Today – July 21, 2025 12:02 am
Facebook X-twitter Instagram Youtube
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
  • होम
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
      • उत्तरकाशी
      • अल्मोड़ा
      • ऊधमसिंह नगर
      • चमोली
      • चम्पावत
      • टिहरी गढ़वाल
      • देहरादून
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • पौड़ी गढ़वाल
      • बागेश्वर
      • रूद्रप्रयाग
    • दिल्ली/NCR
    • छत्तीसगढ़
    • पंजाब
    • हरियाणा
    • मध्य प्रदेश
  • देश
  • विदेश
  • अपराध
  • मनोरंजन
  • धर्म -ज्ञान
  • खेल
  • स्वास्थ्य
Ad Space Available by aonenewstv
Home दिल्ली/NCR

सिर्फ लोकल को मिलेगी फ्री बस सेवा, दिल्ली में रहने वाली बाहरी महिलाओं पर कितना होगा असर?

News room by News room
July 18, 2025
in दिल्ली/NCR
0
सिर्फ लोकल को मिलेगी फ्री बस सेवा, दिल्ली में रहने वाली बाहरी महिलाओं पर कितना होगा असर?
Share Now

मैं बिहार से हूं, मेरा बच्चा चल नहीं सकता, एक हादसे के बाद उसका एक पैर काट दिया गया था. मैं घरों में काम करने जाती हूं, बच्चों के साथ अकेले रहती हूं, पति बिहार में रहते हैं. बच्चे की दवाइयां लेने के लिए जामिया नगर के इलाके से सरकारी अस्पताल सफदरजंग जाना पड़ता है. जोकि जामिया नगर से 10 से 13 किलोमीटर दूर है. अस्पताल जाने के लिए मैं हमेशा बस का इस्तेमाल करती हूं. बस में चढ़ जाया करती थी और बस वाला एक गुलाबी रंग का टिकट दे दिया करता था. बिना पैसा खर्च किए अस्पताल पहुंच जाया करती थी. बस के टिकट में जो भी 20 से 40 रुपये बच जाते थे वो मेरे लिए तो बहुत हुआ करता था. आने-जाने के यह पैसे मेरे लिए इतने ज्यादा है कि टिकट के पैसे बचाने के लिए अब मैं पैदल अस्पताल चली जाऊंगी.

Ad Space Available by aonenewstv

ऊपर कहीं गई बाते शहनाज नाम की महिला की है. जो दिल्ली में घरों में काम करती है. 3 घरों में वो काम करती है और हर घर से महीने के 2 से 3 हजार रुपये तक कमा लेती है. सब पैसे मिलाकर भी 10 हजार से ज्यादा वो महीने के नहीं कमा पाती है. इन सब चीजों के बीच दिल्ली में घर का 3 हजार रुपये किराया भी देना है, 2 वक्त का खाना भी खाना है और बच्चे की दवाई का भी खर्चा है. इन सब चीजों के बीच इतनी सी आमदनी में अब बिहार का आधार कार्ड लेकर वो दिल्ली की बस में बेफिक्र होकर फ्री बस सेवा का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी.

सिर्फ लोकल को मिलेगी फ्री बस सेवा

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने नया आदेश जारी किया है. जिसके तहत अब दिल्ली की फ्री बस सेवा का इस्तेमाल सिर्फ दिल्ली की महिलाएं ही कर सकेंगी. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि दिल्ली परिवहन निगम और क्लस्टर बसों में मुफ्त बस यात्रा के लिए पिंक टिकट के सिस्टम को जल्द ही आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा और पिंक टिकट की जगह पिंक पास जेनरेट किया जाएगा. जिससे सिर्फ दिल्ली में रहने वाली महिलाएं और ट्रांसजेंडर लोग ही इसका फायदा उठा सकेंगे.

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, बहुत जल्द, हम दिल्ली में महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा के लिए पिंक टिकट की जगह पिंक पास शुरू करेंगे. इसका फायदा सिर्फ दिल्लीवासियों तक ही सीमित रहेगा. पिंक पास के लिए आवेदन करने के लिए, दिल्ली की महिलाओं को आधार कार्ड, पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ, अपनी फोटो और केवाईसी दस्तावेज जमा करने होंगे. जैसे शहनाज ने कहा कि वो पहले सिर्फ बस में चढ़ जाया करती थी और उनको फ्री टिकट मिल जाता था, अब ऐसा नहीं होगा.

परिवहन मंत्री पंकज सिंह ने कहा कि पिंक पास के लिए तैयारियां चल रही है. उन्होंने कहा, हम पिंक पास के लिए डिजिटल और प्रशासनिक ढांचे को अंतिम रूप दे रहे हैं.

पिंक टिकट स्किम क्या थी?

आम आदमी पार्टी ने साल 2019 में पिंक टिकट स्कीम शुरू की थी. इसके तहत दिल्ली में महिलाओं के लिए बस सेवा फ्री कर दी गई थी. कोई भी महिला बस में कहीं भी फ्री में जा सकती थी. इस सेवा के शुरू होने के बाद बसों में महिलाओं की तादाद में बढ़त दिखने लगी. कई मजदूर वर्ग की, कामकाजी, स्टूडेंट बस का इस्तेमाल करने लगे. एक तरफ के बस के 20 रुपये शायद एक नजर में कम लगते हो, लेकिन यहीं 20 रुपये महीने के 2 हजार रुपये का खर्च बन जाते हैं. इसी के चलते कई महिलाएं बस का इस्तेमाल करके अपने कई पैसे बचा लिया करती थीं.

“11 लाख महिलाओं ने हर दिन लाभ उठाया”

इस पिंक टिकट की शुरुआत के बाद बस स्टेशन पर महिलाओं की भीड़ भी दिखने लगी थी. आंकड़ों की बात करें तो ग्रीन पीस के सर्वे के मुताबिक, 2024 तक, इस योजना के तहत 100 करोड़ पिंक टिकट जारी किए जा चुके थे, जिससे महिलाओं की बस यात्रा में बढ़ोतरी हुई यह साफ दिखाई दिया. इसके तहत 25% महिलाएं, जो पहले कभी बस का इस्तेमाल नहीं करती थीं, अब रोजाना बस से सफर करने लगी थीं. साथ ही 15% महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने यह सेवा शुरू होने के बाद ही बस का इस्तेमाल करना शुरू किया.

जब अक्टूबर 2019 में यह योजना शुरू की गई थी, तो बस सवारियों में 33 प्रतिशत महिलाएं थीं. चार साल बाद, 2023 में, महिला सवारियों की संख्या बढ़कर 42 प्रतिशत हो गई.

2020-21 में लगभग 17.7 करोड़ पिंक टिकट जारी किए गए. 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 40 करोड़ हो गई. पूर्व वित्त मंत्री आतिशी ने पिछले साल अपने बजट भाषण में कहा था कि लगभग 11 लाख महिलाओं ने हर दिन मुफ्त बस यात्रा का लाभ उठाया. 2019 से 2024 तक, पांच वर्षों में, आप सरकार ने महिलाओं के लिए 1.53 अरब मुफ्त यात्राएं उपलब्ध कराईं.

स्कूल ऑफ प्लानिंग आर्किटेक्चर में परिवहन नियोजन के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर पीके सरकार ने कहा, 2022-23 में, महिलाओं ने डीटीसी बसों में 22 करोड़ और क्लस्टर बसों में 23.41 करोड़ मुफ्त यात्राएं कीं.

कितनी महिलाओं पर होगा असर?

जब मैं साल 2023 में कॉलेज जाया करती थी, तब मेरी क्लास में 45 बच्चे थे. जिसमें से 15 लड़कियां थीं. पूरी क्लास में मेरे अलावा एक भी लड़की ऐसी नहीं थी जो दिल्ली की रहने वाली हो, जिसका आधार कार्ड दिल्ली का हो. मेरा यह बात कहने का मतलब यह है कि एक क्लास से ही हमें इस बात के संकेत मिलते हैं कि दिल्ली एक ऐसा शहर है जहां दूसरे शहरों से आकर रहने वाले लोगों की तादाद बहुत बड़ी है.

जब हम दिल्ली में ही किसी बस में सफर कर रहे होते हैं, तो उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड के लोग तो आपको बहुत मिल जाएंगे, लेकिन मूल दिल्ली के लोग, इनकी तादाद यूपी, बिहार वालों के सामने कम होगी.

सीएम रेखा गुप्ता के फैसले में साफ कहा गया है कि फ्री बस सेवा अब बस दिल्ली की महिलाओं के लिए होगी, जिनके पास दिल्ली का आधार कार्ड है. इसका मतलब है कि अब वो सभी महिलाएं जो हरियाणा, गाजियाबाद, नोएडा में रहती हैं, वो भी इस सेवा का फ्री में इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी.

दिल्ली में बाहरी आबादी ज्यादा

साल 2019 में एक सर्वे सामने आया था जो बताता है कि दिल्ली में बड़ी तादाद में बाहरी लोग रहते हैं. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में दूसरे शहरों से दिल्ली में आकर रहने वालों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. पहले नंबर पर महाराष्ट्र है.

शिक्षा से लेकर नौकरी, इलाज, कामकाज… यह वो कई चीजें हैं जिनके लिए ही लोग अपने गांव को छोड़कर राजधानी का रुख करते हैं और फिर दिल्ली के ही हो जाते हैं. अगर आप दिल्ली के किसी ऑफिस में काम करते हैं, तो कभी वहां एक बार पूछ कर देखना कि कौन किस शहर का है. आप आखिर में इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि दिल्ली में दिल्ली के ही सबसे कम तादाद में लोग आपके ऑफिस में काम करते हैं.

दिल्ली के दक्षिणी इलाकों में प्रवासियों की आबादी सबसे ज्यादा है. दक्षिण-पश्चिम दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और नई दिल्ली, इन तीन जिलों की कुल आबादी में दूसरे शहरों के लोग बड़ी आबादी में रहते हैं. दूसरे शहरों के लोगों की आबादी की हिस्सेदारी 40% से ज्यादा है. यह आंकड़ा सबसे कम, सिर्फ 17%, सेंट्रल दिल्ली में है.

साल 2010 का एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) का सर्वे बताता है कि दिल्ली में 70 प्रतिशत प्रवासी महिलाएं उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं. चलिए अब समझते हैं किस पर कितना होगा इसका असर…

किस पर कितना होगा असर?

indiacensus के अनुमान के मुताबिक साल 2025 में दिल्ली में महिलाओं की आबादी 89.69 लाख है. वहीं, अगर हम दूसरी तरफ देखें तो पूर्व सीएम आतिशी ने बताया था कि साल 2022 से 23 तक 400 मिलियन यानी 40 करोड़ पिंक टिकट जेनरेट किए गए. यह आंकड़े ही इस बात को बताते हैं कि बड़ी संख्या में बाहरी शहरों की महिलाएं इस सेवा का फाएदा उठा रही थीं.

छात्रों पर कितना होगा असर?

दिल्ली में कई यूनिवर्सिटी हैं. बड़ी तादाद में यहां छात्र आंखों में सपना लिए पढ़ने के लिए आते हैं. राजेंद्र नगर से लेकर मुखर्जीनगर तक ऐसे कई इलाकें हैं जहां बड़ी तादाद में किराए का कमरा लेकर छात्र रहते हैं. कई स्टूडेंट्स का कमरा लेकर पढ़ने के मकसद से दिल्ली में रहती हैं. कॉलेज से कमरे की दूरी ज्यादा होने के चलते वो बस का इस्तेमाल करके कॉलेज जाया करती थीं. इससे उनके महीने के खर्च में अच्छी-खासी बचत हो जाया करती थी. लेकिन, अब ऐसा होना मुमकिन नहीं है.

ऐसा ही एक स्टूडेंट का किस्सा मेरे मन में आज भी मौजूद है. जब में जामिया यूनिवर्सिटी से बीए मास मीडिया कर रही थी, तब मेरी क्लास में एक लड़की थी. उसके पिता इस दुनिया में नहीं थे, वो पढ़ाई के साथ-साथ दिल्ली हाट में किताबों का स्टॉल लगाया करती थी. वो दिल्ली के मुनिरका इलाके में अपने भाई के साथ रहती थीं. रोजाना अपना खर्च बचाने के लिए वो बस से आया-जाया करती थी. हमेशा सफर के बारे में बात करते हुए वो बेफिक्र होकर कहती थी कि बस से आसानी हो जाती है. लेकिन, अब दिल्ली की नागरिक न होने के चलते उसको बस सर्विस का इस्तेमाल फ्री में करने की सुविधा नहीं मिलेगी. ऐसे ही कई किस्से हमारे आस-पास मौजूद है. जहां बस का टिकट जो 20-30 रुपये लगता है, वो महीने का कितना बड़ा बोझ बनता है.

कामकाजी महिलाओं पर भी होगा असर

दिल्ली की बस में मुझे कभी-कभी सफर करने का मौका मिलता है. जब भी सफर करती हूं, कई कहानियां देखने को मिलती हैं. कुछ महिलाएं गार्ड के कपड़ों में शाम के वक्त घर जाती दिखाई दी थी. जिनकी भाषा से ही लग रहा था कि वो दिल्ली की नहीं बल्कि बिहार की है. ऐसे ही एक बार कई टीचर्स देखने को मिली, जो सभी यूपी की थी और आपस मैं दिल्ली के कमरों के किराए के खर्च को लेकर बात कर रही थी. बीमार और परेशान महिलाएं जो अक्सर फ्री बस से अस्पताल तक जाया करती हैं उनकी संख्या तो दिल्ली की बसों में काफी ज्यादा दिखाई देती हैं. लेकिन, अब पिंक टिकट से पिंक पास हासिल करने तक का सफर वो तय नहीं कर पाएंगी.

क्यों सरकार ने लिया यह फैसला?

जहां हम ने इस स्कीम के असर पर बात की. किस तरीके से कई महिलाओं पर इसका असर होगा, कई महिलाओं के पर्स पर इस स्कीम से फर्क पड़ेगा. वहीं, यह जान लेना भी जरूरी है कि आखिर क्यों सरकार ने पिंक टिकट से पिंक पास की योजना बनाई.

अधिकारियों का कहना है साल 2019 के पिंक टिकट कि सभी तक खुली पहुंच की वजह से दुरुपयोग हुआ है. जिसमें गैर-निवासी भी इसका लाभ उठा रहे हैं और हाल के महीनों में भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए हैं.

इनमें टिकटों की संख्या में बढ़ोतरी, यात्रियों की संख्या के आंकड़ों में गड़बड़ी और संभावित राजस्व चोरी शामिल हैं, जिससे ट्रांसपेरेंसी और योजना की वास्तविक पहुंच पर सवाल उठ रहे हैं. दिल्ली विधानसभा में अपने पहले बजट स्पीच में मार्च में, मुख्यमंत्री ने आप की पिंक टिकट योजना को आप सरकार का ‘पिंक भ्रष्टाचार’ बताया था.

उन्होंने कहा था, “महिलाएं 100 रुपये में सफर करती थीं, लेकिन बिल 400 रुपये का बनता था. यह उनकी कोई गलती नहीं थी. वे पिंक टिकट लेकर सफर कर रही थीं, लेकिन टिकट के नाम पर भ्रष्टाचार एक अलग ही स्तर पर हो रहा था. इसे खत्म करने के लिए, हम पिंक टिकट योजना की जगह स्मार्ट बस कार्ड लाने जा रहे हैं. इसके तहत, हमारी बहनों को अब हर बस का टिकट खरीदने की जरूरत नहीं होगी. उन्हें यह स्मार्ट ट्रैवल कार्ड जारी किया जाएगा और वो दिल्ली में कहीं भी जाने के लिए किसी भी सार्वजनिक बस से यात्रा कर सकेंगी.

उन्होंने आगे कहा, हमारी सरकार का एक अहम मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो असल में इसके हकदार हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, अब सिर्फ दिल्ली के लोग ही इस स्कीम का फायदा उठा सकेंगे. रोहिंग्या और बांग्लादेशी इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे.

बजट स्पीच में सदन में विपक्षी विधायकों पर निशाना साधते हुए सीएम गुप्ता ने कहा था, हम एक काम बंद करने जा रहे हैं जो पिछली सरकार कर रही थी – सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार, हम परिवहन क्षेत्र में भी ऐसा करेंगे. सीधे तौर पर बीजेपी सरकार का कहना है कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है.


Share Now
Ad Space Available Reach 2M+ readers / month
Book Now
Previous Post

UP में डिजिटल अरेस्ट केस में पहली सजा, 438 दिन में हुआ फैसला… महिला डॉक्टर से 85 लाख ठगने वाले को 7 साल की कैद

Next Post

मिर्जापुर की बदलेगी हवा! इस एक्टर का कटा पत्ता तो ‘पंचायत’ के सचिव जी ने लपक ली फिल्म

Next Post
मिर्जापुर की बदलेगी हवा! इस एक्टर का कटा पत्ता तो ‘पंचायत’ के सचिव जी ने लपक ली फिल्म

मिर्जापुर की बदलेगी हवा! इस एक्टर का कटा पत्ता तो ‘पंचायत’ के सचिव जी ने लपक ली फिल्म

  • Home
  • About
  • Contact
  • Privacy Policy
Facebook X-twitter Instagram Youtube

Powered by AMBIT +918825362388