवार भी था, जो कि पाकिस्तान के लाहौर शहर से बचकर बीकानेर में आकर बस गए. आज भी उनका परिवार यहीं हंसी-खुशी रह रहा है.
रामजीदास का जन्म 1935 में पाकिस्तान के लाहौर शहर के निका सुल्ताना इलाके में हुआ था. आजादी के दौरान वह लाहौर के ही एक हिंदू स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे. हालांकि, पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वह बटवारे के समय अपने परिवार के साथ भारत आ गए. रामजीदास की बहू बताती है कि उनके पिता चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. रामजीदास बताते हैं कि बटवारे के समय चारों तरफ खून खराबा था. लोगों को मारा जा रहा था.