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Home बिहार

बिहार में ओवैसी के ऑफर को तेजस्वी ने ठुकराया, AIMIM की दोस्ती से सेकुलर दलों को क्यों परहेज?

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July 4, 2025
in बिहार
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बिहार में ओवैसी के ऑफर को तेजस्वी ने ठुकराया, AIMIM की दोस्ती से सेकुलर दलों को क्यों परहेज?
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बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्ताहादुल मुस्लिमीन विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर बिहार चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पानी फेर दिया है. AIMIM ने बिहार में इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके लिए प्रदेश अध्यक्ष अख्तारुल ईमान ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखा है. इसके बावजूद ओवैसी के ऑफर को लालू-तेजस्वी ने स्वीकार नहीं किया.

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AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ने लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखकर कहा, सेकुलर वोटों को बंटने से रोकना है, तो AIMIM को महागठबंधन में शामिल करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि वोटों के बंटवारे से सांप्रदायिक ताकतों को फायदा होता है. इसे 2025 के चुनाव में रोकना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि AIMIM ने 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली. अब पार्टी फिर से गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ना चाहती है.

ओवैसी से हाथ मिलने से तेजस्वी का इनकार

बिहार विधानसभा चुनाव में सेकुलर वोटों को बंटने से रोकने की दुहाई देकर गठबंधन की बात अख्तारुल ईमान ने की है. AIMIM ने यह बात आरजेडी के साथ-साथ कांग्रेस से भी कही है. इससे पहले AIMIM मौखिक रूप से गठबंधन की बात करती रही है, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को AIMIM की ओर से कोई सीधा प्रस्ताव गठबंधन के लिए नहीं मिला. इसके बाद अख्तारुल ईमान ने लालू यादव को पत्र लिखकर गठबंधन की गुहार लगाई है, जिसके बाद आरजेडी और कांग्रेस की तरफ से AIMIM को जवाब का इंतजार है.

बिहार में इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बेचैन है, लेकिन तेजस्वी और लालू यादव तैयार नहीं है. सूबे में ओवैसी तमाम छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने का भी ऐलान कर रहे हैं. पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन के सवाल पर कहा था कि कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया, बिहार में हमारा कांग्रेस, लेफ्ट, माले और वीआईपी पार्टी के साथ गठबंधन है. ऐसे में साफ है कि ओवैसी के साथ दोस्ती करने के लिए इंडिया गठबंधन तैयार नहीं है.

ओवैसी की छवि से बच रहे तेजस्वी यादव

असदुद्दीन ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव मैदान में उतरकर मुस्लिम मतों को अपने पाले में लाकर सेकुलर दलों का सियासी खेल बिगाड़ सकते हैं. 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें जीतकर महागठबंधन का समीकरण बिगाड़ दिया था, लेकिन इस बार सियासी हालात बदले हुए हैं. ऐसे में ओवैसी को मुस्लिम वोटर भले ही साथ न दे, लेकिन वो अपनी राजनीति के जरिए वोटों का ध्रुवीकरण कर सकते हैं. ओवैसी के चलते हिंदू वोट एकजुट होने का भी खतरा दिख रहा है, जिस वजह से तेजस्वी यादव बिहार में AIMIM से हाथ मिलाने से बच रहे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव में सेकुलर दल अगर ओवैसी के साथ मैदान में उतरे तो उन पर भी मुस्लिम परस्त और कट्टरपंथी पार्टी के साथ खड़े होने का आरोप बीजेपी लगाएगी. यही वजह है कि ओवैसी के साथ आरजेडी गठबंधन करने से परहेज कर रही है. 2014 के बाद से देश का राजनीति पैटर्न बदल गया है. देश में अब पूरी तरह से बहुसंख्यक समाज केंद्रित राजनीति हो गई है और इस फॉर्मूला के जरिए बीजेपी लगातार चुनाव जीत रही है.

असदुद्दीन ओवैसी की छवि एक कट्टर मुस्लिम नेता के तौर पर है और उनके भाषण भी इसी तरह के हैं. ऐसे में ओवैसी के साथ हाथ मिलाने से बहुसंख्यक वोटर का ध्रुवीकरण होगा. बिहार में सिर्फ मुस्लिम वोटों के सहारे सरकार नहीं बनाई जा सकती है. इसीलिए आरजेडी से लेकर कांग्रेस तक ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते. इसके अलावा ओवैसी के साथ हाथ मिलाने पर तेजस्वी और कांग्रेस दोनों के लिए भविष्य में सियासी खतरा उत्पन्न हो सकता है, जिसके चलते भी गठबंधन के लिए रजामंद नहीं है.

मुस्लिम वोटों के बिखरने का खतरा कम

बिहार के विधानसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के बीच ही है. एनडीए के सीएम पद के चेहरे नीतीश कुमार हैं तो इंडिया गठबंधन का फेस तेजस्वी यादव हैं. नीतीश बनाम तेजस्वी के बीच सिमटते बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी की राह काफी मुश्किल भरी होती जा रही है. आरजेडी और कांग्रेस का कोर वोटबैंक मुस्लिम है और ओवैसी की नजर भी मुस्लिमों पर ही टिकी है. आरजेडी की पूरी कोशिश मुस्लिम वोटों को एकमुश्त अपने साथ बांधकर रखने की है, जिसके लिए तेजस्वी यादव वक्फ कानून का विरोध करने को लेकर पसमांदा मुस्लिमों तक को साधने में जुटे हैं.

वहीं, बिहार में मुस्लिम समाज के लोगों ने 2020 चुनाव में ओवैसी की पार्टी को वोट देकर देख लिया है कि AIMIM दो-चार सीटें तो जीत सकती है, लेकिन सरकार नहीं बना सकती. बिहार में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने की ताकत ओवैसी नहीं रखते हैं. वक्फ संशोधन कानून से लेकर मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले हमले के विरोध में ओवैसी से कहीं ज्यादा कांग्रेस और आरजेडी खड़ी नजर आईं हैं. बिहार में मुस्लिमों के बीच कांग्रेस और आरजेडी के प्रति सॉफ्ट कार्नर है, जिसके चलते ही AIMIM गठबंधन के लिए बेचैन है.

गठबंधन के साथ एकजुट M-Y समीकरण

नीतीश कुमार के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन का हिस्सा आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दल और मुकेश सहनी की पार्टी है. विपक्षी गठबंधन होने के चलते मुसलमानों के वोट में बिखराव का कोई खतरा नहीं दिख रहा है. तेजस्वी यादव एक बार फिर मुस्लिम-यादव की तासीर से सत्ता समीकरण पाना चाहते हैं, ठीक जिस समीकरण के साथ लालू प्रसाद यादव ने बेधड़क 15 सालों तक राज किया, लेकिन बाद के दिनों में इस समीकरण में बिखराव आया तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने A टू Z पर भरोसा किया. इसके बाद भी मुस्लिम वोटों पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं, जिसके लिए खुलकर मुस्लिमों से जुड़े मुद्दे पर बोल रहे हैं.

गठबंधन के सहारे ओवैसी जमीन तलाश रहे

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी का बिहार में कोई जमीनी आधार नहीं है बल्कि उनकी पकड़ सीमांचल के इलाके की कुछ सीट तक पर ही रही है. मुसलमानों के मुद्दे पर न तो वो कभी सड़क पर उतरे और न ही उनकी पार्टी नजर आई. ओवैसी अपने सिर्फ बयानों से सनसनी पैदा कर सियासी लाभ उठाना चाहते हैं. हैदराबाद से बाहर ओवैसी ने जहां भी सियासी जगह बनाई है, वहां खुद की राजनीति के दम पर नहीं बल्कि किसी न किसी दल के सहारे जीत दर्ज की है.

महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर के साथ गठबंधन कर जीत दर्ज की और बिहार में उपेंद्र कुशवाहा और मायावती के सहारे. ऐसे ही गुजरात में भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ हाथ मिलाकर पार्षद की सीटें जीते हैं. ऐसे में बिहार में भी ऐसी ही कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां कोई भी राजनीति दल उन्हें भाव नहीं देना चाहते हैं. इतना ही नहीं ओवैसी के साथ हाथ मिलाने में फायदा कम और सियासी नुकसान ज्यादा है. इसीलिए बिहार के इंडिया गठबंधन उनसे दूरी बनाए रखकर राजनीतिक दांव चल रहे हैं.


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