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पंजाब सरकार की ‘राइट टू बिज़नेस एक्ट’ नीति ने बदल दिया उद्योग जगत का चेहरा

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October 9, 2025
in पंजाब
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पंजाब सरकार की  ‘राइट टू बिज़नेस एक्ट’ नीति ने बदल दिया उद्योग जगत का चेहरा
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छोटे उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम

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“पंजाब राइट टू बिज़नेस एक्ट, 2020 को उस समय लाया गया जब राज्य के छोटे उद्योगों को नयी यूनिट शुरू करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सोच थी कि अगर पंजाब को निवेश का केंद्र बनाना है, तो सबसे पहले छोटे कारोबारियों को सुविधा और विश्वास देना ज़रूरी है। इसी विचार से यह कानून बना, जो अब पंजाब की औद्योगिक क्रांति की रीढ़ बन चुका है| मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने राज्य के उद्योग जगत में क्रांतिकारी सुधार किए हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण कदम है “पंजाब राइट टू बिज़नेस एक्ट”, जिसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को कारोबार शुरू करने में आसानी देना है। पहले जहाँ एक छोटा उद्योग लगाने के लिए दर्जनों विभागों की मंज़ूरी लेनी पड़ती थी, अब सरकार ने इस पूरे झंझट को एक सिंगल सिस्टम — “सेल्फ डिक्लेरेशन मॉडल” के ज़रिए समाप्त कर दिया है। यह मॉडल पूरी तरह भरोसे और पारदर्शिता पर आधारित है।

इस नीति के तहत कोई भी उद्यमी अब केवल एक “Declaration of Intent” (व्यवसाय शुरू करने की घोषणा) ऑनलाइन जमा करके अपने उद्योग की शुरुआत कर सकता है। इस घोषणा के आधार पर सरकार तुरंत एक “Certificate of In-Principle Approval” जारी करती है, जिसके बाद उद्यमी बिना किसी विभागीय अनुमति की प्रतीक्षा किए अपनी इकाई का निर्माण या संचालन शुरू कर सकता है। यह नीति उन छोटे कारोबारियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जिन्हें पहले महीनों तक सरकारी औपचारिकताओं में समय बर्बाद करना पड़ता था। अब पंजाब में व्यापार शुरू करने का मतलब है — “पहले काम, बाद में कागज़ात।सारी प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑनलाइन है — आवेदन से लेकर प्रमाणपत्र मिलने तक हर कदम Invest Punjab पोर्टल के ज़रिए किया जाता है। इससे भ्रष्टाचार और देरी की संभावना लगभग समाप्त हो गई है। यह तकनीक-आधारित प्रणाली छोटे उद्यमियों के लिए ईमानदार शासन का उदाहरण बन गई है।”

इस एक्ट के अंतर्गत उद्योगों को तीन साल की छूट (Grace Period) दी जाती है। इस दौरान उद्यमियों को फैक्ट्री लाइसेंस, पर्यावरण अनुमति, श्रम विभाग की मंज़ूरी या अन्य राज्य स्तरीय स्वीकृतियों की ज़रूरत नहीं होती। जब तक कोई गंभीर शिकायत न हो, कोई विभाग निरीक्षण नहीं कर सकता। इस व्यवस्था ने छोटे व्यवसायों को आत्मविश्वास दिया है कि वे बेझिझक उत्पादन या व्यापार शुरू कर सकते हैं। तीन साल बाद, जब उनका व्यवसाय स्थिर हो जाता है, तब वे सभी आवश्यक अनुमतियाँ और प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह एक “भरोसे पर विकास” का मॉडल है जो प्रशासन और व्यापारियों के बीच सकारात्मक रिश्ता बनाता है।

इस नीति को लागू करने के लिए सरकार ने हर ज़िले में “District Bureau of Enterprise (DBE)” की स्थापना की है। यह ब्यूरो न सिर्फ़ दस्तावेज़ी सहायता देता है, बल्कि नए निवेश प्रस्तावों पर तुरंत कार्रवाई करता है। इससे न सिर्फ़ समय बचता है बल्कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता भी बढ़ी है।यह ब्यूरो ज़िला उपायुक्त की अध्यक्षता में काम करता है और उद्योगपतियों को एक ही स्थान पर सभी सुविधाएँ प्रदान करता है — आवेदन, दस्तावेज़ जाँच, प्रमाणपत्र जारी करना और शिकायत निवारण तक। पहले जहाँ उद्यमियों को 8–10 विभागों के चक्कर लगाने पड़ते थे, अब एक ही कार्यालय में सब कुछ निपट जाता है। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) की दिशा में पंजाब सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।

इस योजना ने पंजाब के हज़ारों छोटे उद्यमियों को नई ऊर्जा दी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, इस नीति के तहत अब तक सैकड़ों नए उद्योगों ने काम शुरू किया है, जिससे लगभग 4000 से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है और 400 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश आकर्षित हुआ है। पंजाब के शहरों — लुधियाना, मोहाली, अमृतसर और जालंधर — में उद्योग जगत में नई ऊर्जा आई है।उद्यमियों का कहना है कि पहले जहाँ महीनों तक फाइलें विभागों में अटकी रहती थीं, अब वही काम कुछ ही दिनों में पूरा हो जाता है। पंजाब का उद्योग वातावरण अब और अधिक सरल, सुरक्षित और निवेश-अनुकूल बन गया है।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कई बार कहा है कि “सरकार को अपने लोगों पर भरोसा है। पंजाब के उद्यमी ईमानदार हैं और अगर उन्हें सुविधा और विश्वास दिया जाए, तो वे राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा सकते हैं।” यह सोच ही पंजाब को उद्योगों के लिए देश के सबसे आकर्षक राज्यों में बदल रही है। राइट टू बिज़नेस एक्ट इसका सटीक उदाहरण है — जहाँ सरकार जनता को बोझ नहीं, बल्कि भागीदार मानती है।इस नीति से पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी नई राह मिली है। अब कई महिला उद्यमी
बिना किसी झंझट के अपने छोटे उद्योग जैसे फूड प्रोसेसिंग, हैंडलूम और हस्तशिल्प इकाइयाँ शुरू कर रही हैं। मान सरकार ने महिलाओं और युवाओं को उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की ठानी है।

आज “राइट टू बिज़नेस एक्ट” ने पंजाब के छोटे कारोबारियों और उद्योगपतियों को नई उम्मीद, नया आत्मविश्वास और नई दिशा दी है। यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक क्रांति है जिसने ईमानदार उद्यमियों के लिए रास्ते खोले हैं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की यह पहल साबित करती है कि जब सरकार भरोसे और पारदर्शिता पर काम करे, तो विकास की रफ़्तार रुक नहीं सकती। यह कानून “रंगला पंजाब” के उस सपने को साकार कर रहा है, जहाँ हर नागरिक आत्मनिर्भर और गर्व से कह सकता है —

“अब कारोबार शुरू करना मुश्किल नहीं, बल्कि आसान और सम्मान की बात है।


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