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उज्जैन: मस्तक पर त्रिपुंड-त्रिनेत्र… कैसे सजे महाकाल? महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए अब विशेष दर्शन की व्यवस्था

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July 11, 2025
in मध्यप्रदेश
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उज्जैन: मस्तक पर त्रिपुंड-त्रिनेत्र… कैसे सजे महाकाल? महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए अब विशेष दर्शन की व्यवस्था
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उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शुक्रवार से विशेष दर्शन व्यवस्था की शुरुआत हो गई. आज यानी शुक्रवार को रात तीन बजे मंदिर के पट खुले और बाबा महाकाल को भस्म आरती की गई. इस दौरान देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़े. मंदिर परिसर बाबा महाकाल के जयकारे से गूंज उठा.

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विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज श्रावण माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुक्रवार की सुबह 3 बजे हुई भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत पूजन-अभिषेक कर शृंगार किया गया. महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भस्म आरती के लिए मंदिर के पट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत को अर्पित कर किया. इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया. कपूर-आरती के बाद बाबा महाकाल को फूलों की माला धारण करवाई गई.

बाबा महाकाल का हुआ विशेष शृंगार

पंडित महेश शर्मा के मुताबिक, आज के बाबा महाकाल के शृंगार की विशेष बात यह रही कि बाबा महाकाल के मस्तक पर त्रिपुंड और त्रिनेत्र लगाया गया. इस दौरान भगवान महाकाल को फूलों की माला भी अर्पित की गई. साथ ही निराले स्वरूप मे नवीन मुकुट से श्रृंगारित किया गया. इसके बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती कर भोग भी लगाया गया. भस्म आरती में बड़ी संख्या मे श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया और बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकर जय श्री महाकाल का उद्घोष करने लगे.

चलित भस्म आरती भी हुई

मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के महाकाल मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को भस्म आरती के दर्शन कराने के उद्देश्य से एक बार फिर मंदिर में चलित भस्म आरती की व्यवस्था शुरू की गई. आज भस्म आरती में चलायमान दर्शन व्यवस्था रही. आज श्रद्धालुओं ने बिना किसी अनुमति के चलते हुए भगवान महाकाल के दर्शन कर किए. मंदिर प्रशासन ने भक्तों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए कार्तिकेय मंडपम में तीन लाइनें चलाकर भक्तों को भस्म आरती के दर्शन कराने की व्यवस्था की.


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