अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा डील को लेकर अब तक हमास ने सहमति नहीं जताई है. बल्कि हमास इन शर्तों में संशोधन की मांग कर सकता है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए 20 प्वाइंट की एक डील पेश की है. इस योजना पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सहमति जताई है. वहीं, अब सूत्रों के मुताबिक हमास का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप की गाजा योजना को स्वीकार करने से पहले उसमें अहम संशोधन की मांग करेगा.
द गार्जियन के मुताबिक, विश्लेषकों और हमास के करीब के सूत्रों का कहना है कि हमास डोनाल्ड ट्रंप के गाजा युद्धविराम प्रस्ताव में कुछ अहम बदलाव की मांग करेंगे. लेकिन, संभावित रूप से आने वाले दिनों में वो इस योजना को नई बातचीत की नींव के तौर पर स्वीकार कर सकता है.
ट्रंप ने दी हमास को समय-सीमा
ट्रंप ने इस योजना को लेकर मंगलवार से तीन या चार दिन की समय-सीमा दी है. यानी हमास को उनके 20-प्वाइंट वाले प्रस्ताव का जवाब तीन से चार दिन में देना होगा. साथ ही ट्रंप ने हमास को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर प्रस्ताव मान्य नहीं हुआ तो नरक की कीमत चुकानी पड़ेगी.
काहिरा में रहने वाले गाजा के राजनीति-विशेषज्ञ मखाइमर अबूसादा ने कहा कि अब हमास के पास 2 बुरे विकल्पों में से चुनने जैसा हाल है. खराब और सबसे खराब. अबूसादा के अनुसार, अगर हमास ना कहेंगे, जैसा कि ट्रंप ने चेतावनी दी है, तो यह अच्छा नहीं होगा और इससे इजराइल को वो करने का मौका मिल सकता है जो वो युद्ध खत्म करने के लिए चाहेगा. इसलिए वो कहेंगे हां, पर हमें ये-ये शर्तें चाहिए.
दोहा में बातचीत जारी
टाइम्स ऑफ इजराइल के अनुसार अरब के मध्यस्थ मिस्र, कतर और तुर्की इस समय दोहा में हमास नेताओं के साथ इस योजना पर सार्थक बातचीत कर रहे हैं, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को पेश किया था.
किन शर्तों पर संशोधन की मांग
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20 प्वाइंट में एक प्वाइंट ऐसा भी है जिसमें कहा गया है कि हमास को अपने हथियार छोड़ने होंगे. अब इसी प्वाइंट पर हमास संशोधन की मांग कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, हमास की ओर से सुझाए गए बदलावों का मकसद उन शर्तों को नरम करना है जिन्हें प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आखिरी समय में जोड़ा था. खासकर गाजा से इजराइल की वापसी और हमास के निरस्त्रीकरण (हथियार छोड़ने) को लेकर हमास संशोधन की मांग कर सकता है.
अमेरिकी प्रस्ताव में हमास को 72 घंटे के अंदर सभी बंधकों को रिहा करने, हथियार छोड़ने और गाजा की शासन-व्यवस्था में भविष्य में कोई भूमिका न निभाने की शर्त रखी गई है. इसके बदले युद्ध समाप्त हो जाएगा और इजराइली सेना (IDF) धीरे-धीरे गाजा से बाहर निकलेगी, जिसकी जगह एक अंतरराष्ट्रीय बल तैनात होगा.
क्या अमेरिका करेगा बदलाव?
हालांकि, जहां अभी सामने आया है कि हमास राष्ट्रपति ट्रंप के सामने बदलाव की शर्तें रख सकता है. वहीं, दसूरी तरफ अभी यह साफ नहीं है कि अमेरिका हमास की ओर से सुझाए गए बदलावों पर चर्चा करने को तैयार होगा या नहीं, क्योंकि पिछली बार जब हमास ने हां, लेकिन कहते हुए संशोधन सुझाए थे, तब अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने उन पर चर्चा से इंकार कर दिया था और अमेरिकी वार्ताकारों को दोहा से वापस बुला लिया गया था. इसके बाद इजराइल ने भी यही कदम उठाया.
फिर भी, हमास को मिस्र और कतर जैसे अरब मध्यस्थों का समर्थन मिलता दिख रहा है. हाल के दिनों में इन दोनों देशों के नेताओं ने संकेत दिया कि अमेरिकी प्रस्ताव में कुछ बदलावों की जरूरत है. इसके बावजूद, मिस्र और फ्रांस के विदेश मंत्रियों ने गुरुवार को अलग-अलग बयान देते हुए हमास से योजना को स्वीकार करने की अपील की.
सऊदी अरब में फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने कहा, फिलिस्तीनियों को जिस तबाही का सामना करना पड़ा है, उसके लिए हमास बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठाता है. वो हार चुका है. अब उसे सरेंडर स्वीकार करना ही होगा.
गाजा डील में क्या हैं 20 प्वाइंट?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना के तहत हमास को युद्धविराम लागू होने के 72 घंटों के अंदर सभी बचे हुए इजराइली बंधकों को रिहा करना होगा. इसके साथ ही इसमें इजराइल से 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने की शर्त है, जिनमें से कई उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. योजना यह भी कहती है कि इजराइली सेना धीरे-धीरे गाजा की सीमा के चारों ओर एक बफर जोन तक पीछे हटेगी.
हमास के लिए, कैदियों की रिहाई एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है, लेकिन पूरी तरह से हथियार छोड़ने (डिसआर्ममेंट) की मांग उसके लिए एक “रेड लाइन” यानी अस्वीकार्य शर्त बनी हुई है.
युद्ध में हजारों लोगों की हुई मौत
हमास और इजराइल के बीच यह संघर्ष 7 अक्टूबर को शुरू हुआ था, जब हमास ने दक्षिणी इजराइल पर हमला किया. उस हमले में 1,200 लोग मारे गए और लगभग 250 बंधक बना लिए गए थे. इसके जवाब में इजराइल के हमलों ने अब तक गाजा में 66,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है. गाजा का बड़ा हिस्सा खंडहर में तब्दील हो चुका है और आबादी को कई बार अपना घर छोड़कर भागना पड़ा है.