रतलाम: आजादी के इतने सालों के बाद आज भी भारत में ऐसे कई गांव मिल जाएंगे जहां सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि यह मूलभूत सुविधाएं किसी की शादी में रोड़ा बन सकती हैं. जी हां सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के बिना रतलाम जिले के आलोट तहसील का गांव बेटीखेड़ी अब कुंवारे युवकों का गांव बनता जा रहा है.
यहां के ग्रामीणों की माने तो गांव का नाम भले ही बेटी खेड़ी है लेकिन कोई भी माता-पिता अपनी बेटी को इस गांव में ब्याहने को तैयार नहीं है. आजादी के कितने वर्ष बीत जाने के बाद भी यह गांव अब तक पक्की सड़क से नहीं जोड़ा जा सका है. करीब 700 लोगों की आबादी वाले इस गांव की पंचायत जहांनाबाद है.
आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी सड़क
आलोट विकासखंड से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव ने अब तक विकास का मुंह तक नहीं देखा है. यह दावा है यहां के ग्रामीणों का. क्योंकि आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव में सड़क नहीं पहुंची है. नल जल योजना का यहां नाम और निशान नहीं है. पुराने, हैंडपंप लगे हैं जिनमें पानी नहीं आता है. लोगों को पानी कुंए से लाना पड़ता है. यहां 5 वीं तक शासकीय स्कूल है. आगे की शिक्षा के लिए बच्चों को पास के गांव माल्या या जहांनाबाद जाना पड़ता है.
ऐसी स्थिति में कई बालिकाओं की पढ़ाई पांचवी के बाद बंद हो जाती है. गांव के एक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर कालू सिंह ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया और सोशल मीडिया पर रील बनाकर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के अधिकारियों से सवाल खड़े किए. कालू सिंह ने बताया कि, ”कहने को हम आधुनिक युग में जी रहे हैं लेकिन हमारे गांव में तो मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है. बारिश में यदि कोई बीमार हो जाता है तो उसे ट्रैक्टर ट्राली में डालकर आलोट ले जाना पड़ता है.”
यहां कोई नहीं देना चाहते अपनी बेटी
गांव के करण सिंह का कहना है कि, ”हमारे गांव में ना तो सड़क है ना पीने के पानी की व्यवस्था और अस्पताल भी नहीं है. ऐसे में हमारे यहां कौन अपनी बेटी ब्याहेगा. वर्तमान में हमारे गांव में करीब 30 से 40 युवा ऐसे हैं जिनकी शादी की उम्र गुजर रही है. लेकिन वह अब तक कुंवारे हैं.” गांव के ही युवा महेश शर्मा कहते हैं कि गांव का नाम बेटी खेड़ी जरूर है लेकिन यहां के युवाओं से बेटी का विवाह कोई नहीं करना चाहता. गांव के एक अन्य युवा गोविंद सिंह का भी कहना है कि उन्होंने भी पैदा होने से अब तक इस गांव में पक्की सड़क नहीं देखी है.”
इस गुमनाम गांव से प्रशासन बेखबर
इस छोटी आबादी वाले गांव की सड़क अब तक नहीं बनने और मूलभूत सुविधाओं के अभाव की जानकारी जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को नहीं है. मीडिया द्वारा संज्ञान में लाए जाने के बाद एसडीएम सुनील कुमार जायसवाल ने जनपद सीईओ और विकासखंड अधिकारी को गांव में जाकर रिपोर्ट देने और समस्या का तात्कालिक समाधान करने के निर्देश दिए हैं. बहरहाल यह आश्चर्य की ही बात है कि आजादी इतने सालों के बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं और सड़क के लिए तरस रहे हैं.
एसडीएम सुनील कुमार जायसवाल का कहना है कि, ”आपके माध्यम से यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. सड़क न होने के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. मामले में जनपद की सीईओ मैडम से बात करूंगी और समस्या का जल्द हल निकाला जाएगा.”