हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से सौभाग्य, अखंड पति सुख और दांपत्य जीवन की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. यही कारण है कि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अविवाहित कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं.
भाद्रपद मास की तृतीया को रखा जाने वाला हरतालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे पवित्र पर्व माना जाता है. इस दिन माता पार्वती ने तप कर शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. मान्यता है कि यह व्रत न केवल पति की दीर्घायु देता है बल्कि दांपत्य जीवन की हर मुश्किल को आसान करता है. लेकिन अक्सर महिलाओं के मन में सवाल उठता है कि क्या हरतालिका तीज का व्रत एक बार रखने पर आजीवन निभाना जरूरी है?