उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम ने कहर बरपाया है. चमोली जिले के नंदानगर में बादल फटा है. अचानक आए पानी के सैलाब ने वार्ड कुन्तरि लगाफाली में छह मकानों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है. 10 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि दो लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. राहत और बचाव टीम पहुंच चुकी है, वहीं एनडीआरएफ की टीम भी गोचर से नंदानगर के लिए रवाना हो गई है.
इस विपदा के बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं. सीएमओ के मुताबिक, मेडिकल टीम और तीन एम्बुलेंस मौके पर भेज दी गई हैं, ताकि घायलों को जल्द से जल्द इलाज मिल सके. इसके अलावा, नंदानगर तहसील के धुर्मा गांव में भी भारी वर्षा से 4-5 मकानों को नुकसान पहुंचा है. हालांकि, यहां जनहानि की कोई सूचना नहीं है. यहां मोक्ष नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है.
1,000 लोगों को रेस्क्यू
इसस पहले मंगलवार को राजधानी देहरादून समेत राज्य के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं से भारी तबाही हुई. उफनती नदियों और नालों ने कई इमारतों, सड़कों और पुलों को अपने साथ बहा दिया. इस आपदा में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 लोग अब भी लापता हैं. वहीं, राज्य के अलग-अलग हिस्सों में करीब 900 लोग फंसे हुए थे. मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अब तक लगभग 1,000 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को राज्य की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता क्षतिग्रस्त सड़कों और बिजली लाइनों की शीघ्र बहाली के साथ पुनर्वास कार्यों को गति देना है. उन्होंने कहा कि बारिश और बादल फटने की घटनाओं के बाद प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर राहत और मरम्मत कार्य जारी हैं.
नरेन्द्रनगर-टिहरी मार्ग की जल्द होगी मरम्मत
धामी ने बताया कि क्षतिग्रस्त विद्युत व्यवस्था की बहाली पर भी तेजी से काम हो रहा है. अब तक करीब 85 प्रतिशत बिजली लाइनों की मरम्मत पूरी हो चुकी है और शेष कार्य अगले एक-दो दिनों में पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्होंने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक से बात की है और नरेन्द्रनगर-टिहरी मार्ग की मरम्मत भी शीघ्र कराई जाएगी.
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा में 10 से अधिक सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. इनमें से कम से कम पांच पुल पूरी तरह बह गए हैं. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा नुकसान सहस्रधारा, प्रेमनगर, मसूरी, नरेन्द्रनगर, पौड़ी, पिथौरागढ़ और नैनीताल क्षेत्रों में हुआ है. राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते चुनौती अभी भी बड़ी बनी हुई है.