सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है. यह फटकार मौजूदा अदालतों को स्पेशल कोर्ट्स बनाने को लेकर लगाई गई है. स्पेशल केसों को लेकर नए कोर्ट बनाने के लिए कहा गया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजकुमार भास्कर ठाकरे को बताया कि अगर वर्तमान अदालतों को एनआईए अधिनियम के तहत विशेष अदालतों के रूप में नामित किया जाता है, तो इससे वरिष्ठ नागरिकों, विचाराधीन कैदियों, हाशिए के वर्ग के लोगों और वैवाहिक विवादों के मामलों में लंबित सुनवाई में और देरी बढ़ जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने ज्यादा बुनियादी ढांचे का निर्माण, जजों और कर्मचारियों की नियुक्ति और सरकार द्वारा पदों को मंजूरी दिए जाने को लेकर जोर दिया. पीठ ने कहा कि अगर एडिशनल अदालतें नहीं बनाई जातीं, तो अदालतों को विशेष कानूनों के तहत दर्ज आरोपियों को जमानत देने पर मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि मुकदमों को तेजी से निपटाने के लिए कोई प्रभावी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.