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बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण ने बढ़ाई लोगों की चिंता, दस्तावेज जुटाने को लेकर अफरातफरी

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July 2, 2025
in बिहार
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बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण ने बढ़ाई लोगों की चिंता, दस्तावेज जुटाने को लेकर अफरातफरी
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त गहन पुनरीक्षण अभियान ने आम जनता के बीच भारी अफरातफरी मचा दी है. चुनाव आयोग द्वारा सभी मतदाताओं को 25 दिनों के भीतर पुनरीक्षण फॉर्म भरने और आवश्यक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिए जाने के बाद राज्यभर में हड़कंप मच गया है. राज्य के लगभग 8 करोड़ मतदाताओं को इस कार्य में शामिल किया जा रहा है, लेकिन सीमित समय और दस्तावेजों की जटिल मांग के कारण कई लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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पटना के अदालतगंज की तस्वीर राज्यभर के हालात की बानगी पेश करती है. यहां रहने वाले जोबा पासवान और उनके परिवार को गणना प्रपत्र तो मिल गया, लेकिन अब उन्हें इसे भरने और संबंधित दस्तावेज जुटाने की चिंता सता रही है. उनके पास केवल आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी है, जबकि चुनाव आयोग द्वारा जन्म प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र की भी मांग की जा रही है.

दस्तावेज जुटाने को लेकर अफरातफरी

इसी मोहल्ले के अन्य घरों में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. हर गली-मोहल्ले में सिर्फ गणना प्रपत्र और दस्तावेजों की चर्चा हो रही है. लोग ब्लॉक कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन वहां के कर्मचारियों द्वारा प्रत्येक प्रमाण पत्र के लिए 1000 रुपये तक की मांग की जा रही है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय लोग खासे परेशान हैं.

स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्रों पर तो हालात और भी खराब हैं. वहां पहुंचे लोगों की भारी भीड़ के कारण अफरा-तफरी का माहौल है. गणना प्रपत्रों के बंडल जमीन पर बिखरे पड़े हैं, और महिला-पुरुष सभी अपने नाम का प्रपत्र खोजने के लिए आपस में धक्कामुक्की कर रहे हैं. कई स्थानों पर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) तक अपना नियंत्रण खो चुके हैं.

चुनाव आयोग की पहल से लोगों में नाराजगी

एक महिला BLO ने बताया, मेरे पास भी सारे कागजात नहीं हैं, मुझे डर है इस बार मेरा ही नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा. स्थिति यह है कि प्रपत्र खोजने से लेकर दस्तावेज़ जमा करने तक, हर चरण में मतदाता खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं.

इस पूरी प्रक्रिया को लेकर लोग सरकार और चुनाव आयोग दोनों से नाराज हैं. लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी कवायद के लिए अधिक समय और सरल प्रक्रिया होनी चाहिए थी, वरना बड़ी संख्या में लोगों का मताधिकार छिन सकता है. चुनाव आयोग की इस कवायद का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना है, लेकिन मौजूदा हालात में यह अभियान सरल प्रक्रिया के बजाय जटिल परेशानी बनकर सामने आया है.


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